कपूर एक खास तरह का रसायन है, जो एक ख़ास वनस्पति से प्राप्त होता है. इसको पौधे से आसवन क्रिया के द्वारा हासिल किया जाता है. यह आम तौर पर तीन तरह का होता है – जापानी, भीमसेनी और पत्री कपूर. कपूर का प्रयोग पूजा, औषधि और सुगंध के लिए किया जाता है. हिन्दू धर्म परंपरा में आरती के लिए इसका सर्वाधिक प्रयोग होता है.

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कपूर किस प्रकार मानव पर असर डालता है?

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– कपूर की सुगंध मन को एकाग्र कर देती है और इसकी अग्नि कफ़ और वात का नाश करती है.

आरती में कपूर का प्रयोग किस तरह करें?

– एक चौड़े मुंह के पात्र में कपूर रखें.

– इसमें अग्नि प्रज्ज्वलित करें.

– इसके बाद इस अग्नि को देवी या देवता के समक्ष घुमाएं.

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– अग्नि को अपने ह्रदय के सामने या उसके ऊपर की ओर रखें.

– आरती के बाद कपूर की अग्नि के धुएं को दोनों हथेलियों से लेकर अपने मुख और सिर पर लगाएं.

औषधि के रूप में कपूर का प्रयोग कैसे करें?

– कपूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है.

– गर्दन में दर्द होने पर कपूर युक्त बाम लगाने पर आराम मिलता है.

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– सूजन, मुहांसे और तैलीय त्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है.

आर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए कपूर मिश्रित मरहम का प्रयोग करें.

कफ की वजह से छाती में होने वाली जकड़न में कपूर का तेल मलने से राहत मिलती है.

कपूर के विशेष प्रयोग क्या हैं?

– कपूर को अग्नि के ऊपर किसी पात्र पर रखकर उसकी सुगंध को फैलाएं.

– इससे अवसाद, नकारात्मक ऊर्जा और वास्तु दोष दूर होंगे.

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– कपूर को रोली या चन्दन में मिलाकर मस्तक पर लगाएं.

– इससे आपका आकर्षण बढ़ेगा और क्रोध में कमी आएगी.

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