खाने के साथ जरूरी है पचाना भी
खाने को लेकर लोगों की रूचि में पिछले पांच साल में खास बदलाव आया है। थाली में पौष्टिक आहार की जगह रेडीमेड आटे की रोटी, संरक्षित फल व सब्जियां, हाई कैलोरी युक्त चावल और अधिक वसा युक्त तेल का प्रयोग बढ़ गया है। हल्के भोजन की जगह गरिष्ठ व जंक फूड ने खाना न पचने की समस्या को आम बना दिया है।
लेकिन खाने की पसंद बदलने के साथ ही पेट की गड़बड़ियां भी बढ़ी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी हाल ही में भारत में बढ़ती पेट संबंधी परेशानियों को गंभीर बताया है।
विशेषज्ञों की मानें तो खाने के स्वाद व जायके को लेकर तो लोग फिक्रमंद हुए हैं, लेकिन उसे पचाने को लेकर भी जागरूक होना जरूरी है। इसकी वजह से पाचन संबंधी परेशानी प्रत्येक दस में से तीसरे व्यक्ति को हो रही है। होली व दिवाली जैसे त्यौहार में यह परेशानी बढ़कर चार गुना तक हो जाती है। इसलिए सावधानी से त्यौहार के व्यंजनों का मजा लें।
बड़ों के साथ ही बच्चे भी परेशान
ऑल इंडिया पीडियाट्रिक एसोसिएशन के अध्ययन के अनुसार खाने की आदत बच्चों के स्वास्थ्य को भी तेजी से बदल रही है। लिवर कमजोर होना, सिलिएक व क्रानिक एनीमिया ऐसी बीमारियां हैं तो काफी हद तक खाना न पचने से ताल्लुक रखती है।
मूल चंद अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. शेखर वशिष्ठ कहते हैं कि दो साल से पांच साल के बीच बच्चों में लिवर कमजोर होने की शिकायत देखी जा रही है। इस उम्र में बच्चों के विकास के साथ ही सही आहार भी जरूरी है, लिवर कमजोर होने से पाचन क्रिया तेजी से बाधित होती है और उम्र के अनुसार लंबाई नहीं बढ़ पाती।
इस स्थिति में विशेष रूप से ऐसा खाना दिया जाना चाहिए जिससे बच्चा आसानी से पचा लें। इसमें फुल ग्रेन आटे के साथ हरी सब्जियों को सही बताया गया है। ध्यान रखा जाए कि बाजार के फ्री फ्लोर आटे को पचने के लिए अधिक कारगर नहीं माना गया है। फ्रूट जूस, जैम, जैली, मुरब्बा व आचार आदि खाद्य पदार्थ, जिसमें प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल किया जाता है, परहेज रखें।
समझें, पाचन संबंधी साधारण दिक्कतें
कोलाइटिस : पेट में नियमित दर्द और पेचिश की समस्या कोलाइटिस का लक्षण हो सकती है। आंतों में जख्म के कारण खाना कुछ भी खाया जाए वह पच नहीं पाता। कोलाइटिस को हालांकि दवाओं से ठीक किया जा सकता है, बावजूद इसके पेट में दर्द व भूख न लगने की शिकायत को हल्के में न लें।
फैटी लिवर : फैटी लिवर हालांकि लिवर की बीमारी है, लेकिन इसका सीधा ताल्लुक पेट से हैं। लिवर के एक प्हस्से में सूजन बढ़ने से लिवर खाने-पचाने में सहायक द्रव्य का स्नव नहीं हो पाता। ऐसे में मोटापा बढ़ने व जलन की समस्या आम बात है। अधिक मांसाहारी व एल्कोहल सेवन फैटी लिवर का कारक माना जाता है।
एसिडिटी व कब्ज : मसालों का थोड़ा भी अधिक प्रयोग कुछ लोगों में एसिडिटी व जलन संबंधी दिक्कत पैदा करता है। दरअसल प्रत्येक व्यक्ति का शरीर व अमाश्य पाचन संबंधी क्रिया पर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है। अनसैचुरेटेड फैट के साथ अधिक मसाले एसिडिटी का कारण हो सकते हैं। जिनसे बचने के लिए अधिक पानी व नींबू पानी कारगर है। यदि कब्ज की शिकायत है तो खाने में तरल चीजों को अधिक शामिल करें। लंबे समय तक कब्ज अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है।