इस टेक्नीक का नाम है एग फ्रीज़िंग
औरतों के शरीर में होती हैं ओवरीज़ और यूटरस. ओवरीज़ का काम होता है एग्स बनाने का, जिनमें हर महीने एक अंडा बनता है. ये अंडा पीरियड के 12-14 दिन में ओव्यूलेट होता है. इस दौरान अगर अंडा पुरुष के स्पर्म से फर्टिलाइज़ हो जाए तो औरत प्रेग्नेंट होती है. फर्टिलाइजेशन के बाद शुरू होता है यूटरस का काम. यूटरस में हर महीने एक लाइनिंग बनती है एंडोमेट्रियम कहते हैं. इसी एंडोमेट्रियम में भ्रूण बनता है और डेवलप होता है.
फर्टिलाइज़ नहीं होने पर एग यूटरस की लाइनिंग में डिसॉल्व हो जाता है. और उसके 12-14 दिन बाद ये लाइनिंग झड़कर वजाइना के रास्ते बाहर आती है. और औरतों को पीरियड्स होते हैं.
एग फ्रीज़िंग में ओव्युलेशन पीरियड के दौरान अंडे को शरीर से निकालकर फ्रीज़ कर दिया जाता है. ये अंडा कितने भी सालों तक ऐसे ही रखा जा सकता है. इसकी क्वालिटी वैसी की वैसी बनी रहती है. और बाद के सालों में जब औरत मां बनने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो तब वो इस अंडे की मदद से मां बन सकती है.
ये कुछ-कुछ बैंक के लॉकर में सोना रखने जैसा है. लॉकर में सोने के सुरक्षित रहने की संभावना कहीं ज्यादा होती है. तो उसे हम वहां रखते हैं और ज़रूरत पड़ने पर सोना लॉकर से निकालकर हम पहन लेते हैं. इस लॉकर के लिए हम हर महीने या सालाना तौर पर कुछ किराया देते हैं.
एग फ्रीज़िंग को मेडिकल टर्म्स में ऊसाइट क्रायोप्रिज़र्वेशन कहते हैं. इसे लेकर ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की डॉक्टर प्रियंका से. वो दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में IVF डिपार्टमेंट में प्रैक्टिस करती हैं. एग फ्रीज़िंग से जुड़े हमारे सवालों के जवाब उन्होंने दिए.
क्यों करवाते हैं एग फ्रीज़िंग?
तीन सबसे कॉमन वजहें हैं जिनकी वजह से लोग एग फ्रीज़ करवाते हैं.
1- अगर किसी महिला या लड़की को कैंसर डिटेक्ट हुआ है. कैंसर के इलाज यानी कीमोथैरेपी और रेडिएशन महिला की ओवरीज़ की सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं. कैंसर के इलाज के बाद कई पेशेंट्स में ओवेरियन फेलियर की शिकायत आती है. ऐसे में कैंसर से जूझ रही महिलाएं ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले अपने एग्स फ्रीज़ करवा लेती हैं. ताकि कैंसर से ठीक होने के बाद जब वो मां बनना चाहें तो उन्हें कोई परेशानी न हो.
2- ओवरीज़ में उम्र के साथ ओव्युलेशन के दौरान क्रोमोज़ोमल एनामलीज़ बढ़ती है. ऐसे में 35-40 की उम्र के बाद कंसीव करने में दिक्कत आती है. कंसीव कर भी लें तो मिसकैरिएज का खतरा ज्यादा रहता है. इसी वजह से वो औरतें जो बच्चा करना चाहती हैं, लेकिन उनके पार्टनर नहीं हैं, या वो औरतें जो बाद में बच्चा करने के इच्छुक हैं वो अपने एग्स फ्रीज़ करवाती हैं.
3- जो महिलाएं IVF ट्रीटमेंट करवा रही होती हैं, महीने के साइकल के हिसाब से जिस दिन उनका एग और उनके पार्टनर का स्पर्म लेकर फर्टिलाइज़ करना होता है, अगर उस दिन उनके पार्टनर सैम्पल नहीं दे पाए, तो उस केस में महिला का एग निकालकर फ्रीज़ कर लिया जाता है. ताकि जब उनके पार्टनर सैम्पल दें तब फर्टिलाइज़ करके एम्ब्रयो (भ्रूण) बनाया जा सके.
कैसे करते हैं Egg Freezing?
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इसका प्रोसेस IVF जैसा ही है. इसमें पीरियड के दूसरे दिन से महिला को इंजेक्शंस दिए जाते हैं. ओव्युलेशन इंड्यूस करने के लिए. यानी ओव्यूलेशन बढ़ाने के लिए. इसके बाद अल्ट्रासाउंड से चेक करते हैं कि कितने फॉलिकल बन रहे हैं. 9 से 12 दिन में अंडे रिट्राइव करने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके बाद पेशेंट को एक और इंजेक्शन दिया जाता है. ये HCG इंजेक्शन होता है, जिससे एग्स निकाले जाने के लिए मैच्योर होते हैं. इस इंजेक्शन के 36 घंटों बाद महिला को एनिस्थीशिया देकर एग्स निकाले जाते हैं.
फ्रीज़ किए हुए एग्स का सक्सेस रेट क्या होता है?
डॉक्टर प्रियंका बताती हैं कि अगर कोई महिला अपने पार्टनर के साथ एग फ्रीज़ करवाने पहुंचती हैं तो उन्हें एग की जगह भ्रूण फ्रीज़ करवाने की सलाह दी जाती है. ऐसा इसलिए कि भ्रूण से बच्चा पैदा होने का सक्सेस रेट एग्स की तुलना में अधिक है.
वो बताती हैं कि एग्स फ्रीज़ करने के केस में ये रिस्क भी रहता है कि जो अंडा फ्रीज़ हुआ है, वो स्पर्म से मिलने के बाद भी फर्टिलाइज़ नहीं हो पाया तो? हालांकि, ये रिस्क उम्र बढ़ने के बाद कंसीव नहीं कर पाने के रिस्क से कम है. क्योंकि फ्रीज़िंग से पहले एग्स का क्वालिटी चेक होता है और केवल एक एग फ्रीज़ नहीं किया जाता है.
अब आते हैं कीमत पर?
डॉक्टर प्रियंका बताती हैं एग फ्रीज़ करने का प्रोसेस अभी भी इंडिया में खासा महंगा है. ओव्युलेशन इंड्यूस करने के लिए जो इंजेक्शन दिए जाते हैं उनकी कीमत ही करीब 50 से 60 हज़ार की पड़ती है. इसके बाद एग्स निकालने की प्रोसेस का खर्च अस्पताल-अस्पताल पर निर्भर करता है. इसके अलावा, फ्रोज़ेन एग्स को जिन लैब्स में रखा जाता है वहां भी रेंट देना होता है. जिस लैब में एग रखा होता है वहां साल दर साल मेंबरशिप रिन्यू भी करवानी पड़ती है.