गुड़हल (Gudhal) के फूल को आपने देखा होगा। गुुड़हल के फूल को अड़हुल का फूल भी बोलते हैं। अधिकांशतः गुड़हल के फूल का इस्तेमाल पूजा-पाठ आदि कामों के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि गुड़हल के फूल का सेवन भी किया जाता है, और रोगों के इलाज में भी गुड़हल के फूल के फायदे (gudhal ke fayde) मिलते हैं।
बालों को बढ़ाने में गुड़हल के फायदे (Hibiscus Leaves Uses in Hair Fall Problem in Hindi)
- गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इसे बालों में लगाएं। दो घंटे बाद बालों को धोकर साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने से बालों को पोषण मिलता है, और सिर भी ठंडा रहता है।
- गुड़हल के ताजे फूलों (gudhal ke phool) के रस में बराबर मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर आग में पका लें। जब तेल केवल रह जाए तो शीशी में भरकर रख लें। रोजाना बालों में मल कर जड़ों तक लगाने से बाल चमकीले और लम्बे होते हैं।
- अड़हुल के फूल और भृंगराज के फूल को भेड़ के दूध में पीसकर लोहे के बर्तन में रखें। सात दिन बाद निकालकर भृंगराज के पंचांग के रस में मिलाएं। इससे बाल धोने से बाल काले हो जाते हैं।
- लौह भस्म, आंवला चूर्ण तथा जपा के फूल (jaba phool) से बने पेस्ट से सिर में लेप करने से बाल लम्बे समय तक काले रहते हैं।
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2 – श्रीमद् भगवत गीता
श्रीमद् भगवत गीता के मुताबिक कहा जाता है कि नॉन-वेज खाना इंसानों का खाना नहीं बल्कि राक्षसी भोजन है. मांस और मदिरा जैसी चीजें तामसिक भोजन कहलाती हैं. इस तरह का भोजन करनेवाले लोग अक्सर कुकर्मी, रोगी, दुखी और आलसी होते है.
3 – सनातन संस्कृति
सनातन संस्कृति में गौमांस को खाना पाप माना गया है. शास्त्रों के अनुसार गाय का दूध, घी, गोबर और गोमूत्र अनेक रोगों की एक दवा है.
शास्त्रों में लिखा है कि गाय से मिलनेवाली इन चीजों को खाने से शरीर में पापों का समावेश नहीं हो पाता. श्री कृष्ण अनेकों गायों का पालन-पोषण करते थे तथा उन्हें मां समान पूजते थे. तभी तो उनको गोपाल कहा जाता है.
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4 – ऋग्वेद
ऋग्वेद में गाय को जगत माता का दर्जा दिया गया है. अनेकों पुराणों के रचियता वेद व्यास जी के मुताबिक गाय धरती की माता हैं और उनकी रक्षा में ही समाज की उन्नति है.
5 – महाभारत
महाभारत में उल्लेख मिलता है कि जो व्यक्ति सौ सालों तक लगातार अश्वमेघ यज्ञ करता है और जो व्यक्ति मांस नहीं खाता, उनमें से मांसाहार का त्याग करनेवाला व्यक्ति ही ज्यादा पुण्य कमाने वाला माना जाता है.
अब हम आपको विज्ञान के अनुसार बताते हैं कि इंसानों को नॉन-वेज खाना क्यों नहीं खाना चाहिए.
विज्ञान की नज़र में मांसाहार
विभिन्न धर्म ग्रंथों में जिस तरह से मांसाहार को वर्जित माना गया है उसी तरह वैज्ञानिक नज़रिए से भी मांसाहार को सेहत के लिए हानिकारक माना गया है.
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1- ज्यादा मांसाहार भोजन करने से इंसान के भीतर चिड़चिड़ापन आने लगता है वो स्वभाव से उग्र होने लगता है. मांसाहार आपके तन और मन दोनों को अस्वस्थ कर देता है.
2- मांसाहारी लोगों में कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा शाकाहारी लोगों के मुताबिक कहीं ज्यादा होता है. इससे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर जैसी कई बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं.
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3- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक मांसाहार इंसान के शरीर के लिए उतना ही खतरनाक है जितना कि धूम्रपान. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पके हुए मांस से जानलेवा कैंसर का खतरा होता है.
4- मांसाहारी भोजन की तुलना में शाकाहारी भोजन सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. शाकाहारी भोजन इंसान को स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त बनाता है. शाकाहारी व्यक्ति हमेशा ठंडे दिमागवाले, सहनशील, सशक्त, बहादुर, परिश्रमी, शांतिप्रिय और आनंदप्रिय होते हैं
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5- बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां मुर्गियों और सूअरों के ज़रिए इंसानों को अपना शिकार बनाती हैं. इन प्राणियों का मांस खाना इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जाती है. जबकि शाकाहारी जीवनशैली को अपना कर इनसे होनेवाली बीमारियों से खुद को बचाया जा सकता है.
बहरहाल हमारे कई धर्म ग्रंथों में यही उल्लेख मिलता है कि मांसाहार नहीं करना चाहिए. अगर आप खुद को तन और मन से तंदरुस्त रखना चाहते हैं तो शाकाहार सबसे बेहतर ज़रिया बन सकता है.
यही वजह है कि मेंटल फिटनेस और फिजिकल फिटनेस के लिए आजकल ज्यादातर लोग मांसाहार को छोड़कर शाकाहार को अपना रहे हैं.
आपका क्या ख्याल है?