बबूल का गोंद गर्मी के मौसम में एकत्रित किया जाता है। इसके तने में कहीं पर भी काट देने पर जो सफेद रंग का पदार्थ निकलता है। उसे गोंद कहा जाता है। यह बाज़ार में भी किसी भी दुकान पर सहजता से मिल जाता है। सामान्यतः गोंद का सेवन 5 से 10 ग्राम तक किया जा सकता है।
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बबूल के गोंद के फायदे | Babool Gum Benefits
1. कमर दर्द : बबूल की छाल, फली और गोंद बराबर मिलाकर पीस लें, एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
2. सिर दर्द : पानी में बबूल का गोंद घिसकर सिर पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
3. मधुमेह : 3 ग्राम बबूल के गोंद का चूर्ण पानी के साथ या गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ पहुंचता है।
4. पुरुष और स्त्री दोनो की कमज़ोरी मिटाए : बबूल के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों की ताक़त बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।
5. खांसी : बबूल का गोंद मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।
6. वैवाहिक जीवन : बबूल के गोंद को घी में भूनकर उसका पकवान बनाकर सेवन करने से मनुष्य को वैवाहिक जीवन का परम आनंद मिलता है।
7. जलने पर : बबूल की गोंद को पानी में घोलकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन दूर हो जाती है।
8. मासिक-धर्म के विकार : 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है और मासिक धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है।
9. अतिसार या दस्त : बबूल की गोंद को 3 ग्राम से लेकर 6 की मात्रा में दिन में सुबह और शाम पीने से 1 दिन में ही अतिसार में लाभ होने लगता है।
10. पेट और आँतो के घाव : बबूल की गोंद पानी में घोलकर पीने से आमाशय (पेट) और आंतों के घाव तथा पीड़ा मिट जाती है।
11. शक्तिवर्द्धक : बबूल के गोंद को घी के साथ तलकर उसमें दुगुनी चीनी मिला देते हैं इसे रोजाना 20 ग्राम की मात्रा में लेने से शक्ति में वृद्धि होती है।
12. बवासीर : बबूल का गोंद, कहरवा समई और गेरु 10-10 ग्राम लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसके 1 से 2 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध की छाछ (मट्ठा) में मिलाकर 2 से 3 सप्ताह तक पीयें। यह बादी बवासीर और खूनी बवासीर दोनों रोगों में लाभकारी होता है
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बबूल के सेवन से कंठ के रोग का इलाज (Uses of Babool Tree to Treat Throat Disorder in Hindi)
- बबूल के पत्ते और छाल एवं बड़ की छाल लें। सबको बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छानकर रख लें। इससे कुल्ला (गरारा) करने से गले के रोग मिट जाते हैं।
- इसके अलावा बबूल की छाल के काढ़ा से गरारा करें। इससे भी कंठ के रोग में लाभ होता है।
आंखों के रोग में बबूल का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Kikar Tree for Eye Disease in Hindi)
- बबूल के कोमल पत्तों को गाय के दूध में पीस लें। इसका रस निकालकर 1-2 बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों के दर्द ठीक होते हैं। इससे आंखों की सूजन में भी लाभ होता है।
- आंखों से पानी बहने पर बबूल के पत्तों का काढ़ा बनाएं। इसमें शहद मिलाकर काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों से पानी बहने की परेशानी ठीक होती है।
- बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का काढ़ा बनाकर आंखों को धोएं। इससे आंंखों की अन्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
श्वसन-तंत्र संबंधित विकार में बबूल का इस्तेमाल फायदेमंद (Benefits of Babool Tree in Respiratory Disease in Hindi)
- बबूल के पत्ते तथा तने की छाल का चूर्ण बनाएं। इसके 1-2 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर सेवन करे। इससे श्वसन-तंत्र की बीमारी में लाभ होता है।
- इसी तरह 1 ग्राम बबूल गोंद का सेवन करने से सांसों की बीमारी ठीक होती है।
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बबूल के सेवन से मूत्र रोग का इलाज (Uses of Acacia in Urinary Disorder in Hindi)
- बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर पानी में ही रखें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे पेशाब में जलन की समस्या में लाभ मिलता है।
- इसी तरह 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से बार-बार पेशाब आने की परेशानी ठीक हो जाती है।
वीर्य रोग (धातु रोग) में बबूल का औषधीय गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Sperm Related Disorder in Hindi)
- बबूल की फली को छाया में सुखाकर पीस लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम रोज पानी के साथ लें। इससे वीर्य के विकार ठीक होते हैं।
- बबूल के गोंद को घी में तलें। इसको खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है।
- बबूल के गोंद के फायदे (gond ke fayde) से पुरुषों के यौन संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
- 2 ग्राम बबूल के पत्ते में 1 ग्राम जीरा तथा चीनी मिलाएं। इसे 100 मिली दूध में मिलाकर सेवन करें। इससे शुक्राणु संबंधित रोगों में लाभ होता है।
बबूल के गुण से स्वप्न दोष का इलाज (Babool Tree Uses to Stop Nightfall in Hindi)
बबूल के उपयोग से स्वप्न दोष का उपचार होता है। 20 ग्राम बबूल पंचांग में 10 ग्राम मिश्री मिलाएं। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोज सेवन करें। इससे स्वप्न दोष में लाभ होगा।
योनि के ढीलेपन की समस्या में बबूल के फायदे (Babool Tree Uses to Treat Vaginal Laxity in Hindi)
- एक हिस्सा बबूल की छाल को 10 हिस्सा पानी में रात भर भिगोएं। सुबह पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छान कर बोतल में भर लें। इस पानी से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर होता है।
- बबूल की फलियों का चिपचिपा पदार्थ लें। इससे थोड़े मोटे कपड़े को 7 बार गीला करके सुखा लें। संभोग से पहले इस कपड़े के टुकड़े को दूध या पानी में भिगोएं। इस दूध या पानी को पी लें। इससे योनि के ढीलापन की समस्या दूर होती है।
मासिक धर्म विकार में बबूल का गुण लाभदायक (Babool Tree Uses for Menstrual Disorder in Hindi)
- बबूल का 4.5 ग्राम भुना हुआ गोंद लें। गेरु 4.5 ग्राम लें। इनको पीसकर सुबह सेवन करने से मासिक विकारों में लाभ होता है।
- बबूल की 20 ग्राम छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा 100 मिली बच जाए तो दिन में तीन बार पीएं। इससे मासिक धर्म की बीमारी जैसे मासिक धर्म में खून अधिक आने की समस्या ठीक होती है।
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मेनोरेजिया में बबूल का गुण लाभदायक (Babool Tree Benefits for Menorrhagia Treatment in Hindi)
बबूल के गोंद और गेहूं को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मेनोरेजिया में लाभ होता है।
ल्यूकोरिया में बबूल के औषधीय गुण से फायदा (Babool Tree Benefits to Treat Leucorrhoea in Hindi)
- ल्यूकोरिया के इलाज के लिए 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली जल में पकाएं। जब काढ़ा 100 मिली रह जाए तो काढ़ा में 2-2 चम्मच मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम पिएं। इससे ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
- काढ़ा में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।
- इसके अलावा 15-30 मिली बबूल के तने की छाल का काढ़ा का सेवन करें। इससे भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
बबूल के गुण से सूजाक का इलाज (Babool Tree Benefits in Gonorrhea Treatment in Hindi)
- बबूल की 10-20 कोपलों को एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे रात भर ऐसे ही रहने दें। सुबह पानी को साफ कर पिएं। इससे सूजाक में लाभ मिलता है।
- 10 ग्राम बबूल की कोंपलों को रात भर एक गिलास पानी में भिगोएं। इसे सुबह मसलकर छान लें। इसमें 20 ग्राम गर्म घी मिलाकर पिलाएं। दूसरे दिन भी ऐसा ही करें। तीसरे दिन घी नहीं मिलाएं। चौथे और पांचवे दिन सिर्फ इसका हिम (रात भर का भिगोया हुआ पानी) पीने से सूजाक में बहुत लाभ होता है।
- बबूल की 10 ग्राम गोंद को एक गिलास पानी में डालें। इसकी पिचकारी देने से योनि में दर्द और सूजन की परेशानी ठीक होती है। इससे सूजाक रोग के कारण होने वाली जलन भी ठीक होती है।
- बबूल के 5-10 पत्तों को 1 चम्मच शक्कर और 2 नग काली मिर्च के साथ या 5-6 अनार के पत्तों के साथ पीसकर छान लें। इसे पीने से सूजाक में लाभ होता है।
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सिफलिस रोग के इलाज के लिए बबूल का उपयोग (Benefits of Babool Tree in Syphilis Disease in Hindi)
बबूल के पत्ते से चूर्ण बना लें। इसे सिफलिश वाले घाव पर छिड़कें। इससे घाव तुरंत ठीक हो जाता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
सूतिका को होने वाले रोग में बबूल का उपयोग (Babool Benefits in Post Pregnancy Disorder in Hindi)
- जो महिलाएं हाल-फिलहाल में मां बनी हैं। उनको होने वाली समस्याओं में बबूल से लाभ होता है। बबूल की छाल का 10 ग्राम चूर्ण बनाएं। इसमें 3 नग काली मिर्च मिलाएं। दोनों को पीस लें। इसे सुबह-शाम खाएं। इस दौरान सिर्फ बाजरे की रोटी और गाय का दूध लें। इससे गंभीर सूतिका रोग में भी लाभ होता है।
- बबूल के गोंद को घी में तलें। इसे प्रसूति काल में स्त्रियों को खिलाने से शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है।
दस्त रोकने के लिए बबूल का इस्तेमाल (Benefits of Babool to Stop Diarrhea in Hindi)
- बबूल के 8-10 कोमल पत्तों का रस लें। आप रस में 500 मिग्रा जीरा और 1-2 ग्राम अनार की कलियों को भी मिला सकते हैं। इसे 100 मिली पानी में पीस लें। पानी में एक टुकड़ा गर्म इऔट का बुझा लें। दिन में 2-3 बार 2 चम्मच इस पानी को पिलाने से दस्त बंद हो जाता है।
- बबूल के पत्ते के रस को छाछ में मिलाकर पिलाने से हर प्रकार के दस्त पर रोक लगती है।
- दस्त की परेशानी में बबूल की दो फलियां खाकर ऊपर से छाछ पिएंं। दस्त बंद हो जाती है।
- दस्त को बंद करने के लिए बबूल के पत्तों से बने पेस्ट को जल में घोलकर पिएं। इससे फायदा होता है।
- बबूल के पत्ते, और शयामले जीरे को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे पीसकर 10 ग्राम की मात्रा में रात के समय देने से कफज विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।
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पेचिश में बबूल के गुण से फायदा (Babool Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
- बबूल की 10 ग्राम गोंद को 50 मिली पानी में भिगोएं। इसे मसलकर छानें। इसे पिलाने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
- बबूल की कोमल पत्तियों के एक चम्मच रस में थोड़ी-सी हरड़ का चूर्ण या शहद मिलाएं। इसका सेवन करने से पेचिश में फायदा होता है।
- बबूल के तने की छाल का काढ़ा बनाएं। इसका सेवन करने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
- बबूल के पत्ते का काढ़ा अथवा पत्ते के पेस्ट को तण्डुलोदक के साथ प्रयोग करने से दस्त और पेचिश में फायदा होता है।
बबूल के इस्तेमाल से पीलिया का उपचार (Benefits of Babool in Fighting with Jaundice in Hindi)
बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएंं। इसे 10 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
हड्डी संबंधित रोग में बबूल का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Babul in Bone Related Disorder in Hindi)
- बबूल की फली (babul ki fali) को अधिक मात्रा में लें। इनका चूर्ण बना लें। चूर्ण को रोज सुबह-शाम सेवन करने से टूटी हड्डी तुरंत जुड़ जाती है।
- इसके अलावा बराबर-बराबर मात्रा में बबूल या कीकर की फली, त्रिफला (आमलकी, हरीतकी, बहेड़ा) तथा व्योष (सोंठ, मरिच, पिप्पली) के चूर्ण लें। इसमें बराबर मात्रा में गुग्गुलु मिलाकर सेवन करें। इससे भी हड्डियों के टूटने की बीमारी में मिलता है।
रक्त-स्राव में बबूल से फायदा (Babul Tree Uses to Stop Bleeding in Hindi)
- शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उस अंग पर बबूल के पत्तों का रस लगाएं। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।
- इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़कें। इससे रक्तस्राव में लाभ होता है।
- इसी तरह 10-15 बबूल के कोमल पत्ते लें। इसमें 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी मिलाएं। इसे पीस कर छान लें। इसे पिलाने से आमाशय से होने वाला रक्तस्राव ठीक हो जाता है।