गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणेश जी अपने भक्तों की हर कष्ट से रक्षा करते हैं हर कार्य के विघ्न, बाधाओं कर दूर करते हैं। गणेश जी बुद्धि के देवता है उनकी पूजा करने से बुद्धि तेज होती है। कहते हैं कि गणेश जी की कृपा जिस पर हो जाए तो उसका मंगल ही मंगल होता है। भादप्रद माह में चतुर्थी तिथि को गणेश उत्सव मनाया जाता है, यह दिन गणेश जी के जन्मदिवस के रुप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन जो लोग अपने घर बप्पा को लेकर आते हैं और विधि-विधान से पूजन करते हैं तो बप्पा उनकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। आप भी अपनी मनोकामना के अनुसार कुछ उपाय कर सकते हैं, जिससे गणेश जी प्रसन्न होकर आपकी हर मनोकामना को पूरा करते हैं। आइए जानते हैं…

अगर आप किसी कारण से मानसिक रुप से परेशान हैं या आप शांति का अनुभव नहीं कर पा रहे हैं तो आपको गणेश अथर्वशीष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ शांति प्रदान करने वाला है।

अगर आप किसी कारण से मानसिक रुप से परेशान हैं या आप शांति का अनुभव नहीं कर पा रहे हैं तो आपको गणेश अथर्वशीष का पाठ करना चाहिए। यह पाठ शांति प्रदान करने वाला है।

गणेश जी गजमुख हैं, जिसके कारण उन्हें गजानन कहा जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन हाथी को हरा चारा खिलाना चाहिए। इससे प्रसन्न होकर गणेश जी आपकी में बार-बार आने वाली परेशानियां दूर करते हैं, और सारे संकटो से आपकी रक्षा करते हैं। इस दिन गणेश मंदिर में जाकर दर्शन और प्रार्थना करनी चाहिए।

पैसों की तंगी को दूर करने के लिए शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाना चाहिए, भोग लगे हुए गुड़, घी को गाय को खिलाएं। यह उपाय चतुर्थी के दिन से शुरु करके अनंत चतुर्दशी तक करें। इस उपाय को करने से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर होने लगेंगी। घर में पैसों का संचयन भी होगा।

अगर व्यापार में  तरक्की या नौकरी में प्रमोशन पाना चाहते हैं, तो गणेश चतुर्थी पर पीले रंग के बप्पा की प्रतिमा को अपने लेकर आएं, उनका पूजन करें और पांच हल्दी की गांठे गणेश जी को अर्पित करें, साथ ही गांठे अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण भी करें।

श्री गणाधिपतये नम:

साथ ही गणेश चतुर्थी के दिन श्री गजवकत्रम नमो नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए गणेश जी को 108 दूर्वा की गांठो पर गीली हल्दी लगाकर चढ़ाएं। यह उपाय पूरे गणेश उत्सव के दिनों यानि दस दिनों तक करने से तरक्की के योग बनते हैं.

अगर विवाह में बाधाएं आ रही हैं या शादी के लिए कोई सुयोग्य लड़का या लड़की नहीं मिल पा रही है, तो गणेश जी को गुड़ की 21 गोलियां और दूर्वा अर्पित करनी चाहिए, इससे विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।

सही समय पर उठने के लिए अच्छी नींद लेने की आवश्यकता है। इसलिए देर रात तक मूवी न देखें, बात न करें, लेट नाइट पार्टी या डिनर न करें। अगर आप नौकरी पेशा वाले हैं तो भी रात में 10 बजे तक सो जाने की कोशिश करें।

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4. संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

5. डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।

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इन दो दवाईयों को मुख्य रूप से डिप्रेशन के इलाज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर देते हैं। इसके अलावा भी कई दवाईयां और उपचार हैं, जो कि डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति की अवस्था को देखने के बाद ही लेने की सलाह देता है।

6. काउंसलिंग जरूर कराएं- डिप्रेशन से परेशान व्यक्ति को काउंसलिंग जरूर करानी चाहिए। दवाईयों से ज्यादा असरदार काउंसलिंग होती है। इसलिए आपको अपने भीतर लक्षणों को देखने के बाद मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करानी चाहिए। इसके लिए शर्म-संकोच न करें और न ही घबराएं। बिना देरी किए हुए ही डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताएं।

7. जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें। 

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

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मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड) – अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दालचीनी – दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स काफी होते हैं। ये पॉलीफिनोल्स एक मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व होते हैं, इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।

नीलबदरी के पत्ते – आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्ते का उपयोग मधुमेह के उपचार में सदियों से होता रहा है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के मुताबिक इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस काफी मात्रा में होते हैं जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज़ को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।

सहजन के पत्ते – सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है। इसके पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैलशियम और दो गुना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के रोगियों द्वारा सहजन के पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।

करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

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सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.

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