काले वस्त्रों और काली वस्तुओं का करें दान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव की पूजा करते समय कुछ नियमों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी होता है. सबसे पहले व्रत के लिए शनिवार को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद हनुमान जी और शनिदेव की आराधना करते हुए तिल, लौंगयुक्त जल को पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए. फिर शनिदेव की प्रतिमा के समीप बैठकर उनका ध्यान लगाते हुए मंत्रोच्चारण करना चाहिए. जब पूजा संपन्न हो जाए तो काले वस्त्रों और काली वस्तुओं को किसी गरीब को दान में देना चाहिए. इसके अलावा यह याद रखना भी जरूरी है कि अंतिम व्रत के दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ हवन भी करना चाहिए.
शनिदेव को लोहे का बर्तन है प्रिय
मान्यता है कि शनिदेव की पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि सूर्य और शनि पिता-पुत्र होते हुए भी एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं और तांबा सूर्य का धातु है. याद रखें कि शनि की पूजा में लोहे के बर्तनों का ही इस्तेमाल करें. पूजा में दीपक भी लोहे या मिट्टी का ही जलाएं और लोहे के बर्तन में ही तेल भरें और शनिदेव को चढ़ाएं. इसके अलावा हर शनिवार को शनिदेव को काले तिल और काली उड़द भी चढ़ाएं.
लाल रंग से क्रोधित होते हैं शनि महाराज
शनिदेव की पूजा में काले या नीले रंग की वस्तुओं का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. साथ ही शनिदेव को नीले फूल चढ़ाने चाहिए, मगर यह खास तौर पर याद रखें कि शनि की पूजा में लाल रंग का कुछ भी न चढ़ाएं. चाहे लाल कपड़े हों, लाल फल या फिर लाल फूल ही क्यों न हों. इसकी वजह यह है कि लाल रंग और इससे संबंधित चीजें मंगल ग्रह से संबंधित हैं. मंगल ग्रह को भी शनि का शत्रु माना जाता है.
शनिदेव की है पश्चिम दिशा
शनि की पूजा करते समय या शनि मंत्रों का जाप करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए. इसकी वजह यह है कि शनिदेव को पश्चिम दिशा का स्वामी माना गया है. शनिदेव की पूजा में यह बात भी ध्यान रखें कि पूजा करने वाला व्यक्ति अस्वच्छ अवस्था में न हो, यानी पूजा करते समय साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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2. कैंसर के लिए
कैंसर की समस्या में भी स्वर्ण भस्म के गुण देखे जा सकते हैं। विशेषज्ञों के द्वारा किए जा रहे एक शोध के दौरान यह पता चला है कि स्वर्ण भस्म के अति-सूक्ष्म यौगिक में कुछ ऐसे गुण भी पाए जाते हैं, जो कैंसर के इलाज के लिए बनाई जाने वाली दवा में प्रयोग किए जाते हैं (1)।
एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, कैंसर से ग्रसित लोगों में किए गए प्रयोगों के पश्चात यह देखा गया है कि स्वर्ण भस्म एक एंटी-कैंसर दवा के रूप में कार्य कर सकती है ।
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3. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए
स्वर्ण भस्म के आयुर्वेदिक गुण मस्तिष्क संबंधी कई समस्याओं को कम कर सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, मस्तिष्क संबंधी दोषों को ठीक करने वाली दवाओं में स्वर्ण भस्म के लाभ देखे जा सकते हैं , लेकिन अभी इस पर और वैज्ञानिक शोध की जरूरत है। इसलिए, मस्तिष्क सुधार में इसका सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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4. तनाव की स्थिति में
तनाव की स्थिति से उबरने के लिए भी स्वर्ण भस्म के फायदे अपना असर दिखा सकते हैं। स्वर्ण भस्म में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। स्वर्ण भस्म के लाभ से मस्तिष्क से कैटेकोलामाइन (catecholamines) नामक हार्मोन निकलता है, जो तनाव की एक स्थिति को कम कर सकता है
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5. गर्भावस्था में सेवन
गर्भावस्था में मां के सामने कई जोखिम होते हैं, जिनमें से एक एनीमिया भी है। एनीमिया का खतरा सबसे ज्यादा गर्भावस्था में होता है। एनीमिया की स्थिति में शरीर के सभी हिस्सों तक खून के साथ पर्याप्त ऑक्सीजन की मात्रा नहीं पहुंचती है (5)। वहीं, एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि एनीमिया की स्थिति में स्वर्ण भस्म आराम पहुंचा सकती है (6)।
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