हमारे शरीर का एक हिस्सा ऐसा है जिसकी सेहत का हम बहुत कम ख्याल रखते हैं. वो है ओरल हेल्थ. रोज़ सुबह उठकर केवल ब्रश करना काफी नहीं होता, लेकिन हम इतने पर ही रुक जाते हैं. दांतों और मुंह की समस्याओं को लेकर हमारे पास कई मेल आए हैं. इन मेल्स के जरिए हमें पता चला कि दांतों की पांच दिक्कतें बहुत आम हैं. 1. सेंसिटिव दांत यानी दांतों में झनझनाहट. 2. दांतों के रूट में इन्फेक्शन. 3. एक्स्ट्रा दांत, जिसे कहते हैं हाइपरडॉन्शिया. 4. दांतों के बीच में गैप. 5. और जिंजिवाइटिस यानी मसूड़ों में सूजन. तो हमने सोचा क्यों न डेंटिस्ट्स से इन सारी प्रॉब्लम्स के बारे में बात करें. तो चलिए जानते हैं कि ये पांच दिक्कतें क्यों होती है? साथ ही इनका इलाज क्या है?
सेंसिटिव दांत.
सेंसिटिविटी यानी ठंडा, गर्म, या खट्टा खाने से दांतों में झनझनाहट या दर्द होना. ये बहुत ही आम है. हमारे दांतों में तीन लेयर होती हैं. बाहरी लेयर जो सफ़ेद रंग की होती है उसे एनामेल कहते हैं. ये सुरक्षा कवच का काम करती है. ये सबसे मज़बूत और ठोस होती है. इसके अंदर डेंटीन नाम की नर्म हड्डी होती है. उसके अंदर ब्लड वेसेल (रक्त वाहिकाएं) होते हैं जो एकदम पानी की तरह होते हैं. ब्लड वेसेल की सुरक्षा के लिए बाहर हड्डी होती है. जैसे-जैसे बाहर वाली हड्डी की सुरक्षा खत्म होती जाती है, झनझनाहट बढ़ती जाती है. इसके पीछे कारण है दांतों का ज़ोर से घिसना, ज़ोर लगाकर चबाना.
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-कुछ लोगों में नाइट ग्राइंडिंग (सोते समय दांत घिसना) की आदत होती है.
-दूसरा कारण है ऐसा खाना खाना जिनमें एसिड या प्रेज़रवेटिव ज़्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं. ये दांतों के सुरक्षा कवच को डैमेज करते हैं
-तीसरा कारण है ज़ोर-ज़ोर से ब्रश करना. ब्रश सख्त होता है. इसलिए एक सॉफ्ट टूथब्रश इस्तेमाल करना चाहिए
-कभी-कभी सफ़ाई न रखने के कारण मसूड़े बैठते रहते हैं तब भी हमें झनझनाहट होती है
-इसके इलाज के लिए हमें ऐसे पेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए जिनमें नोवामिन और पोटाशियम नाइट्रेट जैसे पदार्थ हों
-एक्सपर्ट देखकर ही बता पाएगा कि किस सीमा तक डैमेज है और उसी के हिसाब से ट्रीटमेंट दिया जाता है
-जैसे फिलिंग, रूट कनाल, या फ्लैप सर्जरी
रूट इन्फेक्शन
-दांतों कीड़ा लगने या किसी चोट या ट्रॉमा की वजह से कई बार दांतों की नसों में इंफेक्शन हो जाता है.
-इसको ठीक करने के लिए रूट कनाल ट्रीटमेंट करना पड़ता है. इसमें दांतों में जगह बनाई जाती है और दांत के अंदर सफ़ाई की जाती है
-फिर उसकी फिलिंग करके एक कैप लगा देते हैं
हाइपरडॉन्शिया (एक्स्ट्रा दांत)
-हाइपरडॉन्शिया यानी दांतों का ज़्यादा होना. जब हमारे दूध के दांत रुके रह जाते हैं. परमानेंट दांत भी निकल आते हैं तो दांतों की संख्या बढ़ जाती है. उस कंडीशन में हमें दूध के दांतों को निकलवा देना चाहिए. कुछ जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं. इस केस में दांतों का एक्सरे लेकर उन्हें निकाल सकते हैं.
दांतों के बीच गैप
-दांतों में स्पेस होने के मुख्य दो कारण होते हैं. इसकी वजह है जेनेटिक. यानी माता-पिता को भी यही दिक्कत रही हो. दूसरा. हमारी कुछ आदतें. जैसे तंबाकू खाना.
-जेनेटिक कारण में हमारे जबड़े की जो हड्डी है उसका एक साइज़ होता है. दांत अगर हमारे छोटे हैं और हड्डी बड़ी है तो दांतों के बीच में जगह बन जाती है, इसके इलाज के लिए ऑर्थोडॉन्टिस्ट की सलाह ले सकते हैं
जिंजिवाइटिस (मसूड़ों में सूजन)
– जिंजिवाइटिस एक ऐसी मसूड़ों की बीमारी है जिसमें हमारे मसूड़े लाल पड़ जाते हैं. उनमें सूजन हो जाती है, उनमें से खून भी आता है. मुंह से बदबू आने लगती है. इसका मुख्य कारण सही तरह से दांतों की सफ़ाई न रखना है
-कुछ अन्य कारण भी हैं. जैसे डाइबिटीज़, प्रेग्नेंसी के दौरान हॉर्मोनल बदलाव, विटामिन सी की कमी, और कुछ दवाइयां खाने के कारण भी जिंजिवाइटिस होता है
-इसके इलाज के लिए हमें दांतों की सफ़ाई अच्छे से रखनी चाहिए
-दिन में दो बार ब्रश करिए, दांतों के बीच में सफ़ाई के लिए फ्लॉसिंग, और माउथ वॉश का इस्तेमाल करिए
एक्सपर्ट हमारे दांतों की सफ़ाई कर सकते हैं
-एक्सपर्ट हमें कुछ दवाइयां देंगे. जैसे एंटीबायोटिक या एंटीइनफ़्लैमेटरी दवाइयां
डॉक्टर साहब ने कारण बताए हैं उनपर गौर करिएगा. जड़ पता हो तो इलाज में आसानी रहती है. और अपनी डेंटल हाइजीन यानी दांतों की सफ़ाई को एकदम इग्नोर मत करिएगा. साथ ही समय-समय पर डेंटिस्ट से अपने दांतों का चेकअप ज़रूर करवाएं.