मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मोटापा हो सकता है और कमरदर्द की शिकायत भी. यह कमरदर्द बैठेबैठे कम होता है पर व्यक्ति जैसे ही चलना शुरू करता है वैसे ही कमर में दर्द तेजी से उभरता है और इस की तीव्रता बढ़ती ही चली जाती है जब तक चलने की प्रक्रिया जारी रहती है. अगर चलना अचानक बंद कर दें तो कमरदर्द कम होना शुरू हो जाता है और फिर कुछ देर बाद गायब हो जाता है. इस तरह के कमरदर्द को ज्यादातर लोग लंबर स्पौंडिलोसिस या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और हड्डी विशेषज्ञ के पास चले जाते हैं. और तब कमर का ऐक्सरे, एमआरआई व खून में कैल्शियम की मात्रा का निर्धारण आदि जांचों का सिलसिला शुरू हो जाता है.

इलाज के नाम पर कैल्शियम की दवाएं, कुछ व्यायाम और सब से ज्यादा तरहतरह की दर्दनिवारक दवाएं थमा दी जाती हैं. फिर भी अपेक्षित लाभ नहीं मिलता. नतीजतन, हर महीने डाक्टर बदल दिए जाते हैं और इस के बावजूद नतीजा कुछ भी नहीं निकलता.

कमरदर्द या कमर का एंजाइना

एक नौर्मल आदमी या महिला में जब कमरदर्द होता है तो उस के ज्यादातर 2 कारण होते हैं. एक, कमर की पुरानी चोट जो अधिकतर जमीन पर गिर जाने से होती है और दूसरा, मोटापा व पैदल न चलने से होता है. जब किसी की दिनचर्या ऐसी होती है जिस में आदमी को ज्यादातर समय बैठना पड़ता है और चलने व व्यायाम का अभाव होता है तो रीढ़ के तंतु व हड्डियों में सख्ती आ जाती है जिस से उन में लचीलेपन का अभाव हो जाता है. ऐसे लोग जब हरकत में आते हैं तो कमरदर्द की शिकायत करते हैं.

वहीं, जब एक डायबिटीज का मरीज चलने से कमरदर्द व जांघ में दर्द की शिकायत करता है तो उस का कारण रीढ़ की हड्डी में लचीलापन न हो कर कुछ और हो सकता है. मधुमेह के मरीज में कमरदर्द का ज्यादातर कारण कमर व जांघ को शुद्ध रक्त की होने वाली सप्लाई में स्थायी रूप से कमी होना है. अगर डायबिटीज के मरीज को बैठेबैठे ही कमरदर्द होता है तो इस का सीधा मतलब यह होता है कि शुद्ध रक्त की सप्लाई में भारी कमी आ गई है. रक्त की उपलब्धता में कमी होने की वजह से होने वाले दर्द को मैडिकल भाषा में ‘एंजाइना’ कहते हैं. जैसे दिल की दीवारों की शुद्ध रक्त की सप्लाई में कमी होने से ‘छाती के एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है, ठीक उसी तरह से कमर की मांसपेशियां व अंगों को शुद्ध रक्त की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव में कमर के एंजाइना या ‘वेस्ट एंजाइना’ की शिकायत हो जाती है.

जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें। 

डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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अगर चैस्ट एंजाइना को ले कर लापरवाही की गई तो ‘हार्ट अटैक’ का खतरा बढ़ जाता है, ठीक उसी तरह कमर के एंजाइना को अगर नकारा गया तो पैरों में गैंगरीन होने का खतरा मंडराने लगता है.

कमर का एंजाइना क्यों

दिल से निकल कर खून की एक मोटी नली नीचे पेट की ओर जाती है, वहां वह पेट के अंदर स्थित अंगों जैसे जिगर व आंतों को शुद्ध रक्त सप्लाई करती है. यही नली नीचे कमर के अंदर पहुंच कर

कमर में स्थित अंगों व मांसपेशियों को शुद्ध रक्त प्रदान करती है. उस के बाद वह 2 अलगअलग नलियों में विभक्त हो कर बाईं व दाहिनी जांघ को चली जाती है. वहां और नीचे जा कर दोनों टांगों व पैर को शुद्ध खून की सप्लाई करती है.

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अच्छी नींद लें – सही समय पर उठने के लिए अच्छी नींद लेने की आवश्यकता है। इसलिए देर रात तक मूवी न देखें, बात न करें, लेट नाइट पार्टी या डिनर न करें। अगर आप नौकरी पेशा वाले हैं तो भी रात में 10 बजे तक सो जाने की कोशिश करें।

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डायबिटीज में दरअसल खून की नलियों की दीवारों में निरंतर चरबी व कैल्शियम जमा होता रहता है, और धीरेधीरे चरबी के जमाव के कारण खून की नली संकरी होने लगती है जिस से शुद्ध रक्त की सप्लाई में गिरावट आने लगती है. अगर दिनचर्या में व्यायाम व अनुशासन का अभाव होता है तो मधुमेह के मरीज में शुगर की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है.

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लिवर बाइल भी बनाता है जो खाना पचाने में मदद करते हैं. लिवर शरीर में उपापचयी प्रक्रिया के सहउत्पाद अमोनिया को यूरिया में बदल कर शरीर को जहरीले तत्त्वों से मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है जिसे किडनी द्वारा पेशाब मार्ग से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. यह अल्कोहल समेत दवाओं को भी तोड़ता है और यह शरीर में इंसुलिन व दूसरे हार्मोंस को तोड़ने के लिए भी जिम्मेदार होता है.

लिवर की सामान्य बीमारियां – जीवनशैली और खानपान की आदतों में होने वाले बदलावों के कारण आज जिस अंग पर सब से अधिक प्रभाव पड़ा है वह है लिवर. लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों में विषाणु, नुकसानदायक भोजन और अल्कोहल का इस्तेमाल भी हो सकता है. हेपेटाइटिस ए, बी और सी जैसे विषाणु लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

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आज अल्कोहालिक पेय का अत्यधिक कोलैस्ट्रौल वाले जंक फूड के साथ उपभोग किया जाना एक नित्य जीवनशैली सी बन गया है, यह भी लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है. इस से बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स का स्तर बढ़ जाता है जो टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से संबंधित है और जो लिवर की गंभीर बीमारी से भी संबंधित है. अत्यधिक बीएमआई के बढ़ते जोखिम की वजह से जीवन के  बाद के हिस्से में गंभीर लिवर बीमारी होने का खतरा कम उम्र से ही बना रहता है. लगातार अधिक वजन बने रहने और मोटापे ने भी दुनियाभर में लिवर की बीमारियों को बढ़ाने में भूमिका निभाई है.

लिवर को नुकसान पहुंचाने वाला एक अन्य कारक मोटापा है. मोटापा आज के समय में दुनियाभर की समस्या है और विकासशील देशों में भी वयस्कों एवं बच्चों दोनों में मोटापे की समस्या की वजह से यह एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है. उपलब्ध अध्ययनों से मोटापे से विभिन्न प्रकार के कैंसर पैदा होने की जानकारी मिली है. खासतौर पर मोटापे और लिवर कैंसर के बीच मजबूत संबंध है.

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चर्बी कम करने में सहायक – आजकल हर दूसरी महिला अपने बढ़े हुए वजन या मोटापे से परेशान है। लेकिन आपकी इस समस्या का हल भी सूरजमुखी के बीज के पास मौजूद है। सूरजमुखी के बीजों में मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में मौजूद होता हैं। जिसकी वजह से न सिर्फ आपका दिल सेहतमंद बना रहता है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकलकर आपकी बॉडी को डिटॉक्‍स करते हैं। इतना ही नहीं इसके बीज बॉडी से अतिरिक्त वसा कम करके शरीर के मेटाबॉलिज्‍म को भी बढ़ाते हैं।

मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।

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अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल का इस्तेमाल करने की वजह से लिवर को गंभीर नुकसान हो सकता है. जब कोई व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल का इस्तेमाल करता है तो लिवर के सामान्य कामकाज में बाधा पैदा होती है. जिस से शरीर में रासायनिक असंतुलन हो सकता है. लिवर की कोशिकाएं बरबाद हो सकती हैं.

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कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं सूरजमुखी के बीज – सूरजमुखी के बीज खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ आपकी भूख को भी कम करने में सहायक हैं। जिसकी वजह से शरीर को संतृप्‍त करने में मदद मिलती है और आप भरा हुआ महसूस करते हैं।

वर्कआउट के लिए अच्छा है – सूरजमुखी के बीजों में थियामिन (विटामिन बी 1) मौजूद होने की वजह से यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ ब्‍लड सर्कुलेशन अच्छा करने और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है। वर्कआउट के बाद मुट्ठी भर सूरजमुखी के बीजों का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

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गुड़ घी का सेवन- गुड़ और घी का सेवन करने से साइनस से पीड़ित रोगियों को लाभ और शरीर को ठंड से बचाने में मदद मिलती है। गुड़ का सेवन शरीर को गर्म रखने के साथ खांसी और सर्दी से भी बचाव करता है। जबकि घी कब्ज को रोककर शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता  है।

डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।

बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

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