ऐसे मिला था शनिदेव को नौ ग्रहों के स्वामी का वरदान
कहा जाता है कि एक बार भगवान सूर्यदेव पत्नी छाया से मिलने आए, सूर्यदेव के तप और तेज के कारण शनिदेव महाराज ने अपनी आंखें बंद कर ली और वह उन्हें देख नहीं पाए। भगवान शनि के वर्ण को देख सूर्यदेव ने पत्नी छाया पर संदेह व्यक्त किया औऱ कहा कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता। इसके चलते शनिदेव के मन में सूर्य के प्रति शत्रुवत भाव पैदा हो गया।
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सूर्यपुत्र भगवान शनि देव को न्याय और कर्मों का देवता माना जाता है। 9 ग्रहों के समूह में इन्हें सबसे क्रूर और गुस्सैल माना गया है। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। शनिदेव केवल उन्हीं लोगों को परेशान करते हैं, जिनके कर्म अच्छे नहीं होते और भगवान शनिदेव जिस पर महरबान होते हैं उसे धन धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार शनि महाराज एक ही राशि में 30 दिनों तक रहते हैं।
ऐसा माना जाता है भगवान शिव ने शनिदेव को नौ ग्रहों में न्यायधीश का कार्य सौंपा है। शनि महाराज की आपने वैसे तो कई कथाएं सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपके लिए भगवान शनिदेव के जन्म की अद्भुत कथा लेकर आए हैं। जिसे पढ़कर आप पापों से मुक्ति पा सकते हैं। आइए जानते हैं
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शनिवार को शनि पूजा कर क्षमा प्रार्थना का विशेष मंत्र बोलें –
शनिवार को स्नान के बाद यथासंभव काले वस्त्र पहनकर शनि मंदिर में शनि देव का ध्यान कर प्रतिमा को पवित्र जल, तिल या सरसों का तेल, काला वस्त्र, अक्षत, फूल, नैवेद्य अर्पित करें। सरल शनि मंत्रों जैसे ‘ॐ शं शनिश्चराय नम:’ शनि चालीसा या शनि स्त्रोत का पाठ करें।
– मंत्र ध्यान व पूजा के बाद शनिदेव की आरती कर नीचे लिखे मंत्र से जाने-अनजाने हुए बुरे कर्म व विचार के लिये क्षमा मांग आने वाले वक्त को सुखद व सफल बनाने की कामना करें –
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।