आपने शीशम के पेड़ को सड़क या बाग-बगीचे में देखा होगा। शीशम की लकड़ी बहुत मजबूत मानी जाती है। आपके घर में भी शीशम की लड़की के कई फर्नीचर बने हुए होंगे। अधिकांशतः शीशम का उपयोग उसकी मजबूत लकड़ी के लिए ही किया जाता है। लोगों को जानकारी ही नहीं है कि शीशम के लकड़ी के अलावा भी अनेक फायदे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शीशम को औषधि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है, और शीशम से लाभ लेकर कई रोगों का इलाज किया जाता है।

आपको यह जानकर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन यह सच है। शीशम (shisham tree) के औषधीय गुण से बीमारियों का इलाज संभव है। यहां शीशम के उपयोग से होने वाले फायदे के बारे में बहुत सारी जानकारियां दी गई हैं। आइए जानते हैं कि आप शीशम से किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं।

शीशम क्या है? (What is Shisham in Hindi?)

शीशम (shisham tree) की लकड़ी का प्रयोग भवनों और फर्नीचर के निर्माण में किया जाता है। इसके साथ ही शीशम के वृक्ष की लकड़ी और बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका औषधि के रूप में प्रयोग होता है। शीशम की निम्नलिखित प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता हैः-

शीशम

यह वृक्ष लगभग 30 मीटर तक ऊंचा होता है। इसकी छाल मोटी, भूरे रंग की और दरार वाली होती है। इसके फूल पाण्डुर पीले रंग के और छोटे होते हैं।

कृष्णशिंशप

यह 15-20 मीटर ऊंचा पर्णपाती वृक्ष होता है। जिसकी शाखाएं चिकनी होती हैं। इसके फूल 5-10 मीटर लम्बे गुच्छों में और मटमैले सफेद रंग के होते हैं। इसकी छाल तथा पत्तियों का उपयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

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एनीमिया में शीशम के सेवन से फायदा (Shisham Tree Medicinal Uses in Fighting with Anemia in Hindi)

एनीमिया में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है। आप शीशम के औषधीय गुण से एनीमिया में लाभ ले सकते हैं। एनीमिया को ठीक करने के लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लें। इसे सुबह और शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ होता है।

मूत्र रोग में शीशम का सेवन फायदेमंद (Sheesham Tree Uses for Urinary Disease in Hindi)

  • मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होने पर शीशम के सेवन से फायदा होता है। 20-40 मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे दिन में 3 बार पिलाएं। इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि समस्याओं में लाभ होता है।
  • इसके साथ ही 10-20 मिली पत्ते (sisam ke patte) काढ़ा का सेवन करने से भी लाभ होता है।

गोनोरिया में शीशम के सेवन से लाभ (Benefits of Sheesham Tree Leaves for Gonorrhea Disease in Hindi)

शीशम के सेवन से गोनोरिया रोग का इलाज किया जाता है। शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर पीस लें। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे गोनोरिया रोग ठीक हो जाता है।

 

दस्त में शीशम के सेवन से फायदा (Benefits of Sheesham Tree Leaves to Stop Diarrhea in Hindi)

आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का सेवन कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी और दूध मिला लें। इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर दस्त पर रोक लगती है।

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इस लेख में आयुर्वेद क्या है, आयुर्वेद के नियम, आयुर्वेदिक इलाज के फायदे, आयुर्वेदिक उपचार के प्रकार, आयुर्वेदिक दवा कैसे बनती है, आयुर्वेदिक दवा लेने के नियम, आयुर्वेदिक दवा का असर, आयुर्वेदिक दवा में परहेज के साथ आयुर्वेदिक इलाज की संपूर्ण जानकारी दी गयी है।

हैजा में शीशम के सेवन से लाभ (Sheesham Leaves Benefits to Treat Cholera in Hindi)

हैजा के इलाज में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद होता है। 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिग्रा इलायची मिलाएं। इसे पीसकर 500 मिग्रा की गोली बना लें। 2-2 गोली सुबह और शाम देने से हैजा का इलाज होता है।

गुदभ्रंश (गुदा से कांच निकल) में शीशा के सेवन से फायदा (Benefits of Shisham Tree for Prolapse of Rectum in Hindi)

आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर गुदभ्रंश ठीक होती है।

स्तनों की सूजन में शीशम के औषधीय गुण से लाभ (Shisham Tree Leaves Uses for Reduces Breast inflammation in Hindi)

  • महिलाएं स्तनों की सूजन में भी शीशम के फायदे ले सकती हैं। शीशम के पत्तों को गर्म कर स्तनों पर बांधें। इससे स्तनों की सूजन कम होती है।
  • शीशम के काढ़ा से स्तनों को धोने से स्तनों की सूजन खत्म हो जाती है।

घाव में शीशम के फायदे (Benefits of Sisam Tree for Healing Wound in Hindi)

शीशम के फायदे से घाव को भी ठीक किया जा सकता है। शीशम का तेल लेकर घाव पर लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

कैसे करें इस्तेमाल :
  • करी पत्ते को अच्छी तरह से धो लें।
  • रोज सुबह खाली पेट आठ से दस पत्तियों का सेवन करें।
  • समस्या के दिनों में यह प्रक्रिया रोजाना कर सकते हैं।
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मासिक धर्म की रुकावट में शीशम का औषधीय गुण फायेदमंद (Benefits of Sheesham Tree to Treats Menstrual Disorder in Hindi)

  • 3-6 ग्राम शीशम के सार का चूर्ण बनाएं। इसे दिन में 2 बार लेने से मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है।
  • शीशम के 20-40 मिली काढ़ा को दिन में 2 बार देने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में कमी आती है।
  • 10-15 मिली शीशम के पत्ते के रस को सुबह और शाम देने से मासिक धर्म में लाभ होता है।
  • शीशम के 8-10 पत्ते (sisam ke patte), और 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह के समय सेवन करें। कुछ ही दिनों के सेवन से मासिक धर्म में होने वाला अनियमित रक्तस्राव सामान्य हो जाता है। सर्दियों या ठण्ड के मौसम में इस प्रयोग के साथ-साथ 4-5 काली मिर्च भी प्रयोग में लेनी चाहिए। मधुमेह के रोगी बिना मिश्री के प्रयोग में लाएं।

शीशम के औषधीय गुण से ल्यूकोरिया का इलाज (Sheesham Leaves Benefits for Leucorrhoea in Hindi)

  • ल्यूकोरिया के इलाज में भी शीशम के फायदे मिलते हैं। शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है।
  • शीशम के काढ़ा से योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

सिफलिश रोग में शीशम के फायदे (Sheesham Leaves Benefits for Syphilis Treatment in Hindi)

आप सिफलिश रोग के उपचार के लिए शीशम का सेवन करेंगे तो बहुत लाभ मिलता है। 15-30 मिली शीशम के पत्ते (Sheesham leaves) के काढ़ा का सेवन करें। इससे सिफलिश (उपदंश) में लाभ होता है।

 

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