भुट्टा कहें या मक्का, सेहत के यह फायदे मिलेंगे पक्का
आ रहा है झमाझम बरसात का मौसम, रिमझिम बारिश में भुट्टा न खाया जाए, ऐसा संभव ही नहीं… सिके हुए देशी भुट्टे हों या फिर स्टीम में पके अमेरिकन कॉर्न…दोनों का अपना ही मजा है। स्वाद तो इनका मजेदार होता ही है, सेहत के फायदे भी
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1 सबसे पहली बात तो यह है कि बड़ों को साथ-साथ बच्चों को भी भुट्टे अवश्य खिलाने चाहिए इससे उनके दांत मजबूत होते हैं।
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दूसरी बात कि जब आप भुट्टे खाएं तो दानों को खाने के बाद जो भुट्टे का भाग बचता है उसे फेंकें नहीं बल्कि उसे बीच से तोड़ लें और उसे सूंघें। इससे जुकाम में बड़ा फायदा मिलता है। बाद में इसे जानवर को खाने के लिए डाल सकते हैं।
दूसरी बात कि जब आप भुट्टे खाएं तो दानों को खाने के बाद जो भुट्टे का भाग बचता है उसे फेंकें नहीं बल्कि उसे बीच से तोड़ लें और उसे सूंघें। इससे जुकाम में बड़ा फायदा मिलता है। बाद में इसे जानवर को खाने के लिए डाल सकते हैं।
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अगर आप इसे जानवर को नहीं देते हैं तो उन्हें सूखाकर रखें फिर इन्हें जलाकर राख बना कर रख लें। सांस के रोगों में यह बड़ा कारगर इलाज है। इस राख को प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ फांकने से खांसी का इलाज होता है। खांसी कैसी भी हो यह चूर्ण लाभ देता ही है। यहां तक कि कुकर खांसी में भी बड़ी राहत मिलती है।
अगर आप इसे जानवर को नहीं देते हैं तो उन्हें सूखाकर रखें फिर इन्हें जलाकर राख बना कर रख लें। सांस के रोगों में यह बड़ा कारगर इलाज है। इस राख को प्रतिदिन गुनगुने पानी के साथ फांकने से खांसी का इलाज होता है। खांसी कैसी भी हो यह चूर्ण लाभ देता ही है। यहां तक कि कुकर खांसी में भी बड़ी राहत मिलती है।
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आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है। इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है। पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है। इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है। पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
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