इंदौर के रहने वाले 29 साल के एक शख्स ने हमें ईमेल भेजा है. उन्हें शराब पीने की लत है. 16 की उम्र से वो शराब पी रहे हैं. रोज़ पीते हैं और तब तक पीते हैं जब तक वो अपनी सुध नहीं खो देते. उन्होंने ये लत छोड़ने की बहुत कोशिश की, घरवालों ने भी सारे उपाय कर लिए पर कोई फायदा नहीं हुआ. इस लत की वजह से उनकी नौकरी चली गई, शादी टूट गई और अब उनका शरीर भी साथ छोड़ रहा है. आप सालों तक हद से ज़्यादा शराब पीते हैं तो उसका असर आपकी सेहत पर भी पड़ता है. वो चाहते हैं कि  हम उनकी और उनके जैसे और लोगों की मदद करें. ये लत कैसे छुडाएं, इसके बारे में पता करें.

एल्कोहॉल एब्यूज क्या होता है?

-हम शराब पीने की आदत को तीन हिस्सों में बांट सकते हैं

-पहला है नॉर्मल या सोशल एल्कोहॉलिज्म

-दूसरा है एल्कोहॉल एब्यूज

-तीसरा है एल्कोहॉल डिपेंडेंस

अगर आप अपनी जिम्मेदारियां जैसे ऑफिस, सामाजिक, या परिवार के काम पूरे न कर पा रहे हों. गाड़ी चलाते समय शराब नहीं पीनी चाहिए. फिर भी पी रहे हों. काम की जगह या रिस्की जगह पर शराब नहीं पीनी चाहिए. पर अगर इन जगहों पर भी आप अगर शराब पीते हैं. शराब के कारण आप लीगल मसलों में पड़ रहे हों. तो इसको एल्कोहॉल एब्यूज कहा जाता है.

-अगर आप ज़्यादा से ज़्यादा शराब पी पाते हैं. थोड़ी मात्रा से काम नहीं चलता है, अगर शराब नहीं पीते तो विदड्रॉल सिंपटम होते हैं यानी वो लक्षण जो किसी लत को छोड़ने के बाद महसूस होते हैं. इसके कारण आपकी लाइफ और काम पर लगातार असर पड़ता है. आप शराब छोड़ नहीं पाते. अगर ये लक्षण हैं तो मतलब आप एल्कोहॉल डिपेंडेंट हैं. ये कुछ तरीके हैं जिनसे पता चलता है कि इंसान को शराब की लत तो नहीं लग रही.

DR. NUSKHE BRAINPRASH
डॉ नुस्खे ब्रेन प्राश मस्तिष्क कोशिकाओं न्यूरॉन्स और उनके संचार को मजबूत करता है।

नींद, एकाग्रता, संज्ञानात्मक कार्यो और संस्मरण कौशल में सुधार करने में मदद करने के लिए एक गैर नशे की लत परीक्षक-मुक्त समाधान है यह मस्तिष्क में सूजन को कम करने में मदद करता है और चिंता अनिद्रा एकाग्रता की कमी और प्रतिधारण शक्ति का प्रबंदन करता है यह डिमेंशिया,अल्जाइमर पार्किंसंस, मल्टीपल स्केलेरोसिस मिर्गी, पक्षाघात, मेमोरी लॉस और किसी भी न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार में मदद करता है
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इस लेख में आयुर्वेद क्या है, आयुर्वेद के नियम, आयुर्वेदिक इलाज के फायदे, आयुर्वेदिक उपचार के प्रकार, आयुर्वेदिक दवा कैसे बनती है, आयुर्वेदिक दवा लेने के नियम, आयुर्वेदिक दवा का असर, आयुर्वेदिक दवा में परहेज के साथ आयुर्वेदिक इलाज की संपूर्ण जानकारी दी गयी है।

सेहत पर क्या असर पड़ता है?

-शराब सिर के बालों से लेकर, पैरों के नाख़ूनों तक को नुकसान पहुंचाती है

-शराब शरीर के हर सेल के मेम्ब्रेन (सेल की बाहरी परत) पर असर करती है. शुरुआत में उसका लचीलापन बढ़ाती है, बाद में उसे सख्त कर देती है

-आपके व्यवहार में परिवर्तन आता है

-नींद खराब हो जाती है

-अल्सर होने के चांसेस बढ़ते हैं

-शरीर को विटामिंस सोखने में परेशानी होती है

-शरीर में कैंसर का खतरा

शराब सिर के बालों से लेकर, पैरों के नाख़ूनों तक को नुकसान पहुंचाती है
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-लिवर की बीमारियां होती हैं

-बीपी बढ़ता है

-डायबिटीज़ वालों में शुगर बढ़ेगा

-अगर शराब 20 से 30 ग्राम डेसीलीटर हो तो ये आपके सोचने-समझने की शक्ति और हाथ-पैरों की मूवमेंट को कम करता है

-अगर शराब की मात्रा और बढ़ती है तो सोचने-समझने की शक्ति और कम हो जाती है

-अगर शराब 80 से 200 ग्राम प्रति डेसीलिटर हो तो आपको उल्टियां होती हैं

-चिड़चिड़ापन होता है

-मूड खराब रहता है

-200 ग्राम प्रति डेसीलिटर से ज़्यादा शराब हो तो आप अपने होश खो बैठते हैं

-कई साइड इफ़ेक्ट हैं. जैसे आप ड्राइव नहीं कर सकते, ठीक से बोल नहीं पाते

-300 ग्राम से ज़्यादा होने पर बेहोशी या मौत भी हो सकती है

इलाज

-शराब की लत का उपचार संभव है

-इसमें तीन ज़रूरी स्टेप हैं

-अव्वल तो इसका बचाव ही उपचार है

-सबसे पहले होता है इंटरवेंशन. यानी पेशेंट में डिनायल ख़त्म किया जाता है. जैसे वो मानने के लिए तैयार नहीं होता कि वो ज़्यादा नहीं पीता. इसे ख़त्म किया जाता है

 

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