नवरात्रि या नवरात्र के आठवें दिन अष्‍टमी मनाई जाती है. इस बार अष्‍टमी 23 अक्‍टूबर को है.

अष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्‍टमी की तिथि: 23 अक्‍टूबर 2020
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 23 अक्‍टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 57 मिनट से
अष्‍टमी तिथ समाप्‍त: 24 अक्‍टूबर 2020 को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक

देश भर में बड़ी धूमधाम से नवरात्रि (Navratri 2020) का त्‍योहार मनाया जा रहा है. नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां दुर्गा (Maa Durga) के अलग-अलग नौ स्‍वरूपों की भक्त आराधना करते हैं. खासतौर से उत्तर भारत में भक्‍त मां दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए इन नौ दिनों में व्रत रखते हैं. व्रत के दौरान अष्‍टमी (Ashtami) यानी कि व्रत के आठवें दिन नौ कन्‍याओं का पूजन (Kanya Pujan) करने का विधान है. यही नहीं जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं, वे भी अष्‍टमी या दुर्गाष्‍टमी (Durgashtami) का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा (Kanjak Puja or Kanya Pujan) भी करते हैं. वहीं दूसरी तरफ बंगाल, ओडिशा, त्रिपुरा और मणिपुर में दुर्गा पूजा में अष्‍टमी का विशेष महत्‍व है. पंडालों में इस दिन दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है.

कैसे मनाई जाती है अष्‍टमी ?
अष्‍टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है. सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है. सभी कन्‍याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्‍हें हल्‍वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है. इसके अलावा उन्‍हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है. वहीं, बंगाली परिवारों में दुर्गा अष्‍टमी का विशेष महत्‍व है. इस दिन लोग सुबह-सवेरे नहा-धोकर नए कपड़े पहनकर पुष्‍पांजलि के लिए पंडाल जाते हैं. जब ढेर सारे लोग मां दुर्गा पर पुष्‍प वर्षा करते हैं तो वह नजारा देखने लायक होता है. महा आसन और षोडशोपचार पूजा के बाद दोपहर में लोग अष्‍टमी भोग के लिए इकट्ठा होते हैं. इस भोग के तहत भक्‍तों में दाल, चावल, पनीर, बैंगन भाजा, पापड़, टमाटर की चटनी, राजभोग और खीर का प्रसाद बांटा जाता है. पूजा पंडालों में इस दिन अस्‍त्र पूजा और संधि पूजा भी होती है. शाम के समय महाआरती होती है और कई रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

कन्या पूजन का शुभ समय – ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन सूर्योदय के बाद और सुबह 9 बजे से पहले कर देना चाहिए. इससे दौरान कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है.

कन्या पूजन का महत्व – कुमारी पूजा या कन्या पूजन नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. कुमारी पूजा को कन्या पूजा तथा कुमारिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं. शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन करने से सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कन्या पूजन से पहले हवन करने का भी प्रावधान है. हवन करने और कन्या पूजन करने से मां भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती हैं.

धार्मिक ग्रन्थों में नवरात्रि के सभी नौ दिनों में कुमारी पूजा का सुझाव दिया गया है. नवरात्रि के प्रथम दिवस पर मात्र एक कन्या की पूजा की जानी चाहिये तथा नौ दिनों के अनुरूप प्रत्येक दिवस एक-एक कन्या की सँख्या बढ़ानी चाहिये. हालाँकि, अधिकांश भक्तगण अष्टमी पूजा अथवा नवमी पूजा के अवसर पर एक ही दिन कुमारी पूजा करना पसन्द करते हैं. कुमारी पूजा के दिन का चयन अपने कुल व परिवार की परम्परा के अनुसार किया जाना चाहिए.

आयुवेर्द मे इसे रोग नाशक जड़ी-बूटियों की रानी कहा गया है।’तुलसी पंचाग (जूस) वैज्ञानिक दृष्टकोण से 9० फीसदी क्षारीय (एल्काइन) होता है। यह प्रतिरोधक क्षमता के लिए श्वेत रक्त कणिकाओं (डब्ल्यूबीसी) का निमार्ण करते हैं जिसे ही हम इम्यून या प्रतिरोधकता कहते हैं। उन्होने बताया कि जब शरीर अधिक लवणीय हो जाती है तब डब्ल्यूबीसी का निमार्ण होना कम हो हो जाता है जिसे समस्त बीमारियों की जननी कहते हैं।

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उन्होने बताया कि इसमें इसेंसियल ऑयल, वोलेटाइल ऑयल पाया जाता है जो एंटीवैक्टीरीअल, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है जो शरीर के समस्त धातुओं के विषैलापन को दूर करता है और शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। तुलसी की चाय का सेवन किया जाए तो इससे कैंसर होने की संभावना काफी कम हो जाती है क्योंकि तुलसी कैंसर को जन्म देने वाली अनियंत्रित कोशिकाओं को बढ़कर विभाजित होने से रोकता है और कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।

तुलसी का प्रयोग आयुवेर्द, यूनानी, होम्योपैथी एवं एलोपैथी दवाओं में होता है। इसकी जड़, तना, पत्तियों समेत सभी भाग उपयोगी हैं। तुलसी में विटामिन व खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह सभी रोगों में लाभप्रद मानी जाती है। वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ कफ, वात दोष, पाचन शक्ति बढ़ाने बुखार, पेटदर्द, बैक्टीरियल संक्रमण खत्म करने में काम आती है। श्वांस लेने में हो रही परेशानी को राहत दिलाने में सहायक होती है।

जिन लोगों का इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होता है उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा होता हैण। ऐसे में इम्यूनिटी सिस्टम मजबत रहना आवश्यक है। इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए वैसे तो कई तरीके हैं लेकिन इसे नेचुरल तरीके से बढ़ाया जा सकता है। नेचुरल तरीके से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काढ़ा सबसे अच्छा ऑप्शन है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़े से इम्युनिटी मजबूत होगी और शरीर कोरोना से लड़ने में बेहतर रूप से सक्षम हो पाएगा।

श्वास संबंधित रोग, बुखार, जुकाम को ठीक करती है। किडनियों को स्वस्थ रखती है। इसकी पत्तियों में चमकीला वाष्पशील तेल पाया जाता है जो कीड़ों एवं वैक्टीरिया के खिलाफ काफी कारगर साबित होता है। तुलसी को संजीवनी बूटी की संज्ञा भी दी गयी है। इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उन्होने बताया कि यह स्ट्रेस और डिप्रेसन को भी दूर भागने में सहायक होता है। पारंपरिक तुलसी का उपयोग कंजक्टीवाइटिस (आंख आना) की समस्या से राहत पहुंचाता है। किसी भी प्रकार के श्वसन संबंधी रोग के दौरान इसका उपयोग गुणकारी है।

नैनी क्षेत्र के फूलमंडी में तुलसी विक्रेता रोशन ने बताया कि कोरोना काल में लोगों का विश्वास आयुवेर्द के प्रति बढ़ा है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने वाली औषधियों में तुलसी की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है। कोरोना से पहले तुलसी की पत्तियों की कीमत 5० रुपये प्रति किलो थी, जो कि अब 1०० किलो से अधिक तक पहुंच गई है। फुटकर बाजार में तो यह और भी महंगी बिक रही है। इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर गिलोय और अश्वगंधा के मूल्यों में भी मांग के कारण उछाल आया है।

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हड्डियां-मांसपेशियां मजबूत होंगी – ग्रीन-टी हड्डियों और मांसपेशियों की मजबूती के लिए भी अहम है। इसमें मौजूद फ्लैवेनॉयड जहां हड्डियों-मांसपेशियों में क्षरण की शिकायत दूर रखते हैं, वहीं फाइटोएस्ट्रोजन ऊतकों को नुकसान नहीं पहुंचने देते। मांसपेशियों का विकास सुनिश्चित करने में भी उनकी अहम भूमिका है।

यह आपको कब्ज से राहत दिला सकता है – साबुदाना पाचन से संबंधित और कब्ज और गैस जैसी किसी भी समस्‍या से छुटकारा दिलाता है।”

साबुदाना कब्ज जैसी पेट की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साबुदाना में प्रतिरोधी स्टार्च होता है जो पाचन तंत्र में फाइबर की तरह काम करता है और आंत के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
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5.आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करता है – साबूदाना में कैल्शियम, मैग्नीशियम, और आयरन होता है जो हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है और जिससे हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। यह आगे चलकर गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों से संबंधित किसी भी समस्या को रोक सकता है। ”

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साबुदाना कार्बोहाइड्रेट में उच्च है। इसलिए इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी हाई है, जो मधुमेह के रोगी में ब्लड शुगर लेवल को ट्रिगर कर सकता है।

डायबिटीज में आप साबुदाना नही खाए साबुदाना।इसलिए, यदि आप मधुमेह रोगी हैं, तो यह आपके लिए हेल्‍दी विकल्‍प नहीं है। 
डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।मधुमेह को नियंत्रित रखें – इसके लिए सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि आप समय रहते अपने आहार और जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन करें। ताकि आपको किसी भी वजह से मधुमेह या शुगर का शिकार न होना पड़े।बड़ी हुई शुगर को आयुर्वेद से नियमित करने के लिए घर बैठे आर्डर करें डॉ नुस्खे शुगर नाशक किटhttps://chatwith.io/s/5f520a525c945 

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कुछ दिन बाद मुझे ऑनलाइन एक शख्स मिला। इस शख्स की लंबी दाढ़ी थी और सिर पर लंबे बाल थे। ये शख्स उस फल को लाने के लिये हमेशा कोंगो के जंगलों में आता जाता रहता था। मैंने उससे बात की और कुछ कम पैसों में ही उसे मना लिया। कुछ दिन बाद उसने मेरे घर उस जादुई फल का थोड़ा सा मिश्रण भिजवा दिया। जब ये मिश्रण आया तो मैं काफी नर्वस था। मैं अंदर से डरा हुआ था, लेकिन मुझे ये भी पता था कि मेरे पास खोने के लिये कुछ नहीं है। फिर उस रात बड़ी हिम्मत करके मैंने इसे खाना शुरू कर दिया।

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अपनी रसोई में या खाने की टेबल पर एक कटोरे में फल रखें। ताकि इसे खाना याद रहे और अंदर बाहर निकलते हुए भी खा सकें।

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आहार के आकार को नियंत्रित करें – आप कितना खाते हैंयह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आप क्‍या खाते हैं। अपनी थाली को ओवरलोडिंगपेट को भरा-भरा महसूस होने से बचाएं। अधिक कैलोरी खाने से हृदय रोग व अन्य रोगों यथा मधुमेह व उच्च रक्त चाप की आशंका बढ़ जाती है। रेस्तरां में परोसे जाने वाले खाने अक्सर जरूरत से ज्यादा होते हैं।अपने पोर्शन को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए एक छोटी सी थाली या कटोरे का उपयोग करें। कम कैलोरीपोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे फलों और सब्जियों का हिस्‍सा ज्‍यादा रखें। उच्च कैलोरीउच्च सोडियम खाद्य पदार्थों के छोटे हिस्सेजैसे परिष्कृतप्रसंस्कृत या फास्ट फूड। यह रणनीति आपके आहार के साथ-साथ आपके दिल को स्वस्थ और कमर के आकार को कम कर सकती है।

सब्जियां और फल ज्‍यादा खाएं – सब्जियां और फल विटामिन और खनिजों के अच्छे स्रोत हैं। सब्जियां और फल कैलोरी में कम और आहार फाइबर में समृद्ध होते हैं। अन्य पौधों या पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों की तरह सब्जियों और फलों में ऐसे पदार्थ होते हैंजो हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकते हैं। अधिक फल और सब्जियां खाने से आपको उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों जैसे मांसपनीर और स्नैक खाद्य पदार्थों में कटौती करने में मदद मिल सकती है।

अनियमित या लंबे समय तक दर्द के साथ पीरियड्स का रहना PCOS का सबसे आम संकेत है. जैसे, साल में 9 पीरियड्स से कम होना, दो पीरियड्स के बीच में 35 दिनों से ज्यादा का अंतराल और असामान्य रूप से बहुत ज्यादा पीरियड होना.

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व्यायाम – प्राणायाममध्यम शारीरिक गतिविधि: 30 से 45 मिनट के लिए तेज चलनासप्ताह में कम से कम पांच दिन या हर रोज 10,000 कदम चलना जरूरी है। गति हेतु एक साधारण नियम है कि मौन रहकर इतना तेज चलें कि चलते हुए सांस न चढ़ेलेकिन अगर उसी गति से चलते हुए बात करें तो संस चढ़ने लगेयह हर व्यक्ति हेतु थंब रूल कहा जा सकता है।

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बेहतर नींद – छह से आठ घंटे कि नींद आवश्यक है। इससे आपका हृदय रिलैक्‍स होता है और लंबे समय तक स्‍वस्‍थ रहता है।

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स्ट्रेस प्रबंधन – ध्यान मेडिटेशनसोशलसर्विसगेम क्लब आदि मेल-मिलापसैर-सपाटा परिजनों के साथ भोजन व वक्त देना आपकी हार्ट हेल्‍थ के लिए फायदेमंद है। अपनी पसंद की किताबें पढ़ना और सकारात्‍मक विचार रखना भी आपको ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से बचा सकते हैं।

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उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण – आपका ब्‍लड प्रेशर दवा से या बिना दवा के 140/90 से नीचे ही होना चाहिए। हाई ब्‍लड प्रेशर हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नियंत्रण – जहां खराब कोलेस्ट्रॉल या कम घनत्व कोलेस्ट्रॉल कम होना चाहिएवहीं गुड कोलेस्‍ट्रॉल भी मेंटेन रहना चाहिए। यह 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर तक ही सुरक्षित है।

मोटापा न आने दे – आदर्श शरीर के वजन को बनाए रखेंजिसका मतलब है कि बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई 30 से कम होना चाहिए।

मोटापा दूर करे – मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।

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5 नींद – कीवी की नींद को बढ़ावा देने वाले प्रभावों को सेरोटोनिन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सेरोटोनिन एक मस्तिष्क रसायन है जो आपके स्‍लीप साइ‍कल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, कीवी में एंटी इंफ्लामेटरी जैसे कि विटामिन सी और कैरोटीनॉयड होते हैं। ये नींद को बढ़ावा देने वाले प्रभावों को प्रेरित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

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बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।

भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

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