बाड़मेर थार के वाशिंदे इस बार लू में पक रहे बाजरे की रोटी खाएगा। यह कमाल हुआ है जायद की फसल के तैयार होने से। जहां एक ओर अकाल में चारे-पानी का संकट है दूसरी ओर यहां कृषि क्षेत्र में खरीफ व रबी के बाद इस साल जायद की फसल भी तैयार हो रही है। जून माह में गुजराती बाजरी खाने वाले थार के लोगों में से इस बार कईयों को देसी बाड़मेरी बाजरी नसीब होगी। लू और गर्मी में 6350 हेक्टेयर में बाजरा पक रहा है। जिसकी उपज करीब एक लाख क्विंटल होगी।
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थार के रेगिस्तान में डेढ़ दशक पहले केवल खरीफ की फसल ही पैदा हो रही थी। इसके बाद क्षेत्र के बालोतरा, सिवाना, समदड़ी, शिव , वेड़वा, धनाऊ, धोरीमन्ना, गुड़ामालानी व चौहटन में कृषि कुएं बढ़े तो यहां पर रबी की पैदावार होने लगी और 16 अरब के जीरे सहित कई फसलों ने रेगिस्तान की तस्वीर ही बदल दी। खरीफ और रबी की फसल में तो मौसम को लेकर यहां के लोगों को कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अब तो यहां जायद की फसल बो दी गई। करीब 45 डिग्री तापमान और आग की तरह चलती लू के थपेड़ों में यह सबसे मुश्किल समझा जा रहा था लेकिन जिले में फरवरी माह में बुवाई की गई जायद की फसल मई में पकने को तैयार है। अभी यह फसलें खेतों में लहलहा रही है