मेथी अजवाइन काली जीरी या काला जीरा पाउडर का प्रयोग वजन कम करने एवं पाचन तंत्र को सही करने के लिए किया जाता रहा है।
इसका प्रयोग त्वचा से सम्बन्धित रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही यह खुजली को कम व ठीक करने में भी सहायता करता है।
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मेथी व अजवाइन काली जीरा पाउडर से बने मिश्रण को रक्त को साफ करने वाला माना जाता है क्योंकि यह खून से जहरीले पदार्थों को निकालता है।
काली जीरी पेट के किड़ों को नष्ट करने के लिए एक उपयोगी आयुर्वेदिक औषधि है। यह भूख को बढ़ाता है। इसका स्वाद खाने में कड़वा होता है। बालों के लिए काली जीरी या काला जीरा एक बेहतरीन दवा है।
यह बालों को लम्बा करने में मदद करती तो करती ही है साथ ही बालों से रूसी को भी हटाती है।
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यह शुगर के रोगियों के लिए अच्छी दवा होती है इसका सेवन शुगर में आराम दिलाता है। यह खून में ग्लूकोज को नियंत्रित करने में सहायता करती है।
काली जीरा को चिकित्सिक इलाज में प्रयोग में लाया जाता है। काली जीरी के बीज का प्रयोग आयुर्वेदिक व घरेलु दवा के तौर पर भी प्रयोग की जाती है। गलत खा लेने से होने वाले दस्त के इलाज के लिए इसके पौधे की कोमल पत्तियों का उपयोग किया जाता है
काला जीरा की तासीर में गर्म होती है जिस कारण से इसका प्रयोग रोजाना 1-3 ग्राम से ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए।
खासतौर से उन लोगों ने इसका विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए जिनको ज्यादा गर्मी लगती है, हाई ब्लड प्रेशर हो, गर्भवती महिलाओं और 5 साल तक के बच्चे।
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अगर फिर भी इसका प्रयोग करना है तो इसके प्रयोग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य करें।
मेथी दाना 250 ग्राम, अजवाइन 100 ग्राम, काली जीरी 50 ग्राम ।
उपरोक्त तीनों को हल्का सा सेंक लें, तत्पश्चात तीनों को आपस में मिलाकर मिक्सी में पीस कर महिन पाउडर बना लें। इस पाउडर को कांच की शीशी में भर कर रख लें।
रोज रात को सोने से पहले आधा चम्मच पॉवडर एक गिलास में गुनगुने पानी के साथ लें। ध्यान रखें की इसके पश्चात कुछ भी न खाऐ। इसका फायदा 2 से 3 माह के नियमि प्रयोग से होता है।
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इस चूर्ण को रोज लेने से शरीर में जमा गंदगी मल और मूत्र द्वारा निकल जाती है, अतिरिक्त चर्बी गल जाती है, त्वचा की झुर्रियां कम हो जाती हैं और शरीर फुर्तीला और स्वस्थ्य हो जाता है।
काली जीरी कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए फायदेमंद है। इसका प्रभाव रक्त, लसीका, त्वचा, आंत, वसा और गुर्दे पर होता है। इसमें रोगाणुरोधी, जीवाणुरोधी एवं कृमिनाशक क्रियाऐं होती हैं। इसके कुछ फायदे निम्न दिये गये हैं।
शरीर में जमा होने वाला अनावश्यक फैट घटाने में काला जीरा काफी फायदेमंद होता है परन्तु इसका प्रयोग कम से कम 3 महीने का नियमित सेवन करना आवश्यक है। काला जीरा फैट को गला कर अपशिष्ट पदार्थों अर्थात मल-मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
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आँतों में गैस या वायु होने पर काली जीरा को कुटकी के साथ लेना लाभदायक होता है। इन दोनों ही जड़ी बूटियों में शक्तिशाली वायुनाशक और पित्ताशय को संकुचित कर पित्त के बहाव को बढ़ाने वाले गुण पाये जाते हैं। अगर आप इन रोगों से परेशान हैं तो इसका प्रयोग करने से एक सप्ताह के अन्दर अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
अच्छे परिणाम के लिए दिन में दो बार, भोजन के बाद पानी के साथ 500 मिली ग्राम काली जीरी, 50 मिली ग्राम काली मिर्च एवं 500 मिली ग्राम कुटकी का उपयोग करना चाहिए।
अंतर्निहित या शरीर के भीतर होने वाली क्रियाओं के कारण होने वाली तेज खुजली एवं खाज के उपचार के लिए काली जीरी के साथ अजवाइन, हल्दी, मेथी, गुड़ और काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। इसका अनुपात निम्न हैं :
- काली जीरी 500 मिली ग्राम
- अजवायन 2000 मिली ग्राम
- हल्दी 1000 मिली ग्राम
- मेथी 500 मिली ग्राम
- गुड़ 2000 मिली ग्राम
- काली मिर्च 125 मिली ग्राम
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- इन सबसे बने मिश्रण को दिन में दो बार सुबहर शाम को भोजन करने के बाद पानी के साथ लेना चाहिए। यह खुजली से लंबे समय तक स्थायी राहत प्रदान करता है।
एक्जिमा को अटॉपिक डर्मेटाइटिस भी कहा जाता है। अर्थात ऐसी स्थिति, जिसमें त्वचा पर खुजली और लाल दब्बे हो जाते हैं और प्रभावित त्वचा से पानी के समान द्रव्य रिसता है।
इस रोग के लिए काली जीरी अत्यधिक प्रभावी हो सकती है। इसका उपयोग भीतर व बाहर से भी किया जा सकता है। इसके लिए प्रति दिन 500 मिलीग्राम की खुराक ली जा सकती है।
एवं बाहरी रूप से, इसका मलहम प्रभावित त्वचा पर लगा सकते है। यह रोगाणुओं को मारता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके प्रयोग से त्वचा में हुये घाव तेजी से भरते हैं।
सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) में, निम्न मिश्रण में काली जीरी को प्रभावित त्वचा पर लगाया जाता है, इसमें गौ मूत्र को पेस्ट बनाने के लिए आवश्यकतानुसान प्रयोग किया जाता है।
काली जीरी 50 ग्राम, बिभीतकी 50 ग्राम, अमलाकी 50 ग्राम, हरताल 20 ग्राम, हरीतकी 50 ग्राम
काली जीरे का मिश्रण उपर दिये अनुसार तैयार किया जाता है। इसका प्रयोग 1 से 3 माह प्रतिदिन दो बार लगाया जाता है।
इससे अतिरिक्त लाभ पाने के लिए खाने के लिए बाबची तेल की 5 से 8 बूंदों का उपयोग दूध के किया जा सकता है।
काली जीरी का प्रयोग मधुमेह विरोधी क्षमता के लिए किया जाता है। काली जीरी अग्न्याशय से इंसुलिन स्राव बढ़ाने में मदद करती है। यह टाइप 2 मधुमेह में से हाइपरग्लेसेमिया को कम कर सकता है।
जब खून में ग्लूकोज का स्तर 180 मिलीग्राम/डीएल से कम होता है तो इसका प्रभाव अधिक प्रभावी होता है। मधुमेह का खाली पेट टेस्ट करने पर यदि इसका स्तर 180 मिलीग्राम / डीएल से अधिक पाया जाता है तो रोगी को इसके अवाया अन्य दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।
घरेलु उपचार में बहुमूत्र रोग के इलाज में काली जीरा का उपयोग मेथी के साथ किया जाता है।
महिलाओं प्रसव के बाद होने वाले संक्रमण से बचाव काला जीरा मददगार होता है। यह उनके इंटरनल सिस्टम को मजबूत बनाता है।
इसके लिए एक गिलास पानी में काला जीरा को मिलाकर काढ़ा बना लेना चाहिए। इसका प्रयोग 8 से 10 दिन तक सुबह खाली पेट करना चाहिए। इसका प्रयोग स्तनपान कराने वाली महिलाओं के काफी फायदेमंद होता है।
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