नौ ग्रहों में सबसे खतरनाक गुस्सा शनिदेव का माना जाता है। लोग इन्हें शांत रखने के लिए न जाने क्या-क्या उपाय करते हैं। कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में यह ग्रह गलत भाव में होता है, उसके कष्टों की कोई सीमा नहीं होती है। मगर अच्छे भाव में इनकी मौजूदगी व्यक्ति को हर सुख और वैभव से संपन्न भी बना देती है।

शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग शनिवार को मंदिर में पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाते हैं या तेल का दीपक जलाते हैं। कुछ लोग शनि की शिला पर तेल चढ़ाते हैं, काला कपड़ा, काला तिल या काली उरद की दाल का दान भी करते हैं। मगर एक सच यह भी है कि यह देव आसानी से प्रसन्न नहीं होते हैं। इन्हें खुश करने के लिए कई उपाय करने पड़ते हैं।

आइए जानते हैं क्या हैं यह उपाय

1. शनिवार के दिन कौवों को काले गुलाब जामुन खिलाएं और शनि चालिसा का पाठ करें।

2. शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी में सरसों का तेल लगाकर खिलाएं, ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होंगे। शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए यूं आज भी काले कुत्ते को रोज रोटी खिला सकते हैं।

3. शनिदेव बजरंगबलि की पूजा करने से शांत होते हैं। एक ही दिन शनि देव और बजरंग बली दोनों को प्रसन्न कर सकते हैं। शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत और पूजा करें और शाम को हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनिदेव का प्रकोप टल जाता है।

4. शनि देव को काले रंग से बहुत प्रेम है और वे वैसी ही वस्तुएं, वैसे ही पशु और वैसी ही जगह पसंद करते हैं। इसलिए यथा संभव शनिवार को काले रंग के पशु-पक्षियों को भोजन करवाएं, काली चीजों या लोहे की वस्तु का दान करें।

5. शनिवार के दिन एक कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखें और वो तेल किसी जरूरतमंद को दान कर दें। शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में शनि चालिसा, शनि मंत्र और शनि जी की आरती गाएं।

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4. संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

5. डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।

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इन दो दवाईयों को मुख्य रूप से डिप्रेशन के इलाज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर देते हैं। इसके अलावा भी कई दवाईयां और उपचार हैं, जो कि डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति की अवस्था को देखने के बाद ही लेने की सलाह देता है।

6. काउंसलिंग जरूर कराएं- डिप्रेशन से परेशान व्यक्ति को काउंसलिंग जरूर करानी चाहिए। दवाईयों से ज्यादा असरदार काउंसलिंग होती है। इसलिए आपको अपने भीतर लक्षणों को देखने के बाद मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करानी चाहिए। इसके लिए शर्म-संकोच न करें और न ही घबराएं। बिना देरी किए हुए ही डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताएं।

7. जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें। 

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

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मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड) – अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दालचीनी – दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

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सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.

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