मुनक्का खाने में गर्म और तर प्रकृति का होता है। सर्दी के मौसम में मुनक्का का रोजाना सेवन करना लाभदायक होता है। इसका प्रयोग करने से प्यास शांत हो जाती है। यह गर्मी व पित्त को ठीक करता है। इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।

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रक्त (खून) व ताकत को बढ़ाने वाला : 60 ग्राम मुनक्का को धोकर भिगो दें। 12 घंटे के बाद भीगे हुए मुनक्के खाने से पेट के रोग दूर जाते हैं और खून तथा ताकत में वृद्धि होती है। मुनक्का की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाकर 200 ग्राम तक सेवन करने से लाभ मिलता है।
भूख नही लगना : मुनक्का, नमक, कालीमिर्च इन सबको गर्म करके खाने से भूख बढ़ती है। पुराने बुखार में जब भूख नहीं लगती हो तो यह प्रयोग लाभदायक रहता है।
चक्कर आना : 20 ग्राम मुनक्का को घी में सेंककर सेंधानमक डालकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं। लगभग 4-5 मुनक्का को पानी में भिगोकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं।

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खून की बीमारी और नजला : 20 ग्राम मुनक्का को रात को पानी में भिगो दें और सुबह के समय पीसकर 1 कप पानी में घोलकर रोजाना सेवन करने से खून साफ होता है। इससे उपाय नजला मेंं आराम मिलता है।
चेचक : चेचक के रोगी को दिन में कई बार 2-2 मुनक्का या किशमिश खिलाने से लाभ होता है।
टायफाइड : मुनक्का को बीच में से चीरकर उसमें काला नमक लगाकर, हल्का सा सेंककर खाने से बहुत जल्दी आराम आता है। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार मुनक्का से आंत्रिक ज्वर के जीवाणु भी नष्ट होते हैं। अधिक मात्रा में मुनक्का नही खिलाएं, क्योंकि ज्यादा मुनक्का खाने से अतिसार (दस्त) हो सकता है।
आंत्रिक ज्वर, गर्मी और बैचेनी : 3-3 ग्राम मुनक्का, वासा, हरड़ बराबर मात्रा में लेकर 300 मिलीलीटर पानी में डालकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े में शहद और मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से आंत्रिक ज्वर (टाइफाइड) में आराम आता है। इस ज्वर में मुनक्का का दूध पिलाकर ऊपर से नारंगी का रस पिलाने से आंत्रिक ज्वर, गर्मी और बैचेनी दूर होती है।
सन्निपात ज्वर : 7 बीज निकले मुनक्का, कालीमिर्च के 7 पीस, 7 बादाम, छोटी इलायची के 7 पीस, कासनी 5 ग्राम व सौंफ 5 ग्राम को पानी में पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में डालकर इसमें 1 चम्मच खांड मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है।
फेफड़ों के रोग : मुनक्का के ताजे और साफ 15 दानों को, पानी में साफ करके रात में 150 मिलीलीटर पानी में भिगों दें। सुबह बीज निकालकर उन्हें 1-1 करके खूब चबा-चबाकर खा लें। बचे हुए पानी में थोड़ी सी चीनी मिलाकर या बिना चीनी मिलाएं ही पी लें। इसे लगतार एक महीने तक सेवन करने से फेफड़ों की कमजोरी और विषैले मवाद नष्ट हो जाते हैं।

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गीली खांसी : मुनक्का के बीज निकालकर इसमें कालीमिर्च रखकर चबाना चाहिए और मुंह में रखकर सो जाना चाहिए। ऐसा करने से 6-7 दिनों में ही खांसी में लाभ होता है।
खांसी : खांसी में मुनक्का बहुत लाभकारी होता है। खांसी में अगर जुकाम बार-बार लगता हो ठीक न होता हो तो 10 मुनक्का, 10 कालीमिर्च, 5 बादाम, को भिगोकर छील लें। फिर इन सभी को पीसकर 25 ग्राम मक्खन में मिलाकर रात को सोते समय खाएं। सुबह दूध में पीपल, कालीमिर्च, सोंठ, डालकर उबला हुआ दूध पियें। यह प्रयोग कई महीने तक करने से जुकाम पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।
दमा और पुरानी खांसी : मुनक्के के दानों को धोकर शाम को पानी में भिगो दें। सुबह तक ये फूल जाएंगे। दिनभर रोगी को भूख लगने पर यही मुनक्के खाने को देना चाहिए। इससे दमा और पुरानी खांसी दूर हो जाती है। 3-4 मुनक्के लेकर उसके बीजों को निकालकर तवे पर भून लें, फिर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खाएं। मुनक्का के बीजों को निकालकर इसके साथ कालीमिर्च को मिलाकर चबाएं और मुंह में रखकर सो जाएं। इससे 1 सप्ताह में सूखी खांसी में आराम मिल जाता है।

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पुरानी से पुरानी कब्ज में रामबाण : रोजाना 10 मुनक्का को गर्म दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है। 3 पीस मुनक्का, 20 ग्राम किशमिश और एक अंजीर को शाम के समय 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इन सभी को मसलकर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर छान लें। बाद में इसमें एक नींबू का रस निचोंड़ दें और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीयें। इससे कुछ ही दिनों कब्ज में लाभ मिलता है।
माँ-शिशु के लिए दूध की पर्याप्त मात्रा में वृद्धि : 10-12 मुनक्के लेकर दूध में उबाल लें। इसे माँ को प्रसव के बाद दिन में 2 बार सेवन कराने से माँ-शिशु के लिए दूध की वृद्धि होती है।
पेट की गैस बनना : भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।
मुंह के छाले : पानी में मुनक्का के 8 से 10 दाने रात को भिगोकर रख दें। सुबह मुनक्का फूल जाने पर इसे चबा-चबाकर खायें। रोज सुबह इसको खाने से मुंह के छाले व जख्म ठीक हो जाते हैं।
जुकाम : 10 मुनक्का, 10 कालीमिर्च और 5 बादाम को पानी में भिगोकर छील लें। फिर इन सबको एक साथ पीसकर 25 ग्राम मक्खन में मिलाकर रात को सोते समय खा लें। सुबह उठने पर दूध में पीपल, कालीमिर्च और सौंठ को डालकर उबालकर दूध को पी लें। ऐसा लगातार काफी समय तक करने से जुकाम पूरी तरह से ठीक हो जाता है। मुनक्के को गर्म पानी के साथ खाने से जुकाम में आराम हो जाता है।
ज्यादा जुकाम होने पर : 6 मुनक्का, 6 बादाम, 6 पिस्ता, 1 लौंग, 1 इलायची और 2 चम्मच खसखस को सुबह इतने पानी में डालकर भिगो दें कि ये सारी चीजें पूरी तरह से उसके अन्दर डूबी रहें। शाम को मुनक्का के बीज निकाल लें और बादाम को छील लें। इन सबको एक साथ पीसकर किसी गीले मोटे कपड़े में पोटली बनाकर तवे पर रखकर सेंक लें। रात को सोते समय इसे खा लें पर इसका पानी नही पियें। इससे जुकाम पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
पौरुष ताकत : कमजोर व्यक्ति को मुनक्का खाना चाहिए, इससे पौरुष ताकत की वृद्धि होती है।
मुंह की दुर्गन्ध : 10 मुनक्का रोजाना 15 दिनों तक खाने से मुंह की दुर्गन्ध ठीक हो जाती है। इससे कब्ज और दांतों से आने वाली बदबू भी खत्म हो जाती है।

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हिचकी का रोग : 240 मिलीग्राम हींग, मुनक्का में लपेटकर खिलाने से हिचकी आना बंद हो जाती है। मुनक्का, पीपल और नागरमोथा का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकी में लाभ होता है।
संग्रहणी अर्थात दस्त बार-बार लगना : बड़ी हरड़, मुनक्का, सौंफ और गुलाब के फूलों को एक साथ लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को पीने से संग्रहणी अतिसार (दस्त का बार-बार आना) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
शारीरिक कमजोरी : मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे मल-मूत्र भी साफ हो जाता है।
प्यास अधिक लगना : थोड़ी-थोड़ी देर पर प्यास लगने व पानी पीने के बाद भी प्यास लगे। तो इस प्रकार के प्यास (तृष्णा) में बिना बीज के 4 मुनक्का मिश्री के साथ दिन में 2 से 3 बार लें।
पित्त बढ़ने पर : पित्त के बढ़ने पर मुनक्का खाना फायदेमंद होता है। इससे पित्त से भरी जलन भी दूर होती है।
रक्तपित्त : मुनक्का खाने से रक्तपित्त में काफी फायदा मिलता है।
प्लेग रोग : मुनक्का, सौंफ, पीपल, अनन्तमूल और रेणुका बराबर मात्रा में लेकर 8 गुना पानी में डालकर उबालें। चौथाई पानी शेष रहने पर उतार लें और छानकर गुड़ व शहद मिलाकर रोजाना सेवन करें। इससे प्लेग के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
मर्दाना कमजोरी : 250 मिलीलीटर दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे मर्दाना कमजोरी के विकार दूर होते हैं।
नाक के रोग : 5 मुनक्के के दाने (बिना बीज के), 4 ग्राम खसखस, 6 ग्राम पद्माख और 5 ग्राम सूखे आंवला को एक साथ मिलाकर पीस लें। रात को इसको 250 मिलीलीटर पानी में डालकर किसी मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रख दें। सुबह उठने पर इसको पानी में ही अच्छी तरह से मसलकर छान लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर रोगी को पिलाने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है।
गुल्म (वायु का गोला) : मुनक्का 14 से 28 मिलीलीटर को दिन में 3 बार 5 से 10 ग्राम गुड़ के साथ लेने से लाभ होता है।
पेट में दर्द : मुनक्का के 2 पीस को थोड़ी-सी हींग में मिलाकर खायें।
बिस्तर पर पेशाब करना : 2 मुनक्का के बीज निकालकर उसमें 1-1 कालीमिर्च डालकर बच्चों को 2 मुनक्के रात को सोने से पहले 2 हफ्तों तक लगातार खिलायें। इससे बच्चों की बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी दूर हो जाती है। रोजाना 5 मुनक्का खिलाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करने का रोग दूर होता है।
बुद्धिवैकल्प, बुद्धि का विकास कम होना : रोजाना 2 ग्राम मुनक्का (बीज रहित) और मिश्री को गर्म दूध के साथ खाने से बुद्धि का विकास तेजी से होता है।

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हैजा : पानी में मुनक्के उबालकर खाने से हैजा के रोग में लाभ होता है।
हृदय की दुर्बलता : 10 ग्राम हीरा हींग, बीज निकाले हुए 10 मुनक्के, 10 छुहारे, 10 ग्राम दालचीनी और 10 छोटी इलायची के दाने पीसकर एक शीशी में भर लें। एक चुटकी भर यह चूर्ण दिन में पांच बार लेने से हृदय की कमजोरी दूर हो जाती है।
दिल में खिंचाव, बोझ, अधिक धड़कन : बीज निकले 1 मुनक्के में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हींग भुनी पिसी डालकर पानी से सुबह निगल जायें। यह दिल में खिंचाव, बोझ, अधिक धड़कनों में बहुत अधिक लाभकारी है। 5 ग्राम मुनक्के, 2 चम्मच शहद तथा 1 छोटी डली मिश्री को पीसकर चटनी बना लें। यह चटनी सुबह के समय नाश्ते के बाद सेवन करें।
गुल्यवायु हिस्टीरिया : 6 दाने मुनक्का के दूध में उबालकर मिश्री के साथ मिलाकर रोगी युवती को खिलाने से या दूध पिलाने से हिस्टीरिया रोग ठीक हो जाता है।
टी.बी : 25 ग्राम बीज निकाले हुए मुनक्का, 25 ग्राम बादाम (भिगोकर छिलका उतारकर) और लहसुन की 3-4 कली लें। तीनों को एक साथ पानी के साथ पीसकर चटनी की तरह बना लें। फिर उसे लोहे की कढ़ाई में 25 ग्राम घी डालकर धीमी आंच पर पकायें, जब वह गाढ़ा हलुआ सा होने लगे, तब उसमें 12 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर उतार लें। यह हलुआ नाश्ते के रूप में सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से शारीरिक दूर्बलता दूर होकर टी.बी. के रोगी का वजन बढ़ने लगेगा।
टी.बी., दमा और खांसी : मुनक्का, पीपल, देशी शक्कर बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर रख लें, फिर 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से टी.बी., दमा और खांसी में लाभ होता है।
छोटे बच्चों की खांसी : 30 ग्राम बड़ा मुनक्का, 6 ग्राम कालीमिर्च, 6 ग्राम पियाबांसा, 6 ग्राम भारंगी, 6 ग्राम नागरमोथा, 6 ग्राम अतीस, 4 ग्राम बच, 4 ग्राम खुरासानी अजवाइन को एक साथ मिलाकर पीस लें, फिर इसमें 5 ग्राम शहद मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इस मिश्रण को लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग से आधा ग्राम रोगी को रोजाना चटाने से खांसी के रोग में आराम आता है।
चेहरे की चमक का बढ़ना : अंगूर, किशमिश, मुनक्का में लौह तत्व (आयरन) की मात्रा ज्यादा होने के कारण ये खून में लाल कणों (हेमोग्लोबिन) को बढ़ाते हैं तथा रंग को निखारते हैं।
शरीर को शक्तिशाली व ताकतवर बनाना : शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।

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