अगर यह कहा जाए कि रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन जल ही जीवन है तो यह गलत नहीं होगा. खाने के बिना इनसान कई दिनों तक जी सकता है, पर जल के बिना कुछ दिन भी नहीं रह सकता. पानी सिर्फ प्यास बुझाने के ही नहीं, खाना बनाने, घर की साफसफाई, स्नान से ले कर उद्योगधंधों व खेतीबाड़ी तक के लिए बेहद जरूरी है.
अगर यह कहा जाए कि रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन जल ही जीवन है तो यह गलत नहीं होगा. खाने के बिना इनसान कई दिनों तक जी सकता है, पर जल के बिना कुछ दिन भी नहीं रह सकता.
मोटापा कई बीमारियों की जड़ है इसलिए सेहतमंद रहने के लिए वजन कंट्रोल करना बहुत जरूरी है. एक्सरसाइज और डाइट करने के बाद अगर आपक वजन नहीं घर रहा तो आपको दूसरे तरीकों पर विचार करना चाहिए. आइए जानते हैं 3 फार्मूलों वाली डाइट के बारे में जिससे बड़ी आसानी से वजन कम किया जा सकता है.
न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि फिट, मोटे या पतले होने में कैलोरी की मात्रा का कुछ लेना-देना नहीं है. इसके लिए आपको कार्बोहाइड्रेट और फैट वाले खाने पर कंट्रोल करना होगा. डाइट में मौसमी फलों और सब्जियों को शामिल करने करें. इसके अलावा खाने के स्वाद पर भी ध्यान देना जरूरी है. अपने खाने में चावल-दाल जरूर शामिल करें.
डाइटीशियन ने लोगों से खाना खाते समय तीन फॉर्मूला अपनाने को कहा है. पहला फॉर्मूला है कि खाना खाते समय आप मानसिक तौर पर भी बिल्कुल एक्टिव रहें. आप जो खा रहे हैं उसे अच्छे से देखकर, सूंघकर और स्वाद लेकर खाएं.
दूसरा फॉर्मूला है कि खाना किसी शांत जगह पर खाएं. खाना खाते समय फोन, लैपटॉप, टीवी, किताब या न्यूजपेपर पर ध्यान ना दें. जबकि तीसरा फॉर्मूला है नीचे बैठकर खाना खाना. कोशिश करें कि पूरे दिन में किसी एक समय आप डाइनिंग टेबल पर बैठने की बजाय पालथी मारकर खाना खाएं.
खाने की मात्रा को कैसे करें कंट्रोल?
न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि खाने के मात्रा को भी एक मेंटल मील मैप के जरिए कम किया जा सकता है. इसके भी तीन चरण हैं.
पहला चरण: आप जितना भोजन करना चाहते हैं उसकी कल्पना करें.
दूसरा चरण: पहले चरण में आपने जितना भोजन करने की कल्पना की है, उसका आधा हिस्सा ही अपनी प्लेट में परोसें.
तीसरा चरण: दूसरे चरण में आपने जितना भोजन लिया है, उसे खाने के लिए दोगुना समय लें. चौथा चरण: अगर आपको अब भी भूख लगी है तो पहले चरण से फिर वही प्रक्रिया शुरू करें. खाना खाते समय पूरा वक्त लें. जल्दी-जल्दी खाने से आपको भोजन से तृप्ति का एहसास नहीं होगा.
न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि प्लेट का आधा हिस्सा यानी 50 फीसदी भाग अनाज या बाजरा (चावल, रोटी, ज्वार, बाजरा) से भरा होना चाहिए. प्लेट का 35 फीसदी भाग दाल (दाल और फलियां) और सब्जियों से भरा होना चाहिए. अगर आप मांसाहारी हैं, तो प्लेट में 35 फीसदी नॉनवेज होना चाहिए.
अंजीर में कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है और ये सभी चीजें हड्डियों को मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी मानी जाती हैं। कैल्शियम से भरपूर अंजीर, हड्डियों को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद करता है जिससे हड्डी टूटने का खतरा कम हो जाता है।
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जीरे में आयरन भरपूर मात्रा में होता है जिससे यह खून की कमी यानी एनीमिया को दुरुस्त करता है और रक्त में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है।
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यह शरीर में ऑक्सीजन का सभी हिस्सों में पहुंचना सुचारु करता है। दमे के मरीजों को इसके भरपूर लाभ मिलते हैं। इसमें थायमोक़्यीनॉन नामक एक खास तत्व होता है जो दमे को रोकने बहुत कारगर है।
हमारे शरीर में विभिन्न कारणों से गंदगी आ जाती हैं जिन्हें शरीर पसीने और फुंसियों के रूप में बाहर निकालता है। जीरे का नियमित इस्तेमाल शरीर की शोधन करने की प्रक्रिया को तेज करता है और गंदगी मुंहासों और फुंसियों के तौर पर बाहर नहीं आती। आपकी त्वचा साफ और सुंदर बनी रहती है।
जीरे में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है जिससे यह त्वचा को स्वस्थ रखने में बहुत कारगर होता है। इसमें प्राकृतिक तेल होने के साथ साथ एंटी फंगल गुण होते हैं जिनसे त्वचा इंफेक्शन से बची रहती है। इसमें त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे एग्ज़िमा और सोराइसिस को ठीक करने के गुण होते हैं। जीरा पाउडर को आप अपने फेसपैक में भी मिला सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला विटामिन ई त्वचा पर होने वाले उम्र के असर को कम करता है।
जीरे के उपयोग से बना फेसपैक बहुत फायदेमंद होता है। इसे हल्दी के साथ मिक्स करके बनाया जाता है। जीरा पावडर और हल्दी को शहद के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने तक रखना होता है। इससे त्वचा नर्म और उजली बनती है। जीरे के उपयोग से रूसी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इसे आप अपने तेल में थोड़ा गर्म करके इस गुनगुने तेल से सिर पर मसाज कीजिए और रूसी से छुटकारा पा लीजिए।
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ये गर्भवती महिलाओं में प्रसव पूर्व स्वास्थ्य में सुधार लाने में अत्यधिक सहायक होता है. काला जीरा उच्च आयरन कंटेंट होने की वजह से दूध उत्पादन प्रदान करके स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए उपयोगी है.
काला जीरा सांस की बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है.
काला जीरा दस्त और कब्ज के समय पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है
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काले जीरे का तेल सिर और माथे पर लगाने से माइग्रेन जैसे दर्द में लाभ होता है। गर्म पानी में काले जीरे के तेल की कुछ बूंदें डाल कर कुल्ला करने से दांत दर्द में काफी राहत मिलती है। काला जीरा तासीर में गर्म होता है जिस कारण इसका सेवन एक दिन में तीन ग्राम से ज्यादा नहीं करना चाहिए।
जिन्हें ज्यादा गर्मी लगती है या जो हाई ब्लडप्रेशर के मरीज है, गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चों के मामले में डॉक्टर से सलाह लेकर ही इसका सेवन करें।
हम चाहते हैं कि हर भारतीय अंग्रेजी दवाओं की बजाय घरेलु नुस्खों और आयुर्वेद को ज्यादा अपनाये.
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