रिश्ते में प्यार और भरोसा बनाए रखते हैं
जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है और उसे निभाने के लिए वचन हम लेते हैं। पर कई बार यह खुशनुमा रिश्ता चिंता, तर्क, मान-अपमान, तरजीह आदि के चलते संतुलन खोने लग जाता है। इस संतुलन को बरकरार रखने के लिए आप दोनों को कुछ नियम अपनाने होंगे, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी
रिश्ता सात जन्मों का। सात फेरे और सात ही वचन। एक ऐसा रिश्ता, जिसको निभाने का सबका अपना-अपना तरीका होता है। कोई कहता है कि रिश्ता दिल से निभता है तो कोई कहता है त्याग से। कोई कहता है कि समय के साथ रिश्ते के धागे मजबूत होते हैं तो कोई इसके रंग को जिम्मेदारियों के साथ गाढ़ा होने की बात करता है। कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ। पर सच तो यह है कि इन तमाम बातों के साथ ही अगर रिश्ता निभाते वक्त सात नियमों को अपना लिया जाए तो वह न सिर्फ खुशनुमा हो जाएगा, बल्कि जिंदगी में मन-मुटाव की रुकावटों में भी कमी
आ जाएगी।
1-हम एक-दूसरे को नहीं कोसेंगे –
गुस्सा किसे नहीं आता? पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि गुस्से में आप कुछ भी कहने लग जाएंगी और एक-दूसरे को कोसने लगें, जैसे कि- तुम्हारा नुकसान हुआ, तुम इसी लायक हो, तुम भुगतोगे वगैहर-वगैहर। इस बाबत साइकोलॉजिस्ट शैफाली अग्रवाल का कहना है कि आपकी जुबान से निकले ये अल्फाज आपके पार्टनर के दिल में बैठ जाते हैं। फिर इसके लिए आप चाहे जितनी भी माफी मांगें, शर्मिंदगी महसूस करें, वह कड़वाहट कम नहीं होती। कई बार ये रिश्ते में काफी प्रतिकूल प्रभाव डाल जाता है।
2-हम मतभेदों का अंत कर लेंगे-
बेडरूम एक ऐसी जगह है, जहां हम खुद के लिए सुकून चाहते हैं। आप भी कुछ ऐसा ही सोचती होंगी। तो यहां के लिए नियम यह है कि सोने जाने से पहले आप और आपका पार्टनर आपस के तनाव को खत्म करें और समस्या का समाधान निकालें। फिर चाहे समस्या जटिल या तुरंत समाधान न मिलने वाली ही क्यों न हो। ऐसी सूरत में अस्थाई समाधान ही काफी होंगे। ऐसा न करने पर आप रात में चैन से सो नहीं पाएंगी और तनाव का स्तर लगातार बढ़ता जाएगा।
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