बुजुर्ग कहते हैं नहाए के बाल और खाए के गाल अलग नजर आ जाते हैं। कहने को ये बहुत साधारण-सी बात है, लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं। जैसा आपका खान-पान होता है, चेहरे पर चमक भी वैसी ही होती है। हमारी सेहत एक तरह का निवेश है, जैसा निवेश करेंगे रिटर्न भी वैसा ही मिलेगा। यानी जितना अच्छा खाना खाएंगे, सेहत उतनी ही अच्छी रहेगी।
अच्छे खाने से मतलब संतुलित आहार से है। यानी आपके खाने में वो तमाम जरूरी पोषक तत्व होना लाजमी हैं, जिसकी आपके शरीर को जरूरत है। अफसोस की बात है कि ज्यादातर लोग चटर-पटर, तला-भुना तो खूब खाते हैं, पर संतुलित आहार नहीं लेते। इसकी भी कई वजह हैं। पहली वजह तो यही है कि हम हर समय दौड़ते-भागते रहते हैं।
हमारे पास हरेक काम करने का समय होता है। लेकिन, सुकून से खाना खाने का टाइम बिल्कुल नहीं होता। लिहाजा जो मिलता है, आनन-फानन में वही खा कर सिर्फ पेट भर लेते हैं। कई लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उन्हें कौन सी चीज खाने से कौन सा पोषक तत्व मिल सकता है।
हम सभी खुद को कैसे तंदुरुस्त और सेहतमंद रखें, इसके लिए कई तरह की रिसर्च की जा रही हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसी सौ चीजों की लिस्ट बनाई है, जिन्हें खान-पान का हिस्सा बनाकर हम अपने शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व दे सकते हैं।
चलिए इनमें से कुछेक से आपको रूबरू कराते हैं। ये आपकी जेब पर बोझ भी नहीं बनेंगे और आसानी से मिल भी जाएंगे।
बादाम प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। इसमें अच्छी तादाद में मोनो-अनसेचुरेटेड फैट होता है, जो दिल की बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है। रोज पांच से सात बादाम खाना सेहत के लिए फायदेमंद है। 100 ग्राम बादाम में 597 किलो कैलोरी होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका पोषक स्कोर है। बादाम के साथ साथ किशमिश भी सेहत के लिए फायदेमंद है। ये तीन रंगों में आती है लाल, हल्के हरे रंग की और काले रंग की। इसका पोषक स्कोर है।
अगर आप मांसाहारी हैं तो सी-फूड आपके लिए बेहतरीन है। रेड स्नाइपर नाम की मछली में खास तरह के पोषक तत्व होते है, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं। लेकिन इसे खाते वक्त सावधानी की जरूरत है क्योंकि इसमें खतरनाक टॉक्सिन भी होते हैं। अगर इसे अच्छी तरह साफ नहीं किया गया तो, रेड स्नाइपर फायदे की जगह नुकसान भी कर सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका पोषक स्कोर है।
साइट्रस फल यानी नींबू और इसके खानदान के दूसरे भाई-बंधु, जैसे नारंगी, कीनू, माल्टा और नारंगी। साइट्रस फल हमेशा सेहत के लिए अच्छे होते हैं। इनमें विटामिन सी खूब होता है। इससे हमारी स्किन चमकदार बनती है। इसे हमारी खाना पचाने की कुव्वत भी बेहत होती है।
जिन्हें एसिडिटी की शिकायत रहती है उनके लिए तो साइट्रस फ्रूट रामबाण हैं। इनमें संतरा सबसे ऊपर है। ये दुनिया में लगभग सभी देशों में पैदा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका पोषक स्कोर है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा चमकी दमकती रहे तो संतरे रोज खाएं।
डॉ नुस्खे ऑरगँनिक ब्लँक किशमिश SULPHUR FREE किशमिश खाने के स्वास्थ्यवर्धक फायदे उच्च रक्तचाप करे कम ब्लड प्रेशर हाई है, तो काली किशमिश खाएं। ब्लड प्रेशर रक्त वाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गए दबाव को कहते हैं। धमनी एक नलिका होती है, जो रक्त को हृदय से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ले जाती है। रोज सुबह काली किशमिश खाएं। रक्तचाप को बढ़ाने के लिए सोडियम अधिक जिम्मेदार होता है, इसलिए कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से दूर रहने के लिए रोजाना काली किशमिश खाएं। इसमें पाए जाने वाले एंटी−ऑक्सीडेंट्स आपकी मेमोरी को बूस्टअप करने का काम करते हैं। काले किशमिश कैंसर को रोकने में भी सहायक है। इन सूखे अंगूरों में फेनोलिक यौगिक पाया जाता है, जो कोलन कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मदद करती हैं। मर्दाना ताकत बढ़ाने का अचूक उपाय है डॉ नुस्खे काली किशमिश, जानें सेवन करने के तरीके कुछ शारीरिक कमजोरियां जैसे- स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कमजोरी आदि समस्याएं हैं जो मन पर नियंत्रण न होने की वजह से होती है. काली किशमिश का इस्तेमाल करने के तरीके- सबसे पहले किसी कांच के बर्तन में 300 ग्राम किशमिश के दाने लें. उसके बाद उसमें ऊपर से शहद इतना डालना है कि किशमिश अच्छी तरह से डूब जाए. अब इसे ढक्कन बंद करके 48 घंटे के लिए किसी अंधेरी कोठरी में रख दें. 48 घंटे बाद किशमिश के 4-6 दाने शहद के साथ निकाल लीजिए और सुबह खाली पेट सेवन करें. इसके पश्चात गाय का दूध एक ग्लास पिए. नियमित ऐसा करने से कुछ ही दिनों में आपकी मर्दाना शक्ति बढ़ जाएगी. ध्यान रहे इसे खाने से पहले और खाने 30 मिनट तक और खाने के 30 मिनट बाद तक किसी भी चीज का सेवन ना करें. साथ ही इसके सेवन काल में ब्रह्मचर्य का पालन करें. धन्यवाद. काली किशमिश पाचन तंत्र के लिए भी बेहद लाभदायक है।
अनार में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं। इसमें आयरन भी खूब होता है। रोजाना एक अनार खाने से हीमोग्लोबिन की कमी नहीं रहती।
मौसम बदल रहा है। गर्मी आने वाली है। इस मौसम में शरीर को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है। लिहाजा ऐसे फल और सब्जियां खानी चाहिए, जिनमें पानी खूब हो। खीरा, तरबूज, और खरबूज ऐसे ही फल हैं।
भारत में तो खरबूजा खूब पैदा होता है। इसमें पानी के साथ फाइबर भी खूब होता है। ये आंतो के लिए फायदेमंद है। इससे कब्ज की शिकायत नहीं रहती। 100 ग्राम खरबूजे में 34 किलो कैलोरी होती है। इसका पोषक स्कोर है।
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सिंघाड़े में भी पानी बहुत होता है। इसे खाने से भूख पर काबू पाना आसान हो जाता है। कच्चा सिंघाड़ा ये सब्जी माना जाता है। इसे कई तरह से खाया जा सकता है। इसे सुखाकर इसका आटा बनाया जाता है।
हिंदू धर्म के कई व्रतों में सिर्फ सिंघाड़े और उसके आटे से बनी चीजें ही इस्तेमाल होती हैं। https://cutt.ly/7h1zqYg ये शरीर में पानी के स्तर को बनाए रखने में मददगार होता है। 100 ग्राम सिंघाड़े में 97 किलो कैलोरी होती है। इसका पोषक स्कोर है।
गोभी और ब्रॉक्कली भी सेहत के लिए काफी फादेमंद हैं। गोभी भारत में खूब पैदा होती है और ब्रॉक्कली विदेशी सब्जी है। ये देखने में बिल्कुल गोभी जैसी लगती है। लेकिन इसका रंग गहरा हरा होता है।
कहा जाता है कि ब्रॉक्कली में बहुत छोटे छोटे कीड़े छिपे रहते हैं। इसलिए इसे बहुत अच्छे से साफ करने की जरूरत होती है। एक रिसर्च के मुताबिक पिछले 50 सालों में अमरीका में ब्रॉक्कली की मांग पांच गुना बढ़ गई है।
गाजर तो सेहत के लिए रामबाण कही ही जाती है। सर्दी में बहुत कम दाम में ये सभी जगह मिल भी जाती है। इसकी खूबी है कि इसे कच्चा भी खाया जा सकता है और सब्जी या कुछ और बनाकर भी है। गाजर के बारे में कहा जाता है कि ये अब से ग्यारह सौ साल पहले सबसे पहले अफगानिस्तान में पैदा की गई थी।
उसके बाद दुनिया के दूसरे हिस्सों में इसकी खेती शुरू हुई। 1500 ईस्वी में यूरोप के लोगों ने संतरी रंग की गाजर पैदा करनी शुरू की। कई देशों में तो बैंगनी रंग की गाजर भी पैदा की जाती है। गाजर में फाइबर, विटामिन ए और आयरन काफी मात्रा में होता है। ये खून साफ रखने में भी मददगार होती है।
फली वाली सब्जियां कोलेस्ट्रॉल की समस्या दूर करने में सहायक होती हैं। फलियां कई तरह की आती हैं। सेम की फली, लोबिया की फली, या फिर फ्रेंच बीन्स। सभी शरीर में जमे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार होती हैं।
हमारे किचन में खूब इस्तेमाल होने वाली अदरख को जड़ी कहें, तो ज्यादा बेहतर होगा। ये मसाले की तरह इस्तेमाल होती। इसके चटनी-अचार भी बनते हैं। अदरक में काफी मात्रा में एंटी ऑक्सिडेंट होते हैं। ये शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं
अदरक का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी होता है। गला खराब होने या नजला होने पर इसका इस्तेमाल फायदेमंद है। अदरक शरीर से बादी घटाने में भी मददगार है। इसके इस्तेमाल से पाचन क्षमता बेहतर होती है।
अंजीर प्राचीन फलों में से एक है। इसे सुखा कर मेवे के तौर पर खाया जाता है। साथ ही कच्ची और ताजा अंजीर को फल के तौर पर खाया जा सकता है। इसमें काफी मात्रा में मैंगनीज नाम का तत्व मिलता है। ये पाचन तंत्र सेहतमंद रखने में मददगार होते हैं। अंजीर को अगर कच्चा खाया जाए तो ज्यादा फायदा देती है।
त्रिफला आयुर्वेद की अमृत औषिधि । वात, कफ तथा पित्त को पुनः संतुलित कर के हम न केवल शारीरिक बीमारियों को दूर कर सकते हैं किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति त्रिफला का सेवन कर सकता है। लेकिन एक बात तय है कि बेड टी की आदत छोड़नी होगी। दरअसल पूर्ण लाभ के लिये प्रातः सो के उठने के तुरंत बाद कुल्ला करके ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करना है। और फिर कम से कम एक घंटे तक किसी भी चीज का सेवन नहीं करना है। केवल पानी पी सकते हैं। विकारों को शरीर से बाहर निकालना स्वास्थ्य प्राप्त करने का प्रथम सूत्र है।
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अतः त्रिफला सेवन प्रारंभ करने पर कुछ दिनों तक दिन में एक या दो बार पतले दस्त आना सामान्य बात है। अतः इसके लिये तैयार भी रहें। जैसे ही शरीर के विकार दूर होने लगेंगे दस्त आना भी बंद हो जायेंगे। कई बार व्यस्तता के कारण लोग इसके लिये तैयार नहीं होते हैं। दूसरी और त्रिफला में आंवला की मात्रा अधिक होने के कारण इसका प्रभाव ठंडा होता है। यह स्थिति भी कई लोगों को असहज लग सकती है। अतः उम्र के अनुसार जो भी मात्रा आप को लेनी चाहिये उसकी आधी मात्रा से प्रारंभ करना आसान हो सकता है। धीरे धीरे मात्रा बढ़ाते हुये एक महीने के अन्दर अपनी पूर्ण खुराक तक पहुँचना व्यवहारिक रहेगा। लेकिन सुबह सुबह खाली पेट सेवन एवं एक से दो घंटे तक ताजे पानी की अतिरिक्त और कुछ भी सेवन न करने के नियम का कठोरता से पालन अति आवश्यक है।
खाना कम ही खाएं, पर संतुलित खाएं। भारतीय लोगों में, खासकर महिलाओं में आयरन की बहुत कमी है। लिहाजा उन्हें ऐसी चीजें खानी चाहिए, जिसमें आयरन की मात्रा ज्यादा हो।