हमें खाने से महज स्वाद बढ़ाने के अलावा ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं जिनकी हमें रोजाना जरूरत होती है। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों में कुछ गैर-पोषक तत्व होते हैं जो विटामिन और मिनरल्स को एब्जार्ब करने में रुकावट डाल सकते हैं। हमें विटामिन और मिनरल्स को अच्छी तरह से एब्जॉर्ब करने के लिए अपनी डाइट में बदलाव करने की जरूरत होती है। इससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलती है। यहां हम आपको कुछ चनों और सब्जियों के कुछ गैर-पोषण तत्वों के बारे में बताने जा रहे हैं जो विटामिन और मिनरल्स के साथ अच्छी तरह से नहीं घुलते-मिलते हैं।चाय में पाए जाने वाले टैनिन से इसे गहरा भूरा रंग मिलता है। इसी तरह ग्रीन टी में कैटेचिन और फ्लेवोनोइड होते हैं, जो टैनिन के ही प्रकार हैं, जो हाई कॉन्संट्रेशन में प्रोटीन और आयरन को एब्जॉर्ब करने से रोक सकते हैं। टैनिन की मौजूदगी के कारण उन आयरन और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन चाय के साथ नहीं किया जाना चाहिए, जो फलियां और अनाज में पाए जाते हैं। छिलकों को उतार देने से खाने में टैनिन का लेवल कम हो सकता है।
हरी पत्तेदार सब्जियों में मौजूद गोइट्रोजन दरअसल थायरॉयड ग्रंथि द्वारा आयोडीन को लेने में रुकावट डालता है और आयोडीन की कमी का कारण बन सकता है। गोभी, फूलगोभी, हरे पत्तों, मूली, सरसों, ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, शलजम और सोयाबीन जैसी सब्जियों में गोइट्रोजन होते हैं। लेकिन खाना पकाने के दौरान इन सब्जियों को उबालने या ब्लाचिंग के जरिये गोइट्रोजन के लेवल को कम किया जा सकता है।अनरिफाइंड सियरिल्स और बाजरा फाइटेट से भरपूर होते हैं, जो बीज के अंकुरण के समय फॉस्फोरस के स्रोत के तौर पर काम करता है। लेकिन यह आयरन, जिंक, कैल्शियम और मैग्नीशियम भी जुड़ा होता है। रिसर्च बताती हैं कि फाइटेट के हाई लेवल से एनीमिया और जिंक की कमी बढ़ सकती है। लेकिन, दूसरी ओर रिसर्च से यह भी पता चलता है कि खमीरीकरण, फुलाने या भिगोकर रखने और अंकुरण जैसी कुछ तकनीकें फाइटेट के लेवल को कम कर सकती हैं।हैदराबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन की वैज्ञानिक के दमयंती के मुताबिक, गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों में मौजूद ऑक्सालेट्स, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों (साबुत अनाज और सब्जियों) में मौजूद फाइटिक एसिड और कैफीन युक्त पेय आयरन को एब्जॉर्ब करने में रुकावट का काम करते हैं। खमीरीकरण, अंकुरण और हीट प्रोसेसिंग खाने में मौजूद आयरन की बायो एक्सेसिबिलिटी को बेहतर बनाते हैं। कुछ स्टडी बताती हैं कि दूध के प्रोटीन का आयरन की बायो एक्सेसिबिलिटी पर भी असर पड़ता है।
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चने और केसर की दाल ऑक्सालेट से भरपूर होते हैं, जो कैल्शियम एब्जॉर्ब में रुकावट करने के लिए जानी जाती है। यह कैल्शियम के साथ जुड़ जाता है और कैल्शियम ऑक्सालेट गुर्दे की पथरी बनाता है। खाना पकाने की कुछ विधियां जैसे- उबालना और भाप, खाने से ऑक्सलेट के एब्जॉर्ब करने को कम कर सकती हैं। खाना पकाने में कुछ बदलावों के अलावा, कैल्शियम से भरपूर डाइट लेने की कोशिश करनी चाहिए और विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।
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कुछ विटामिन और मिनरल्स की मौजूदगी भी एक-दूसरे के साथ रिएक्शन कर सकती है। जैसे- कैल्शियम आयरन को एब्जॉर्ब करने में बाधा डालता है। इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ आयरन सप्लीमेंट का सेवन न करें। इसी तरह, एक स्टडी से पता चलता है कि विटामिन-ए की मौजूदगी फाइटेट और पॉलीफेनोल्स को आयरन को जुड़ने से रोकती है, जो आयरन का लेवल बढ़ाती है।
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