व्यस्त दिनचर्या के कारण ज्यादा बाहरी खाना या ठीक वक्त पर न खाने से पेट और पाचन संबंधी समस्याएं आम हैं। कई लोग तो पाचन क्रिया को ठीक रखने के लिए दवाइयों के आदी हो चुके हैं, जो कि सही नहीं है। ऐसी में जैसे जायफल पाचन के लिए फायदेमंद है, वैसे ही जावित्री भी पेट और पाचन के लिए लाभकारी है। एक रिसर्च के अनुसार, जायफल और जावित्री दोनों को पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

2. डायबिटीज के लिए जावित्री

आजकल डायबिटीज आम बीमारी हो गई है, जो किसी को भी हो सकती है। एक वक्त था, जब कुछ लोगों को ही यह समस्या होती थी और एक उम्र के बाद होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं है। इस स्थिति में जावित्री के सेवन से डायबिटीज की परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है। जावित्री में मौजूद एंटी-डायबिटिक गुणों के कारण ऐसा संभव हो सकता है।

दांतों की देखभाल जरूरी होती है। अगर दांतों और मुंह के स्वास्थ्य का सही तरीके से ख्याल नहीं रखा जाए, तो इसका असर सेहत पर पड़ता है। ऐसे में जावित्री का उपयोग काफी फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण दांतों की समस्या से राहत दिला सकते हैं। यह दांतों को कैविटी की समस्या से बचा सकते हैं। इतना ही नहीं यह एंटी-कैंसर की तरह कार्य करता है और मुंह के कैंसर से बचाव कर सकता है।

गठिया, सुनने में यह रोग आज जितना सामान्य लगता है इसमें तकलीफें उतनी ही अधिक हैं। वैसे तो गठिया का उपचार आयुर्वेद और जब एलोपैथ से इसमें खास आराम नहीं मिलता तो इस दुष्ट रोग से लड़ने के लिए आयुर्वेदिक पद्धति एक बेहतरीन विकल्प साबित होती है। बस आवश्यकता है, इस रोग के लक्षण पहचानकर, सही समय पर इसका उपचार सही आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के परामर्श से करवाएं।

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गठिया के कारण
आयुर्वेदिक वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी के अनुसार, ‘गठिया एक वात रोग है जिसका कारण कॉन्सटिपेशन, गैस, एसिडिटी, अव्यवस्थित जीवनशैली और अनियमित खान-पान आदि में से कुछ भी हो सकता है। कई बार शारीरिक श्रम कम होने और मानसिक श्रम अधिक होने के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।’

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