शरीर के बाकि हिस्सों की मालिश करने के लिये आपको दूसरों की मदद की जरूरत पड़ सकती है किंतु पैरों की मालिश आप अपने आप ही कर सकते हैं। आइये जाने इसके फायदों के बारे में…
आंखों की रौशनी : रोज रात में सोने से पहले अगर पैरों के तलवों पर सरसों का तेल लगाकर मालिश की जाए तो आंखों की रोशनी तेज होती हैं। अगर आपको नींद अच्छी नहीं आती तो आप यह नुस्खा आपके लिए बैस्ट है। साथ ही इससे शरीर स्वस्थ और मजबूत बना रहता है।
ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करे अर्थात खून का दौरा सुचारु करे : सारा दिन टाईट जूते और अन्य तरह के फुटवियर पहनने से पैरों के तलवों तक खून का दौरा सुचारु रूप से नही हो पाता है। इस अवरुद्ध हुये खून के दौरे को सुचारू करने के लिये पैरों की मालिश सर्वोत्तम उपाय है।
सोने से पहले 10 से 20 मिनट तक पैरों और तलवों की मालिश करने से पैरों के अंतिम हिस्से तक खून का दौरा सुचारू हो जाता है। यह मालिश उन लोगों के लिये विशेष रूप से लाभकारी है जिनको मधुमेह रोग के कारण तलवों में सुन्नपन की समस्या पैदा होने लगी है।
वजन कम करे : शरीर में मोटापे की वजह जमा हो रही चर्बी है। यह कई बीमारियों का भी कारण बनती हैं। हर रोज सोने से पहले 5 मिनट पैरों के तलवों का मालिश करने से शरीर में जमा चर्बी पिघलने लगती है। जिससे वजन कम होना शुरू हो जाता है।
अच्छी नींद लाये : सारे दिन की भाग-दौड़ के बाद शाम होते होते दिमाग बहुत ज्यादा थकने लगता है जिस कारण बहुत से लोग शांतिपूर्वक नही सो पाते है और उनकी नींद पूरी रात बार बार टूटती है। यदि ऐसे परेशान लोग रोज रात को सोने से पहले 10-15 मिनट तक अपने पैरों पर मालिश करें तो यह पैरों की बेचैनी को खत्म करके शांतिपूर्वक नींद आने में सहायता करता है।
तनाव और अधीरता को भगाये : हम लोग अधिकतर तनाव और अधीरता में रहते ही हैं। पैरों की मालिश तनाव और हड़बड़ी को घटाने में बहुत मदद कर सकती है। यह दिमाग को शांति पहुचाने के अलावा और भी बहुत से लाभ कर सकती है।

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मालिश करते समय तलवों पर अलग अलग हिस्सों पर अतिरिक्त दवाब देनें से नाड़ीतंत्र सही होता है और पूरे शरीर में आराम महसूस होता है जिससे तनाव में बहुत लाभ होता है। दवाब हाथों से देने के अतिरिक्त एक्यूप्रेशर वाले फुटपैड़ भी प्रयोग किये जा सकते हैं।
पैरों के दर्द से राहत : अच्छी तरह से की गयी मालिश पैरों और पैरों की माँशपेशियों को बहुत अच्छी तरह से आराम पहुँचाती है साथ ही साथ पैरों पर आयी हुयी सूजन भी मालिश से उतर जाती है जिस कारण से पैरों के दर्द में बहुत आराम होता है । यदि मलिश करने से पहले पैरों को हल्के गुनगुने पानी से धो लिया जाये तो परिणाम और भी बेहतर होते हैं।
रक्तचाप कम करता है : चूंकि दिन भर जूते पहने रहने से पैर के अंतिम भाग तक खून का दौरा सही से नही पहुँच पाता है अत: दिल ज्यादा जोर से पम्पिंग करके इस समस्या को दूर करने की कोशिश करता है जिस कारण से बाकि पूरे शरीर में रक्त्चाप बढ़ने का खतरा रहता है। यदि रात को तलवों में मालिश की जाये तो पैरों का रक्तदवाब सही रहता है और इस समस्या से बचा जा सकता है।

पैरों की मालिश का सही तरीका

एक बड़े बरतन में गुनगुना पानी भरिये और उसमें अपनी पसंद का कोई भी तेल 5-6 बूँद ड़ालिये।
10 मिनट के लिये अपने पैरों को इसमें डुबाकर बैठ जाइये और फिर एक सूती तौलिये से पैरों को दबा-दबा कर पोंछ लीजिये। अब एक कुर्सी पर आराम से बैठ जाइये।
अपने सीधे पैर के तलवे को उल्टे पैर के घुटने पर टिका लें। अपनी पसंद का कोई भी तेल जैसे कि नारियल तेल, तिल तेल, सरसों तेल अथवा जैतून का तेल हल्का गर्म किया हुया लेकर अपने सीधे पैर की मालिश कीजिये।
मालिश करते समय हाथ ऊपर से नीचे की तरफ ले जायें और पैरों पर हल्का हल्का सा दवाब जरूर दीजिये। पैरों के बाद तलवों और पैर की अंगुलियों की भी मालिश कीजिये।
अब पैरों की स्थिति बदलकर उल्टे पैर भी इसी तरह मालिश कीजिये। ध्यान रखें एक पैर की सम्पूर्ण मालिश के लिये 10-15 मिनट पर्याप्त हैं।

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लिवर बाइल भी बनाता है जो खाना पचाने में मदद करते हैं. लिवर शरीर में उपापचयी प्रक्रिया के सहउत्पाद अमोनिया को यूरिया में बदल कर शरीर को जहरीले तत्त्वों से मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है जिसे किडनी द्वारा पेशाब मार्ग से शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है. यह अल्कोहल समेत दवाओं को भी तोड़ता है और यह शरीर में इंसुलिन व दूसरे हार्मोंस को तोड़ने के लिए भी जिम्मेदार होता है.

लिवर की सामान्य बीमारियां – जीवनशैली और खानपान की आदतों में होने वाले बदलावों के कारण आज जिस अंग पर सब से अधिक प्रभाव पड़ा है वह है लिवर. लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारकों में विषाणु, नुकसानदायक भोजन और अल्कोहल का इस्तेमाल भी हो सकता है. हेपेटाइटिस ए, बी और सी जैसे विषाणु लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।

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आज अल्कोहालिक पेय का अत्यधिक कोलैस्ट्रौल वाले जंक फूड के साथ उपभोग किया जाना एक नित्य जीवनशैली सी बन गया है, यह भी लिवर की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है. इस से बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स का स्तर बढ़ जाता है जो टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से संबंधित है और जो लिवर की गंभीर बीमारी से भी संबंधित है. अत्यधिक बीएमआई के बढ़ते जोखिम की वजह से जीवन के  बाद के हिस्से में गंभीर लिवर बीमारी होने का खतरा कम उम्र से ही बना रहता है. लगातार अधिक वजन बने रहने और मोटापे ने भी दुनियाभर में लिवर की बीमारियों को बढ़ाने में भूमिका निभाई है.

लिवर को नुकसान पहुंचाने वाला एक अन्य कारक मोटापा है. मोटापा आज के समय में दुनियाभर की समस्या है और विकासशील देशों में भी वयस्कों एवं बच्चों दोनों में मोटापे की समस्या की वजह से यह एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन गया है. उपलब्ध अध्ययनों से मोटापे से विभिन्न प्रकार के कैंसर पैदा होने की जानकारी मिली है. खासतौर पर मोटापे और लिवर कैंसर के बीच मजबूत संबंध है.

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कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं सूरजमुखी के बीज – सूरजमुखी के बीज खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के साथ आपकी भूख को भी कम करने में सहायक हैं। जिसकी वजह से शरीर को संतृप्‍त करने में मदद मिलती है और आप भरा हुआ महसूस करते हैं।

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं।

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