हमारे पैर के नसों में अक्सर होने वाले अनचाहे दर्द की कई वजहें हो सकती हैं. जैसे इसके कुछ कारण तो मांसपेशियों में सिकुड़न, मांसपेशियों की थकान, ज्यादा टहलना करना, व्यायाम, तनाव, खून के थक्के जमने से बनी गांठ, घुटनों, हिप्स व पैरों में ठीक ढंग से रक्त संचरण न हो पाना आदि हैं।
इसके अलावा पानी की कमी, सही भोजन न ले पाना, खाने में कैल्शियम और पोटेशियम जैसे खनिज पदार्थ और विटामिंस की कमी, अंदर गहरी चोट का लगना, किसी भी प्रकार का संक्रमण हो जाना, नाखून का पकना आदि भी इसके कारणों में शामिल हैं. कई बार तो शरीर की हड्डियों में कमजोरी होने से भी पैरों में दर्द की शिकायत हो जाती है।
सेंधा नमक : सेंधा नमक साधारण नमक से थोडा अलग होता है, सेंधा नमक में मैग्नीशियम सल्फेट पाया जाता है, मैग्नीशियम सल्फेट होने वाले दर्द को कम करता है। थोडा सा सेंधा नमक,सूती यानि मुलायम कपडा, एक टब गुनगुना पानी।
लगभग 2-3 कप सेंधा नमक को लेके सूती कपडे में लपेट ले। उसके बाद तब के गुनगुने पानी में सेंधा नमक की पोटली डुबा दे, कुछ देर तक सेंधा नमक की पोटली को पानी में डुबाते रहे। फिर आप उस पानी से नहा ले। अगर सुविधा हो तो उसी पानी में बैठ जाए। इस उपाय को हर रोज़ करते रहे और ये उपाय जब तक करना है जब नसों का दर्द चला न जाए।
पुदीने का तेल : यदि आपके नसों में बहुत दर्द होता है, तो दर्द से प्रभावित क्षेत्र में पुदीने के तेल से मालिश करें। इससे आपको नसों के दर्द से राहत मिलेगी। अक्सर पुदीना हमारे घरो में लगा होता है, उसी पुदीने से आप अपने दर्द को बड़ी आसानी से भगा सकते है, तो आएये जानते है कि आखिर कैसे पुदीने से हम अपने दर्द को भगा सकते है?
सबसे पहले पुदीने का तेल निकाल ले, या मार्किट से पुदीने का तेल ले आये। शरीर के दर्द वाली जगह पर आराम से पुदीने के तेल से मालिश करे। इससे आपको नसों के दर्द में बहुत लाभ होगा।
सरसो का तेल : सरसों के तेल से नसों के दर्द से छुटकरा पाया जा सकता है। सरसों के तेल को गरम करके इससे मालिश करे। ऐसा करने से आपको निश्चित ही लाभ होगा।
सेब का सिरका : वैसे तो बहुत तरह के सिरके होते है, लेकिन सेब का सिरका दर्द की बीमारी के साथ-साथ और भी कई तरह की बीमारी को सही करता है, सेब के सिरका सूजन को भी ख़त्म कर देता है। तो आएये अब सेब के सिरके से अपने दर्द को दूर करने के नुस्खे को जानते है। एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच सिरके का रस डाले। दोनों को मिलाने के बाद पी ले। 2-3 हफ्तों तक इसी पिश्रण को पीये।
लेवेंडर का फूल : लेवेंडर का फूल तथा सुइया को नहाने के पानी में मिला कर नहाएं।
बेर की गुठलियां : नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए आप बेर की गुठलियों के चूर्ण को गुड़ के साथ खाएं जिससे की नसों में मज़बूती आएगी और शरीर बलवान बन जाता है।
गाय का दूध : नसों की कमजोरी को दूर करने के लिए आप गाय के दूध के साथ मक्खन, मिश्री भी खा सकते है, जिससे काफी हद तक नसों की कमजोरी में आराम मिलता है।
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गाय का दूध और हल्दी का पाउडर या आम्बा हल्दी : एक गिलास दूध को गर्म करके उसमे हल्दी का पाउडर डालकर मिला ले। मिलाने के बाद पी ले, लेकिन दूध ज्यादा ठंडा न होने दे। इस नुस्खे को लगभग लगभग 15 दिन तक करना है।
किसमिस : किसमिस खाने की आदत डाल लें। यह शरीर में अन्य लाभ पहुंचाने के साथ ही नसों की कमजोरी का भी बेहतरीन इलाज है। पर हाँ इसका इस्तेमाल आप सर्दियों के मौसम में ही करने की कोशिश करें।
आयुर्वेदिक इलाज : अश्वगन्धा 100 ग्राम, सतावर 100 ग्राम, बाहीपत्र 100 ग्राम, इसबगोल की भूसी 100 ग्राम, तालमिश्री 400 ग्राम इस सबका एक मिश्रण बना ले और उस मिश्रण को सुबह व शाम को दूध के साथ लें। लगभग एक महीने के प्रयोग से ही शरीर की रक्त क्षमता बढ़ जाती है। और नशों में ताक़त आजाती है।
व्यायाम : यदि आपकी नसों में बहुत दर्द होता है तो आपको नियमित व्यायाम करना चाहिए जिससे नसों को बहुत लाभ होता है और इसमें पड़ी हुई गांठ भी धीरे-धीरे ठीक हो जाती है।
भ्रस्तिका प्राणायाम : भ्रस्तिका प्राणायाम करने से भी नसों के रोगी को बहुत लाभ होता है। लाभ होता है इसलिए रोजाना यह प्राणायाम करें।
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हल्दी का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में ही करना चाहिए। विशेष स्थिति में आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से इसका सेवन करना चाहिए।
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बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।
भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
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यदि #नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ।*
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