बहन की शादी है और फिट होने के लिए मेरे पास केवल एक महीना है,’’ या फिर ‘‘आने वाली छुट्टियां मुझे मियामी में बितानी हैं और मुझे उस के लिए वजन कम करना है,’’ ऐसे संकल्प हम अपने दोस्तों, परिजनों और परिचितों से किसी न किसी समय आमतौर पर सुनते रहते हैं. अपने इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोग कई तरह की क्रैश डाइट्स और तेजी से वजन घटाने वाले व्यायाम करते हैं. जबकि ये सभी प्रयास लंबी अवधि में प्रभावी नहीं होते. इसलिए बहुत से जागरूक और समझदार लोग वजन घटाने के ऐसे प्रयास करते हैं, जिन में वजन का घटना लगातार जारी रहता है. वे फिटनैस के लिए पूरे शरीर पर असर करने वाले जुंबा और शरीर को मजबूती देने वाली वेट लिफ्टिंग का सहारा लेते हैं. इस की वजह मांसपेशियों की स्थायी मजबूती और फैट बर्निंग के प्रति बढ़ती जागरूकता है. फिटनैस के दीवाने लोगों के बीच ये दोनों वर्कआउट्स बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं.

हालांकि, जुंबा के लिए भी कई लोग जिम जाना पसंद करते हैं, लेकिन जिम के उपकरणों और मशीनों पर वही परंपरागत तरीके से वर्कआउट बड़ी संख्या में फिटनैस प्रेमियों के लिए नीरस हो जाता है. अब वे अपने फिटनैस लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ विविधता, उत्साह और मनोरंजन से भरपूर तकनीक चाहते हैं.

जुंबा का आविष्कार 90 के दशक में एक फिटनैस प्रशिक्षक अल्बर्टो बेटो पेरेज के हाथों हुआ. यह एक मस्ती और ऊर्जा से भरपूर ऐरोबिक फिटनैस प्रोग्राम है, जो दक्षिणी अमेरिकी डांस की विभिन्न शैलियों से प्रेरित है. यह वर्कआउट शैली तेजी से कैलोरी बर्न करने के लिए कारगर है. दरअसल, इस में अपने पंजों पर खड़े रह कर हिपहौप और सालसा की चुस्त बीट्स पर अपनी बौडी को मूव कराना होता है. मुख्य रूप से गु्रप में किया जाने वाला वर्कआउट जुंबा उत्साही बने रहने और फिटनैस लक्ष्यों पर केंद्रित है. चूंकि जुंबा तेज गति से होने वाला डांस है, इसलिए यह अन्य वर्कआउट्स जैसे ट्रेडमिल पर दौड़ने या क्रौसट्रेनर पर समय बिताने के मुकाबले तेजी से फैट बर्न करता है.

बढ़ाएं लचीलापन – जुबा एक बेहतरीन कार्डियोवैस्क्युलर ऐक्सरसाइज है, जो तेज और मध्यम गति से की जाती है और इंटरवेल ट्रेनिंग की तरह काम करती है, इसलिए हर मांसपेशी खासतौर पर पीठ और पेट पर असरकारक है. जुंबा में होने वाले पेचीदा मूव मसल्स में लचीलापन बढ़ाते हैं और शरीर को संतुलित बनाते हैं. जुंबा के परिणाम यहीं तक सीमित नहीं हैं, ताकत से भरपूर इस वर्कआउट का दूसरा फायदा यह है कि यह सभी मांसपेशियों को सक्रिय करता है और पूरे शरीर को फिट करने में मदद करता है. सब से अच्छी बात यह है कि जुंबा में उम्र कोई रुकावट नहीं है, क्योंकि इस का जोड़ों पर बहुत कम असर पड़ता है. फिट रहने के लिए 5 से 65 वर्ष तक का कोई भी व्यक्ति जुंबा कर सकता है.

वेट ट्रेनिंग – वेट ट्रेनिंग भी वजन घटाने के लिए एक अन्य प्रभावी वर्कआउट है, जो परंपरागत रूप से बौडीबिल्डर्स के बीच लोकप्रिय रहा है. आश्चर्य हो रहा है? हम में से बहुत से लोग सोचते हैं कि वेट ट्रेनिंग केवल मसल्स बनाने के लिए ठीक है. यही वजह है कि वजन घटाने की कोशिश करने वाले वेट लिफ्ंिटग को प्राथमिकता नहीं देते और इस के बजाय कार्डियो और कैलीस्थैनिक्स को अपनाते हैं.

चर्बी कम करने में सहायक – आजकल हर दूसरी महिला अपने बढ़े हुए वजन या मोटापे से परेशान है। लेकिन आपकी इस समस्या का हल भी सूरजमुखी के बीज के पास मौजूद है। सूरजमुखी के बीजों में मैग्नीशियम प्रचूर मात्रा में मौजूद होता हैं। जिसकी वजह से न सिर्फ आपका दिल सेहतमंद बना रहता है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकलकर आपकी बॉडी को डिटॉक्‍स करते हैं। इतना ही नहीं इसके बीज बॉडी से अतिरिक्त वसा कम करके शरीर के मेटाबॉलिज्‍म को भी बढ़ाते हैं।

मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।

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वेट लिफ्ंिटग शरीर की मजबूती के साथ ही वजन घटाने के लिए भी महत्त्वपूर्ण व्यायाम है. परंपरागत रूप से स्ट्रैंथ ट्रेनिंग में सहनशक्ति और मांसपेशियां बढ़ाने के लिए फ्री वेट या वेट मशीनों का उपयोग किया जाता रहा है. मैटाबोलिक स्ट्रैंथ ट्रेनिंग में उच्च तीव्रता वाले इंटरवेल सर्किट्स और चेंजिंग कौंबिनेशंस के साथ फ्री वेट्स, कैटलबेल्स, डंबल्स आदि का उपयोग करते हुए दोहराना होता है. वर्कआउट के दौरान रैजिस्टैंस बैंड्स मैटाबोलिज्म रेट को बढ़ा देते हैं. कार्डियो ट्रेनिंग में केवल वर्कआउट के दौरान हृदय की गति एवं फेफड़ों की क्षमता बढ़ने से कैलोरीज बर्न होती हैं, इस के उलट वेट ट्रेनिंग में व्यायाम खत्म होने के 72 घंटे बाद तक कैलोरी बर्निंग जारी रहती है. यह शरीर की मैटाबोलिक दर को भी बढ़ाता है, जो दिन भर कैलोरी को तेजी से बर्न करने में मदद करता है.

 

वेट लिफ्टिंग के फायदे केवल वजन घटाने तक ही सीमित नहीं हैं, वेट ट्रेनिंग बौडी मसल्स बनाने और हड्डियों की सघनता बढ़ाने में भी कारगर है, जिस से औस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है. रोजाना वेट लिफ्ंिटग करने से डायबिटीज का खतरा कम होता है और इस से पीठ दर्द में भी आराम मिलता है. मानसिक मजबूती बढ़ती है और फिटनैस के दीवाने लोगों को काम के दौरान उत्साही बनाए रखती है.

इसलिए शरीर की मजबूती के लिए फिटनैस की धुन में भले ही जुंबा को चुनें या वेट ट्रेनिंग को, ये दोनों ही वर्कआउट्स आप के फिटनैस लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकते हैं, चाहे आप वजन कम करना चाहें या मांसपेशियों की मजबूती.

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आर्थराइटिस के शिकार लोगों के लिए गरम पानी से स्नान करना बहुत उपयोगी हो सकता है. गरम पानी में तैरना या स्टीम बाथ शरीर के लिए बहुत लाभप्रद है.

फिश औयल में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है. यह हड्डियों की समस्या वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी होता है. इस से सूजन का स्तर कम हो जाता है. हालांकि, यह महत्त्वपूर्ण है कि फिश औयल सप्लीमैंट डाक्टर की सलाह से लिए जाएं.

शरीर की अच्छी तरह मालिश कराने से जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द कम करने में सहायता मिलती है.

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कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं सूरजमुखी के बीज – सूरजमुखी के बीज खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ आपकी भूख को भी कम करने में सहायक हैं। जिसकी वजह से शरीर को संतृप्‍त करने में मदद मिलती है और आप भरा हुआ महसूस करते हैं।

पाचन के लिए फायदेमंद – सूरजमुखी के बीज का सेवन करने से पाचन तंत्र का स्‍वास्‍थ्‍य अच्छा बना रहने में मदद मिलती है। सूरजमुखी के बीजों में मौजूद एंजाइम पाचन रस के स्राव को नियंत्रित करते हैं और शरीर से अनावश्यक विषाक्त पदार्थों को खत्म करते हैं। इससे कब्ज की समस्या भी दूर रहती है।

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वर्कआउट के लिए अच्छा है – सूरजमुखी के बीजों में थियामिन (विटामिन बी 1) मौजूद होने की वजह से यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ ब्‍लड सर्कुलेशन अच्छा करने और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है। वर्कआउट के बाद मुट्ठी भर सूरजमुखी के बीजों का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

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गुड़ घी का सेवन- गुड़ और घी का सेवन करने से साइनस से पीड़ित रोगियों को लाभ और शरीर को ठंड से बचाने में मदद मिलती है। गुड़ का सेवन शरीर को गर्म रखने के साथ खांसी और सर्दी से भी बचाव करता है। जबकि घी कब्ज को रोककर शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता  है।

कुल्‍थी दाल- कुल्‍थी दाल न सिर्फ गुर्दे की पथरी को रोकने में मदद करती है, बल्कि सर्दियों में त्वचा और खोपड़ी को हाइड्रेटेड और पोषित रखने में भी मदद करती है। 

मक्‍खन- मक्‍खन या घी से शरीर को आवश्यक वसा मिलती है। इसका सेवन करने से पाचन प्रक्रिया सुचारू रूप से कार्य करती है। विटामिन डी की कमी से जूझ रहे लोगों को अपने आहार में मक्खन या घी को शामिल करना चाहिए।

अच्छी नींद लें – सही समय पर उठने के लिए अच्छी नींद लेने की आवश्यकता है। इसलिए देर रात तक मूवी न देखें, बात न करें, लेट नाइट पार्टी या डिनर न करें। अगर आप नौकरी पेशा वाले हैं तो भी रात में 10 बजे तक सो जाने की कोशिश करें।

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संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

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डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।

जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें। 

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं।

बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

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