अगर आपने इन हरी सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा बना लिया तो वजन घटाना बहुत आसान हो जाएगा.
अगर आपने इन हरी सब्जियों को अपनी डाइट का हिस्सा बना लिया तो आपके लिए वजन घटाना वाकई बहुत आसान हो जाएगा. इन सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो नॉन-वेज खाने से कहीं ज्यादा फायदेमंद हैं.
इनके इस्तेमाल से मेटाबॉलिज्म बढ़ने के साथ ही शरीर भी दिनभर एक्टिव रहता है. विशेषज्ञों की मानें तो दिन के समय हरी सब्जियों का सेवन बहुत फायदेमंद होता है. इससे शरीर दिनभर स्फूर्तिवान बना रहता है. जानिए ये सब्जियां कौन सी हैं:
1. मेथी का साग
एक कप पानी में मेथी की कुछ पत्तियों को डालकर 10 मिनट तक उबाल लें. इस पानी को छान कर सुबह खाली पेट पीजिए. यह पानी बहुत तेजी से कैलोरी घटाता है.
2. वेट कण्ट्रोल टी
खाली पेट वेट कण्ट्रोल टी पीना स्वास्थ्य के लिए तो अच्छा है ही, इससे मोटापा भी नियंत्रित होता है.
3. हरी चीजें
अगर आप वाकई चाहते हैं कि आपका वजन जल्दी कम हो जाए तो नियम से एक बाउल हरी चीजें खाने की आदत डालिए. आप चाहें तो इसमें ब्रॉकली, पत्तागोभी, खीरा और सलाद पत्ता शामिल कर सकते हैं. अगर आप इसे सलाद बनाकर खा रहे हैं तो इसमें कुछ मात्रा दही की भी मिला दें. आप चाहें तो इसमें नींबू का रस भी मिला सकते हैं.
4. पत्तागोभी का जूस
वजन घटाने के लिए पत्तागोभी का जूस बहुत ही फायदेमंद है. अगर आप इसका जूस नहीं पी सकते हैं तो इसे उबालकर भी खा सकते हैं. यह जूस फैट कम करने के साथ ही इम्यूनिटी भी बढ़ाता है.
5. स्प्राउट्स
अगर आप वाकई वजन घटाने को लेकर चिंतित हैं तो स्प्राउट्स का इस्तेमाल आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा. आपको कच्चे स्प्राउट्स पसंद नहीं है तो इनको हल्की भाप में पका कर भी ले सकते हैं.
6. पालक
सप्ताह में दो बार पालक का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद है. पालक में पर्याप्त मात्रा में विटामिन के और कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों और दांत के लिए काफी फायदेमंद है. आप चाहें तो पालक की पत्तियों को उबालकर या फिर इसका जूस निकालकर भी इसे इस्तेमाल में ला सकते हैं.
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बॉलीवुड की सबसे मुखर आइटम गर्ल राखी सावंत मौजूदा माहौल को अपनी साफगोई से बयान करती हैं: ‘जो चीजें गॉड नहीं देता, वो डॉक्टर देता है.’ वे अपने करियर को परवान चढ़ाने के लिए बड़े ब्रेस्ट चाहती थीं लेकिन जिस हल्केपन के साथ वे इसके साथ पेश आईं, उसने पूरे देश को ही स्तब्ध कर दिया. उन्होंने ब्रेस्ट सर्जरी को सामान्य, जोखिम से परे और जरूरी सर्जरी के तौर पर पेश किया. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया कि उन्हें अमेरिका में सर्जरी के लिए तीन लाख रु. की जरूरत थी, जिसे उन्होंने डांस करके कमाया और फिर इंडस्ट्री में उन्हें अपने आकर्षक अंगों के कारण पहचाना जाने लगा. बात यहीं खत्म नहीं होती. महीने भर में ही उन्होंने इन्हें निकालने की बातें करनी शुरू कर दीं क्योंकि टीवी के एक रियलिटी डांस शो की रिहर्सल के दौरान उन्हें इनसे मुश्किल होती थी. राखी और पूनम प्रतीकात्मक रोल मॉडल हैं. अकसर युवतियां डॉक्टर के पास जाते समय संदर्भ के तौर पर इनकी तस्वीरें ले जाती हैं. दिल्ली के अपोलो अस्पताल के डॉ. अनूप धीर कहते हैं, ‘बीसेक साल की लड़कियों में वक्ष को बड़ा करने वाली सर्जरी काफी लोकप्रिय है. इसे निवेश के तौर पर देखा जाता है जो लड़की को विवाह के बाजार की प्रतिस्पर्धा में कुछ खास बना देता है. अकसर यह भाई की ओर से उपहार होता है, और माता-पिता भी पीछे नहीं हैं. मेरे पास ऐसे भी पिता आते हैं, जो अपनी बेटियों को साथ लाते हैं.’
वक्षस्थल पर फोकस एकदम से बढ़ा है. रोजगार बाजार के जानकार बताते हैं कि अब औसत से ज्यादा सुंदर लोग उन लोगों की अपेक्षा अधिक कमाते हैं जो औसत से कम सुंदर हैं. समाजशास्त्री दावा करते हैं कि समाज उन लोगों के साथ दूसरों से अधिक सयाने, यौन रूप से अधिक सक्रिय, अधिक धनी और अधिक खुश रहने जैसी सकारात्मक बातें जोड़ देता है जो सुंदर दिखते हैं. इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि कॉलेज, कॉर्पोरेट फर्म और मॉल्स से जुड़े 1,300 मध्यवर्गीय लोगों के बीच कराए गए मैक्स हॉस्पिटल सर्वे-2012 में एस्थेटिक सर्जरी की स्वीकार्यता अभी तक सबसे ज्यादा रही है. 40 फीसदी इसे अपने लुक में इजाफा करने का सही जरिया मानते हैं; 64 फीसदी इस बात से सहमत हैं कि अच्छा लुक आत्मविश्वास बढ़ाता है; 36 फीसदी का दावा है कि अगर उनकी जेब को रास आए तो वे खुशी-खुशी एस्थेटिक सर्जरी चुनेंगे; 53 फीसदी कहते हैं कि अगर उनका साथी ऐसी सर्जरी कराना चाहेगा तो वे उसका साथ देंगे.
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मुंबई में बेहद व्यस्त पेशेवरों के लिए लंच टाइम ‘बूब जॉब’ यानी कम समय में स्तनों को तराशने की सेवा चलन में है. ब्रीच कैंडी अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. मोहन थॉमस नियमित रूप से ऐसी ब्रेस्ट ऑगमेंटेशन प्रक्रिया मुहैया कराते हैं जिसमें 24 घंटे के भीतर व्यक्ति सामान्य रूप से काम पर लौट सकता है. उनका कहना है, ‘अपने काम पर जल्द से जल्द लौटना हमारे अधिकतर मरीजों की प्राथमिकता रहती है.’ पूरी प्रक्रिया को खत्म करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है. चेन्नै के पोरूर में स्थित रामचंद्र हॉस्पिटल की डॉ. ज्योत्सना मूर्ति कहती हैं, ‘हम उन्हें महीने भर तक शरीर के ऊपरी हिस्से के व्यायाम या ब्रेस्ट पर जोर न डालने की सलाह देते हैं.’
डॉक्टरों का कहना है कि ब्रेस्ट सर्जरी में आए उछाल में 30 फीसदी हिस्सा 30 वर्ष से अधिक उम्र की औरतों का है जो गर्भावस्था और स्तनपान के कारण अपने स्तनों के सौंदर्य को खो बैठी हैं. चंडीगढ़ की एक मां का उदाहरण देखिएः जिस दिन वे 40 वर्ष की हुईं, उन्होंने खुद को आईने में देखा. फिर कॉस्मेटिक सर्जन के पास जाने का फैसला किया. उनके फैसले में कुछ भी नाटकीय नहीं था, बस देर से जागने वाली बात थी. उनके पास सब कुछ थाः कॉर्पोरेट सीढ़ी पर तेजी से चढ़ता एक चाहने वाला पति, दो प्यारे से बच्चे और ऐसा घर जिसे देखकर कोई भी रश्क करे. लेकिन लोगों का उन्हें घूरना कतई पसंद नहीं था. वे कहती हैं, ‘अपने बच्चों को स्तनपान कराने के कारण मेरे स्तन लटक गए थे. मेरे लिए यह असुरक्षा की मुख्य वजह थी.’ फिर उन्होंने ‘ममी मेकओवर’ कहे जाने वाले काम के लिए डॉक्टर के चैंबर का रुख किया. यह जीवन को बदलने वाला अनुभव था, और इसके लिए उन्होंने अपने पति को 5 लाख रु. खर्च करने के लिए राजी भी कर लिया.
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डेढ़ लाख रु. से ढाई लाख रु. की लागत के बावजूद ब्रेस्ट सर्जरी को लेकर पुरानी हिचक अब खुशी के सबब में तब्दील हो रही है. इसकी मुख्य वजह भारत में आ रही समृद्धि और वैश्विक रुझान हैं, जिसके चलते नई तकनीकों का जन्म हो रहा है और प्रशिक्षित पेशेवरों की एक टीम पूरी तरह से तैयार है. अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से मंजूर नई पीढ़ी के इम्प्लांट बाजार में आ रहे हैं. अब इम्प्लांट्स सिलिकॉन पाउच से लेकर सेलाइन बैग तक (जो देखने में पानी के गुब्बारे जैसा लगता है) और दोनों के मिश्रण वाले सिलिकॉन में आ रहे हैं, जिनके फटने या आकार खोने की संभावना कम रहती है. ऐसे भी इम्प्लांट हैं जो ताउम्र चल सकते हैं. नकली स्तनों को एकदम प्राकृतिक जैसा दिखाने के लिए परिष्कृत सर्जिकल प्रक्रियाएं आ रही हैं. डॉ. चौधरी कहते हैं, ‘ताजा रुझान स्तनों को बड़ा आकार देने के लिए मरीज की अपनी ही चर्बी का प्रयोग है.’
ब्रेस्ट सर्जरी ओ.पी.डी प्रक्रिया नहीं है. यह सर्जरी है, और इसके साथ भी वैसे ही खतरे जुड़े हुए हैं जो अन्य किसी सर्जरी में होते हैं. वक्ष को बढ़ाने संबंधी प्रक्रिया कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकती है, खासकर उस समय जब कोई अनाड़ी प्रेक्टिशनर इसे अंजाम दे. जैसा डॉक्टर दावा करते हैं क्या भारत में कोई खतरा नहीं है? एक ऐसा देश जहां कॉस्मेटिक सर्जरी से जुड़ी प्रक्रियाओं का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, वहां क्या कोई सुरक्षा की गारंटी दे सकता है? क्या मरीजों को ब्रेस्ट सर्जरी से जुड़े खतरों के बारे में आगाह किया जाता है. 25-40 फीसदी मरीजों को पहली सर्जरी को सही रखने के लिए कई बार सर्जरी करवानी पड़ती है जो लीक होने, फटने, दर्द, असहजता या अवधि खत्म हो चुके इम्प्लांट से निबटने से जुड़ी होती हैं? इम्प्लांट की उम्र 10 साल की होती है.
भारत आने वाले सस्ते इम्प्लांट को लेकर भी चिंता बढ़ती जा रही है. विशेषज्ञ कहते हैं कि आदर्श स्थिति तो यह है कि सभी इम्प्लांट को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मंजूरी मिलनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है. छोटे क्लीनिकों में इस्तेमाल होने वाले चाइनीज इम्प्लांट संदेह के दायरे में हैं. स्वास्थ्य को लेकर जनवरी से एक बड़ी खबर फैली हुई है कि सस्ते फ्रांसीसी इम्प्लांट से दुनियाभर की लाखों औरतों को कैंसर हो सकता है. यूरोप में एक लाख से ज्यादा औरतें हैं जो फ्रांसीसी कंपनी पॉली इम्प्लांट प्रोथीज (पीआइपी) के इम्प्लांट्स का इस्तेमाल कर रही हैं. पीआइपी के इम्प्लांट में इंडस्ट्रियल ग्रेड के सिलिकॉन भरे गए हैं.
सबसे पहली ब्रेस्ट इम्प्लांट सर्जरी टिमी ज्यां लिंड्से पर 1962 में हुई थी. उन्हें बताया गया था कि नए और सुधरे हुए वक्ष उनके लिए खुशियां लेकर आएंगे. वे अपने हिस्से का जलवा लूट चुकी हैं लेकिन 50 साल तक सिलिकॉन इम्प्लांट को सीने में रखने के बाद लगातार सख्त होने वाले इम्प्लांट के कारण वे 75 साल की उम्र में दर्द का इजहार करने से चूकती नहीं हैं. लिहाजा, यह कहने का वक्त आ गया है कि अब और किसी को टिमी न बनने दिया जाए.
गठिया के कारण
आयुर्वेदिक वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी के अनुसार, ‘गठिया एक वात रोग है जिसका कारण कॉन्सटिपेशन, गैस, एसिडिटी, अव्यवस्थित जीवनशैली और अनियमित खान-पान आदि में से कुछ भी हो सकता है। कई बार शारीरिक श्रम कम होने और मानसिक श्रम अधिक होने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।
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