अक्सर ब्रेड से संबंधित खबरों को हम पढ़ते हैं और सुनते हैं कि ब्रेड कैंसरस होती है और सेहत के लिए हानिकारक भी? खबर सुनते ही हम अचानक ब्रेड खाना बंद तो कर देते हैं। लेकिन फिर एक-दो हफ्तों बाद बेफ्रिक होकर ब्रेड का नाश्ता करने लगते हैं। हमें लगता है व्हाइट ब्रेड में भले ही मैदा है लेकिन मल्टीग्रेन या ब्राउन ब्रेड तो खा ही सकते हैं। ऐसे में हम इस गुत्थी को सुलझा नहीं पाते कि कौन-सी और कितनी ब्रेड स्लाइस खाने से हमें नुकसान नहीं होगा? तो आइए जानते हैं ब्रेड से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथक और उनके पीछे के सच को।
तथ्यः अगर आप संतुलित भोजना करते हैं तो थोड़ी ब्रेड खाने में नुकसान नहीं है। व्हाइट ब्रेड से बचें, क्योंकि रिफाइनिंग प्रोसेस के दौरान इसके विटामिन, मिनरल और फाइबर नष्ट हो जाते हैं। होलग्रेन या मल्टीग्रेन ब्रेड खाएं, इससे पेट भरेगा और भूख नियंत्रित रहेगी।
तथ्यः ग्लूटन-फ्री लेबल सेहत की गारंटी नहीं होता। सच तो यह है कि ग्लूटन के विकल्प के रूप में शुगर और कई दूसरे हानिकारक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। ब्रेड के बनने में ग्लूटन का इस्तेमाल नहीं किया जाता, तब उसके विकल्प के रूप में जन्थान गम या कॉर्नस्टार्च का इस्तेमाल किया जाता है। अगर ग्लूटन से एलर्जी है, तभी ग्लूटन-फ्री ब्रेड लें।
तथ्यः ब्राउन ब्रेड में व्हाइट ब्रेड की तुलना में शुगर की मात्रा ज्यादा होती है। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें शुगर की मात्रा बढ़ाई जाती है। कई बार ब्राउन ब्रेड में रंग को गहरा करने के लिए कैरामल या ट्रिएकल मिलाया जाता है। यह सच है कि होलग्रेन ब्रेड विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होती है। शुगर और दूसरे स्वीटनर से बचने के लिए लेबल जरूर पढ़ें।
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