अमूमन लोगों की सोच होती है कि ब्रह्मचर्य का अर्थ है: व्यक्ति का अविवाहित रहकर मैथुन (सहवास), हस्तमैथुन से परहेज करना। ध्यान देने वाली बात यह है कि लंबे समय तक मैथुन से परहेज करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों पर बुरा असर डाल सकता है। कुछ लोगों में ऐसी धारणा रहती है कि सेक्स से दूरी पुरुष को सुखी और स्वस्थ रखता है।इस गलतफहमी के कारण ऐसे लोग तथाकथित ब्रह्मचर्य का पालन करके अपनी तथाकथित ऊर्जा को बनाए रखने की कोशिश करते हैं, जो मुमकिन ही नहीं है।
जब वे ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर पाते तो उनके मन में हीनभावना पनपने लगती है। उन्हें लगता है कि ब्रह्मचर्य भंग करके हमने अपनी सेहत को नुकसान पहुंचाया है।जब ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं और काम वासना का लगातार दमन किया जाता है तो यह मानसिक अस्थिरता को जन्म देता है। इसी वजह से आदमी ऐंग्जायटी और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। ऐसे लोगों में अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, टेंशन जैसी गंभीर परेशानियां दिखने लगती हैं। कभी-कभी यौन इच्छाओं का लगातार दमन व्यक्ति के प्राइवेट पार्ट को काफी हद तक निष्क्रिय कर देता है।
इससे उसकी काम-क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है। यह बात तो पूरी तरह सिद्ध है कि उपयोग से वृद्धि होती है और बिना उपयोग के शिथिलता आ जाती है। चाहे वह शरीर का कोई भी अंग हो।
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