पुराणों के अनुसार एक बार अपने पति विष्णु से नाराज होकर देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर वास करने आ गईं थीं. पृथ्वी पर वह गोदावरी नदी के किनारे एक आश्रम में रहने लगीं और एक दिन अपनी पत्नी की तलाश करते हुए भगवान विष्णु स्वयं धरती पर आकर शेषाद्रि नदी के समीप पहाड़ी पर रहने लगे. विष्णु और लक्ष्मी के बीच इस अलगाव की वजह से भगवान शिव और ब्रह्मा भी बहुत परेशान थे, इसलिए उन्होंने इस मसले में हस्तक्षेप करने का निश्चय किया. गाय और बछड़े का रूप धरकर वे चोल राजा के यहां रहने लगे. ग्वाला उन दोनों को रोज शेषाद्रि नदी के किनारे घास चराने ले जाता था, जहां विष्णु बिना किसी जीविका के साधन के वास कर रहे थे. गाय रूपी भगवान ब्रह्मा अपना सारा दूध विष्णु को दे आते थे. ग्वाला यह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसकी गाय का दूध जा कहां रहा है. एक दिन गाय का पीछा करता हुआ शेषाद्रि नदी के समीप पहाड़ी पर पहुंच गया जहां विष्णु का वास था. ये जानने की कोशिश में कि पहाड़ी के भीतर कौन है, उसने अपनी कुल्हाड़ी उस पहाड़ी पर मारी जो विष्णु जी को लग गई.

अपने शरीर से बहते खून को रोकने के लिए भगवान विष्णु जड़ी-बूटियों की खोज में भगवान वराहस्वामी, जो सुअर के रूप में विष्णु के तीसरे अवतार थे, की समाधि के पास पहुंच गए. जहां उन्हें वास करने की आज्ञा मिल गई और वो भी इस शर्त पर कि विष्णु के सभी भक्त उनसे पहले वराहस्वामी की पूजा करेंगे. विष्णु वहीं अपना आश्रम बनाकर रहने लगे और एक दिन वकुलादेवी नाम की महिला उस आश्रम में आई, जिन्होंने एक मां की तरह उनकी देखभाल की. राजा आकाश राजन की अपनी कोई संतान नहीं थी और एक दिन उन्हें बागीचे में एक छोटी बच्ची मिली, जिसे उन्होंने अपनी बेटी बना लिया और नाम रखा पद्मावती. पद्मावती बेहद शालीन और खूबसूरत थी. पद्मावती को ये वरदान प्राप्त था कि उनका विवाह भगवान विष्णु से होगा. वकुलादेवी ने विष्णु का नाम श्रीनिवासन रखा था, एक दिन बहुत प्यास लगने की वजह श्रीनिवासन तालाब के किनारे पानी पीने गए जहां उन्होंने पद्मावती को देखा और उसकी सुंदरता पर मोहित हो गए.

पद्मावती को भी विष्णु भा गए लेकिन लोगों ने उन्हें एक आम शिकारी समझकर वहां से भगा दिया. बाद में विष्णु जी ने वकुलादेवी को अपनी हकीकत बताई और कहा कि वह स्वयं जाकर पद्मावती के पिता राजा आकाश राजन से बात करे. संतों और ज्योतिषाचार्यों से बात कर राजा ने दोनों के विवाह का मुहूर्त वैशाख से 13वें दिन का निकलवाया. श्रीनिवासन ने कुबेर से 14 लाख सोने के सिक्के उधार लेकर शादी के इंतजाम किए और पद्मावती के साथ परिणय सूत्र में बंध गए.

लक्ष्मी जी भी श्रीनिवासन के दायित्वों और उनकी प्रतिबद्धता को समझ गईं और दोनों के बीच हस्तक्षेप ना कर सदैव के लिए विष्णु जी के दिल में रहने का निश्चय किया.

नींद नहीं आना, depression, घबराहट, बेचैनी, स्ट्रेस को दूर करने के लिए घर बैठे आयुर्वेदिक Dr Nuskhe Stress Relief kit मूल्य 698rs ऑर्डर करने के लिए click करें https://waapp.me/wa/ZoxQDeYH

4. संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

5. डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।

अश्वगंधारिष्ट , सारस्वतारिष्ट

इन दो दवाईयों को मुख्य रूप से डिप्रेशन के इलाज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर देते हैं। इसके अलावा भी कई दवाईयां और उपचार हैं, जो कि डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति की अवस्था को देखने के बाद ही लेने की सलाह देता है।

 काउंसलिंग जरूर कराएं- डिप्रेशन से परेशान व्यक्ति को काउंसलिंग जरूर करानी चाहिए। दवाईयों से ज्यादा असरदार काउंसलिंग होती है। इसलिए आपको अपने भीतर लक्षणों को देखने के बाद मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करानी चाहिए। इसके लिए शर्म-संकोच न करें और न ही घबराएं। बिना देरी किए हुए ही डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताएं।

 जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें। 

डॉ नुस्खे गिलोय घर बैठे आर्डर करने के लिए क्लिक करें मूल्य 249rs 150gm – All इंडिया डिलीवरी whatsapp no 7455896433  https://chatwith.io/s/5f92840c5ab15

डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

बड़ी हुई शुगर को आयुर्वेद से नियमित करने के लिए घर बैठे आर्डर करें डॉ नुस्खे शुगर नाशक किट

गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

महिलाओं में सफ़ेद पानी (प्रमेह) की समस्या को दूर करने की आयुर्वेदिक डॉ नुस्खे नारी यौवन पाक किट मूल्य आर्डर करने के लिए क्लिक करें https://chatwith.io/s/5f6209864ec52

http://www.ayurvedastreet.com/

मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड) – अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

दालचीनी – दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स काफी होते हैं। ये पॉलीफिनोल्स एक मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व होते हैं, इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।

नीलबदरी के पत्ते – आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्ते का उपयोग मधुमेह के उपचार में सदियों से होता रहा है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के मुताबिक इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस काफी मात्रा में होते हैं जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज़ को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।

सहजन के पत्ते – सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है। इसके पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैलशियम और दो गुना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के रोगियों द्वारा सहजन के पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।

करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

https://rebrand.ly/gallbladderstonemedicine

पित्त की थैली के उपचार की आयुर्वेदिक दवाई मंगवाने के लिए WhatsApp 7455896433 करें

सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.

अस्थमा ( दमा), साँस की तकलीफ की आयुर्वेदिक उपचार दवाई घर बैठे प्राप्त करने के लिए Whatsapp करें या लिंक पर क्लिक करें

https://chatwith.io/s/5f6ee18483089

// If comments are open or we have at least one comment, load up the comment template.