सालभर में 24 एकादशी होती हैं. पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है. पहली पौष माह में और दूसरी श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में. पौष के महीने में पड़ने वाली इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी  के नाम से भी जाना जाता है. इस बार ये 24 जनवरी को पड़ रही है. ये व्रत संतान प्राप्ति की चाह रखने वालों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. जानें व्रत से जुड़ी खास जानकारी.

दशमी की रात से लागू होते हैं नियम

अगर आप इस व्रत को रखना चाहते हैं तो दशमी यानी 23 जनवरी को सूर्यास्त के बाद से ही इसके नियम शुरू हो जाते हैं. दशमी को सूर्यास्त से पहले ही रात का भोजन कर लें. इसके बाद भोजन करने की मनाही होती है. रात में भगवान विष्णु का ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प मन में लेकर सोएं और सुबह तिल के तेल का शरीर पर लेप करें फिर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. इसके बाद पूजा घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाएं और हाथ में पुष्प, अक्षत और दक्षिणा लेकर मुट्ठी बंद करें और व्रत का संकल्प लें. उसके बाद पुष्प प्रभु के चरणों में छोड़ दें.

अब भगवान की प्रतिमा पर जल आदि अर्पित करें और नए वस्त्र पहनाएं. फिर धूप, दीप, पुष्प, दक्षिणा आदि अर्पित कर नैवेद्य चढ़ाएं. उसके बाद एकादशी की कथा का पाठ करें. पूजन के बाद प्रसाद वितरित करें और ब्राह्मण को सामर्थ्य के अनुसार दान करें. पूरे दिन निराहार रहें व शाम में फलाहार लें. दिनभर भगवान का मनन करें. रात में भगवान का भजन कीर्तन करें और दूसरे दिन ब्राह्मण को भोजन खिलाकर ही अपना व्रत खोलें.

इन नियमों का भी पालन करें

बड़ों और बुजुर्गों का सम्मान करें. किसी के साथ दुर्व्यवहार न करें और न ही किसी की चुगली करें. मन में गलत विचारों को आने से रोकें. गाली, गलौच और विवाद न करें. झूठ न बोलें. परिवार में क्लेश न करें. दशमी से लेकर व्रत के पारण तक ब्रह्मचर्य का पालन करें.

ये हैं शुभ मुहूर्त

पौष पुत्रदा एकादशी दिन रविवार 24 जनवरी 2021 को.

एकादशी तिथि प्रारम्भ : 23 जनवरी 2021 को रात 8 बजकर 56 मिनट पर.

एकादशी तिथि समाप्त : 24 जनवरी 2021 को रात 10 बजकर 57 मिनट पर.

25 जनवरी को पारण यानी व्रत खोलने का समय सुबह 7ः13 से 9ः21 बजे तक.

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