भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल तय की गई है. इसके पीछे कई कारण हैं. माना जाता है कि 18 साल में लड़कियां शारीरिक और मानसिक तौर पर परिपक्व हो जाती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट का भी कहना है कि शादी की उम्र का असर महिलाओं की सेहत पर पड़ता है. वहीं आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जल्दी शादी करने से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी देखी गई है. उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं में एनीमिया की शिकायत भी आने लगती है. पिछले 20 साल के आंकड़े बताते हैं कि एक उम्र के बाद महिलाओं में एनीमिया होने की शिकायत काफी बढ़ी है.हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि महिलाओं की सेहत का शादी से सीधा संबंध है. कम उम्र में महिलाओं में जागरूकता की कमी होती है. कम उम्र में मां बनने का महिलाओं की सेहत पर खराब असर पड़ता है. कम उम्र में लड़कियां अपनी सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक नहीं होती हैं. उन पर कई तरह का मानसिक दबाव भी होता है. रिलेशनशिप एक्सपर्ट का कहना है कि कानून के अलावा मेडिकल तौर पर भी यही मानना है कि शादी के वक्त युवती में शारीरिक और मानसिक रूप से एक समझ होना जरूरी है. इसलिए शादी कम से कम 18 साल में ही होनी चाहिए. वहीं, बच्चा 20 साल से पहले नहीं होना चाहिए.
देश के कई क्षेत्रों में जल्दी विवाह और जल्दी बच्चे पैदा करने का चलन है. इन सबके पीछे यही कारण दिया जाता है कि जवान रहते ही परिवार शुरू कर लिया जाए ताकि पूरी ऊर्जा से बच्चों की देखभाल की जा सके. हालांकि सेहत के लिहाज से एक्सपर्ट शादी को बहुत ज्यादा उम्र में भी शादी करने के पक्ष में नहीं हैं. हेल्थ एक्सपर्ट की राय है कि कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद एक-दो साल तक काम करें, खुद और दुनिया के बारे में ज्यादा से ज्यादा समझने की कोशिश करें और फिर शादी का निर्णय लें. इस उम्र में महिलाएं शारीरिक और मानसिक दोनों तौर पर शादी के लिए तैयार होती हैं.
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