कई बीमारियों का आसान उपाय हैं ये आयुर्वेदिक दवाएं
आयुर्वेदिक चिकित्सा से हमारे ऋषि-मुनियों ने कई बड़ी-बड़ी बीमारियों का अच्छी तरह उपचार किया है। यानी ऐसी अनेक गंभीर बीमारियां हैं, जिनका उपचार आयुर्वेदिक दवाओं से संभव है। ऐसी ही कुछ बीमारियों और उनके उपचार के बारे में जानकारी दे रही हैं प्राची गुप्ता प्राचीनकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने आयुर्वेद को किसी भी बीमारी के इलाज के लिए बेहतर माना। आयुर्वेद चिकित्सा सिर्फ बीमारियों को ही ठीक नहीं करती, बल्कि यह मनुष्य को जीवन जीने की कला भी सिखाती है। आयुर्वेद चिकित्सा प्रकृति का अनमोल तोहफा है। हजारों वर्षों से चली आ रही आयुर्वेद की चिकित्सा मनुष्य के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनाई जाती है। एलोपैथिक चिकित्सा से बीमारियों में तुरन्त आराम तो मिलता है, लेकिन यह निश्चित नहीं होता कि बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। लेकिन अगर बात आयुर्वेद चिकित्सा की है, तो यह निश्चित होता है कि यह रोग के कारण को समझकर उस बीमारी को जड़ से खत्म करने में सक्षम होती है और फिर वह बीमारी दोबारा नहीं होती। पैरालिसिस रोग आयुर्वेद में पैरालिसिस का अच्छा इलाज है। आयुर्वेद की कई दिव्य औषधियों एवं पंचकर्म चिकित्सा से इस रोग को ठीक किया जा सकता है। जैसे रसराज रस, वृहर्त चिंतामणि रस, योगेन्द्र रस, एकांग वीर रस, समीर पनंग रस, मुक्ता पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, अश्वगंधा चूर्ण। इसके अलावा आयुर्वेद के कुछ खास तेलों की मदद से चिकित्सक की सलाह लेकर इन औषधियों का सेवन किया जाए, तो पैरालिसिस से छुटकारा पाया जा सकता है। अश्वगंधा, मुलेठी, कालीमिर्च, गिलोय और सोंठ को बराबर मात्रा में लेकर पाउडर बना लें और सुबह-शाम शहद के साथ इसका सेवन करें।
डायबिटीज की समस्या जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी हो गई हो और काफी उपचार के बाद भी लाभ न हो पाता हो तो पीड़ित व्यक्ति को एक रत्ती फिटकरी और तीन ग्राम कबाबचीनी को गर्मपानी में मिलाकर पीना चाहिए। शिलाधिस का सेवन सुबह-शाम दूध में आधा-आधा ग्राम घोलकर किया जाए, तो आराम मिलता है। प्याज के बीज, अजवाइन, कलौंजी और मेथी के बीजों को एक समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच नियमित सेवन करने से डायबिटीज से छुटकारा मिलता है। पीलिया रोग यकृत (लिवर) में सूजन से यह रोग होता है। यह एक ऐसा रोग है, जो शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाने से होता है। इसमें रोगी को पीला पेशाब आता है। उसके नाखून, त्वचा और आखों का सफेद भाग पीला पड़ने लगता है। रोगी बेहद कमजोरी महसूस करता है। अगर शुरुआत में ही आयुर्वेदिक उपचार किया जाए, तो इस रोग से 15 दिनों में ही आराम पाया जा सकता है। इसके लिए आयुर्वेद में कुछ दवाएं हैं, जैसे: पुनर्नवादि मंडूर, आरोग्यवर्धिनी वटी, फलत्रिकादि क्वाथ को तीन कप पानी में उबालें। जब पानी एक कप हो जाये, तो इसे सुबह- शाम चाय की तरह पिएं।
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