भारत के अनेक प्रान्तों में 5 हजार फीट की ऊँचाई तक धातकी के वृक्ष पाये जाते हैं।
धातकी का पेड़ कैसा होता है ?
इस चमत्कारी उपाय के अद्भुत फायदे : डॉ नुस्खे वीर्यशोधन चूर्ण को सुबह शाम 1 ग्लास दूध के साथ 1-1 चम्मच सेवन करें
वीर्य शोधन चूर्ण के इस्तेमाल से शीघ्रपतन, प्रियअंग का ढीलापन, धातु दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी, मर्दाना ताकत, कामेच्छा और काम-शक्ति की कमी (पुरुष इन्द्रिय की दुर्बलता) , वीर्य की कम मात्रा या वीर्य का पतला होना ,प्रियअंग में तनाव ना होना आदि से छुटकारा मिलता है, यह वीर्य के दूषित तत्वों को दूर करता है। इसके सेवन से स्तम्भन शक्ति बढ़ती है .
वीर्य शोधन चूर्ण जादुई व गुणकारी नुस्खा है। कम से कम 60 दिन नियमित रूप से सेवन करने पर धातु शुद्ध और पुष्ट होती है, शुक्र की वृद्धि होती है, शुक्र गाढ़ा होता है तथा स्वप्न दोष तथा शीघ्रपतन जैसी व्याधियां गायब हो जाती हैं। यह नुस्खा परीक्षित है। हानिकारक आहार-विहार का त्याग और उचित आचरण का पालन करते हुए वीर्यशोधन चूर्ण का प्रयोग करें।
पूरे भारत में घर बैठे डॉ नुस्खें वीर्यशोधन चूर्ण
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धातकी का पेड़ – धातकी वृक्ष की ऊंचाई 5 से 12 फीट होती है। ये वृक्ष शाखा प्रशाओं युक्त ऊँचे कुछ झुके हुए होते है। नवीन शाखाओं और पत्तियों पर काले काले बिन्दु होते हैं। छाल रक्ताभ भूरे रंग की पतले टुकड़ों में छूटती रहती है।
धातकी के पत्ते – धातकी के पत्र प्रायः विरीत दो कतारों में कभी-कभी तीन चक्रों में भालाकार या लट्वाकार-भालाकार, 2-4 इंच लम्बे होते हैं।
धातकी के फूल – धातकी के पुष्प चमकीले लाल रंग के, 1/2 से 3/4 इंच लम्बे, अक्षीय गुच्छबद्ध मंजरियों में होते हैं। जिनसे प्रायः समस्त शाखायें भरी रहती हैं।
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धातकी के फल – धातकी के फल अण्डाकार, पतला होता है जिसमें भूरे रंग के छोटे, चिकने बीज होते हैं।
जनवरी-अप्रैल तक इस में पुष्प आते हैं, फल अप्रैल मई में लगते हैं। फरवरी-मार्च में जब इसका वृक्ष फूलों से लद जाता है तो पत्र झड़ने लगते हैं और फिर नव पल्लव आते हैं।
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