लिमिट से ऊपर जाए तनाव तो हो जाएं सावधान

नवभारतटाइम्स.कॉमUpdated: 22 Oct 2018, 08:23:00 AM

तनाव हमेशा बुरा नहीं होता। जब यह छोटे स्तर पर होता है तो यह दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने में आपकी मदद करता है, लेकिन यह काफी ज्यादा

हो जाए तो आप उसे मैनेज नहीं कर पाएंगे

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तनाव हमेशा बुरा नहीं होता। जब यह छोटे स्तर पर होता है तो यह दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने में आपकी मदद करता है, लेकिन यह काफी ज्यादा हो जाए तो आप उसे मैनेज नहीं कर पाएंगे और तब आपका जीवन और कामकाज प्रभावित होगा। ऑफिस या घर जीवन के हर क्षेत्र में आपका काम प्रभावित होगा और आपके संबंध भी प्रभावित होंगे।
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जानिए अपनी लिमिट
यह वह स्थिति होती है, जब कोई व्यक्ति सहन करने की क्षमता खो देता है। इसके चलते उसका कामकाजी प्रदर्शन निचले स्तर पर चला जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव की लिमिट अलग-अलग व्यक्तियों, परिस्थितियों और व्यक्तिगत क्षमता (मानसिक और शारीरिक) के हिसाब से अलग-अलग होती है।

तनाव की लिमिट को पैरामीटर्स के आधार पर मॉनिटर किया जा सकता है यानी जब कोई व्यक्ति तनाव के स्रोत से बचना चाहता है। तनाव के बड़े कारण से बचने की चाह ही तनाव का प्रमुख संकेत है। मेंटल हेल्थ पोर्टल माइंड फैक्टरी के फाउंडर और साइकोथेरेपिस्ट डॉ विहान सान्याल ने कहा, ‘कई लोग ज्यादा तनाव के माहौल में जीना जारी रखते हैं। उन्हें इस बात का पता ही नहीं होता कि बार-बार सिर दर्द, बार-बार गुस्सा होने, ठीक से नींद न आने का संबंध तनाव से हो सकता है। ये सामान्य लक्षण तनाव के हो सकते हैं और इन्हें आपको खुद चेक करना चाहिए। आपका तनाव जब अपनी लिमिट को पार कर जाता है, तो यह आपके रोजमर्रा के काम को प्रभावित करने लगता है।’

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कैसे पहुंचाता है नुकसान
तनाव आपके सोचने-समझने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। इसके सामान्य लक्षणों में बार-बार सिर दर्द होना, वजन घटना या बढ़ना, ठीक से नींद न आना, खाना-पीना ठीक से न होना, बार-बार बीमार पड़ना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, मूड स्विंग होना और हाइपरएक्टिव और ओवरसेंसिटिव होना हैं। कुछ मामलों में तो डिप्रेशन भी हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘तनाव अक्सर आत्महत्या के विचारों के साथ आता है, खुद को या उसके परिजन को नुकसान पहुंचाने के विचारों को भी लाता है। इससे कोई व्यक्ति अपना आत्मसम्मान भी खो देता है। इससे बचने के लिए प्रोफेशनल्स की मदद लेनी चाहिए। यदि यह अपनी सीमा रेखा को पार कर जाता है, जिसमें कोई व्यक्ति इसे सहन नहीं कर सकता और दवाइयां काम नहीं करतीं, ऐसे में थेरेपिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए।’

बी आर लाइफ एसएसएनएमसी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बेंगलुरु के न्यूरोसर्जन डॉ एन के वेंकटरमन के मुताबिक, ‘लंबे समय तक तनाव में रहने से यह इम्‍युनिटी और हॉर्मोंस पर असर डालता है। नतीजतन आपको ज्यादा बेचैनी होती है और आपका ध्यान लगना कम हो जाता है।’ वहीं डॉ सान्याल ने कहा, ‘जब आपको तनाव होता है तब आप दफ्तर में मीटिंग्स, फोन पर बातचीत करने से बचते हैं। कई बार लोग जीवनसाथी से भी बात करने से बचने लगते हैं। उस समय वे खुद को असहाय पाते हैं।’

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स्वास्थ्य पर असर
लंबे समय तक तनाव के रहने से दिल और ब्लड वेसल्स से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। तनाव लंबे समय से परेशान कर रहा हो तो मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, ओएसोफैगस बाउल मूवमेंट, नर्वस सिस्टम और रिप्रॉडक्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है। इसके ज्यादा समय तक बने रहने से यह आपकी बॉडी में स्ट्रेस हॉर्मोंस को बढ़ा देता है। कॉर्टिकोस्टेरॉयड जैसे स्ट्रेस हॉर्मोंस ब्रेन के न्यूट्रॉन्स में केमिकल्स कम कर देते हैं, जिसके चलते याददाश्त कमजोर हो जाती है और आसपास की चीजों में व्यक्ति की दिलचस्पी कम होने लगती है। अगर आप घर या दफ्तर में कुछ खास स्थितियों से बचने की कोशिश कर रहे हों तो आप स्ट्रेस से परेशान हो सकते हैं
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