वीर्य शोधन चूर्ण वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, शुक्रमेह (पेशाब के साथ वीर्य का जाना) इत्यादि धातुदोष को दूर कर वीर्य को शुद्ध और श्वेत बनाता है। यह औषध सामान्य होने पर भी अच्छा काम देती है।

बनाने की विधि: बबूल की बिना बीजवाली कच्ची फली, बबूल की कोपल और बबूल का गोंद, तीनों को समभाग ले कर चूर्ण करे। 

द्रव्य : बबूल के वृक्ष की बिना बीजों वाली कच्ची फलियां, बबूल के ही कोमल पत्ते और बबूल का ही गोंद, तीनों समान मात्रा में लें।
विधि : तीनों को छाया में सुखाकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके शीशी में भरकर रख लें। यह वीर्य शोधन चूर्ण है। इस चूर्ण को एक चम्मच 5-6 ग्राम मात्रा में लें और इतनी ही पिसी मिश्री लें। दोनों को मिलाकर फांक लें और ऊपर से दूध पी लें। चाहें तो सिर्फ एक बार सुबह सेवन करें या चाहें तो सुबह और रात दोनों समय सेवन करें

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लाभ : यह सरल, सीधा और सस्ता सा नुस्खा जादुई व गुणकारी है। कम से कम 60 दिन नियमित रूप से सेवन करने पर धातु शुद्ध और पुष्ट होती है, शुक्र की वृद्धि होती है, शुक्र गाढ़ा और निदर्ोेष होता है तथा स्वप्न दोष तथा शीघ्रपतन जैसी व्याधियां गायब हो जाती हैं। यह नुस्खा परीक्षित है। हानिकारक आहार-विहार का त्याग और उचित आचरण का पालन करते हुए इस योग का प्रयोग करें।

 

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