शुक्रवार के दिन मां संतोषी का व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं को अनुसार माता संतोषी को गणेश जी की पुत्री माना जाता है। शुक्रवार को इनकी पूजा और व्रत करने से ये सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। इनकी की कृपा दृष्टि से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन इनका व्रत पूरे विधि-विधान और नियम के साथ करना बहुत आवश्यक होता है अन्यथा आपको इनके क्रोध का भागी भी बनना पड़ सकता है। जानते हैं मां संतोषी व्रत विधि और नियम
शुक्रवार को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें साथ ही पूजा के स्थान और पूरे घर की साफ-सफाई करें। तत्पश्चात मंदिर में या फिर किसी पटरे पर मां संतोषी की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें। पास ही में किसी लोटे में जल भर कर रखें। मां संतोषी को गुड़ और चने का प्रसाद अर्पित किया जाता है। जल में भी थोड़ा सा गुड़ डाल दें। मां संतोषी के सामने घी का दीपक प्रज्वलित करें। उसके बाद विधिवत् पूजा करके मां को गुड़ चने के प्रसाद का भोग लगाएं उसके बाद कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें। पूजा संपन्न करने के बाद परिवार में प्रसाद बांटे। इस व्रत का संकल्प करने के बाद 16 शुक्रवार तक व्रत करने का प्रावधान है उसके बाद व्रत का उद्यापन कर दें।
शुक्रवार को संतोषी मां के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है। इसलिए भूलकर भी कोई खट्टी चीज न खाएं। ध्यान रखें की परिवार में भी कोई खट्टी चीज न खाए। व्रत का पारण करते समय स्वयं भी चने गुड़ का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। जिन लोगों ने प्रसाद खाया हो उन्हें भी खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस व्रत को करने से शिक्षा, कोर्ट कचहरी और व्यव्साय संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है। लेकिन इन नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।
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