कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत आपको मोटा ही नहीं बनाती बल्कि कोरोना वायरस का खतरा भी बढ़ा सकती है। मैक्सिको की सरकार ने तो अपने यहां बढ़ रहे संक्रमण के पीछे कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत को ही जिम्मेदार ठहराया है। वैज्ञानिक तथ्य सामने आए हैं कि ठंडे पेय में बहुत ज्यादा शुगर और सोडा होने से मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की बीमारी हो जाती है। यह बात पहले से ज्ञात है कि इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को कोरोना वायरस की चपेट में आने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सीने और नाभि के पास ज्यादा वसा इकट्ठा हो जाने से फेफड़ों पर तनाव बढ़ता है, जिससे सामान्य स्थितियों में भी मोटे लोगों के फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचने में मुश्किल होती है। वैज्ञानिक मानते हैं कि जब मोटापा ग्रस्त लोगों को श्वसन तंत्र पर हमला करने वाला कोरोना वायरस हो जाता है तो उनके सांस लेने की क्षमता और घट जाती है।
बोतल बंद जहर पीना बंद करें- मैक्सिको में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रेज गैलेट ने अपनी जनता से अपील की है कि वे कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत छोड़ दें। उन्होंने इन पेय पदार्थों को ‘बोतल बंद जहर’ करार दिया। यहां हर साल शुगर युक्त पेय पीने से 40 हजार मौतें होती हैं। यहां की 75% यह देश संक्रमण में मौतों के मामले में अमेरिका, ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर है।
आंकड़ों की नजर से –
-73 फीसदी गंभीर रूप से संक्रमित मरीज ब्रिटेन में पहले से मोटापा ग्रस्त हैं।
-90 फीसदी वेंटिलेटर पर रखे गए कोरोना मरीज फ्रांस में ओवरवेट थे
-05 में से हर दो संक्रमित व मोटे मरीजों को ब्रीदिंग ट्यूब की जरूरत
भारतीय बच्चों में बढ़ रही ठंडे पेय पीने की आदत- भारत में युवाओं के साथ बच्चों में भी कोल्ड ड्रिंक पीने की आदत बढ़ती जा रही है। इतना ही नहीं, बीएमसी पब्लिक हेल्थ ने एक अध्ययन में पाया कि साफ पानी की कमी वाली जगहों पर बच्चों को कोल्ड ड्रिंक दी जाती है जो कि खतरनाक स्थिति है। दूसरी ओर, जंक फूड के कारण युवाओं में मोटापा बढ़ा है जो संक्रमण के लिए अनुकूल स्थिति पैदा करता है।
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4. संतुलित आहार लें – संतुलित आहार लेने वाले व्यक्ति का मन भी हरा भरा रहता है। इसलिए अगर संभव हो तो ऑर्गेनिक फल व सब्जियों का सेवन करें। शहर में नहीं मिल रही है तो कम से कम फ्रेश चीजों को खाएं। पैकेज्ड फूड्स, मांसाहारी खाना, जंक फूड्स, शराब, सिगरेट, भांग-गांजा इत्यादि का सेवन न करें।
5. डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयां – डिप्रेशन की आयुर्वेदिक दवाईयों को लेने से पहले किसी आयुर्वेदाचार्य या जानकर से सलाह लें। उनके सुझाव के बगैर कोई भी दवाई या उपचार करने से बचें। यहां पर कुछ दवाईयों के बारे में बता रहा हूं कि जो कि डिप्रेशन के प्रारंभिक अवस्था में ली जा सकती हैं।
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इन दो दवाईयों को मुख्य रूप से डिप्रेशन के इलाज के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर देते हैं। इसके अलावा भी कई दवाईयां और उपचार हैं, जो कि डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति की अवस्था को देखने के बाद ही लेने की सलाह देता है।
6. काउंसलिंग जरूर कराएं- डिप्रेशन से परेशान व्यक्ति को काउंसलिंग जरूर करानी चाहिए। दवाईयों से ज्यादा असरदार काउंसलिंग होती है। इसलिए आपको अपने भीतर लक्षणों को देखने के बाद मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करानी चाहिए। इसके लिए शर्म-संकोच न करें और न ही घबराएं। बिना देरी किए हुए ही डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताएं।
7. जीवन में संतुलन बनाएं – आप अपने जीवन को संतुलित करने की सोचें। अपने लाइफस्टाइल को बैलेंस करके आप डिप्रेशन को दूर कर सकते हैं या खुद को डिप्रेशन से बचा सकते हैं। यह मामला लाइफस्टाइल से जुड़ा है इसलिए अपने जीवन में संतुलन बनाए रखें।
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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।
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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
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मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।
अलसी के बीज (फ्लेक्स सीड) – अलसी के बीजों में फाइबर प्रचर मात्रा में पाया जाता है जो पाचन में तो मदद करता ही है साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक सिद्ध होता है। अलसी के बीजों के आटे के सेवन से मधुमेह के मरीजों में शुगर की मात्रा लगभग 28 प्रतिशत तक कम हो सकती है।
दालचीनी – दालचीनी इंसुलिन की संवेदनशीलता को ठीक करने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी कम करता है। आधी चम्मच दालचीनी रोज लेने से इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को ठीक किया जा सकता है और वज़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स काफी होते हैं। ये पॉलीफिनोल्स एक मजबूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व होते हैं, इससे ब्लड शुगर को मुक्त करने में सहायता मिलती है और शरीर इन्सुलिन का बेहतर ढंग से इस्तेमाल कर पाता है।
नीलबदरी के पत्ते – आयुर्वेद में नीलबदरी के पत्ते का उपयोग मधुमेह के उपचार में सदियों से होता रहा है। जर्नल ऑफ न्यूट्रीशन के मुताबिक इसकी पत्तियों में एंथोसियानीडीनस काफी मात्रा में होते हैं जो चयापचय की प्रक्रिया और ग्लूकोज़ को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को बेहतर करता है।
सहजन के पत्ते – सहजन के पत्तों को मोरिंगा भी कहा जाता है। इसके पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैलशियम और दो गुना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के रोगियों द्वारा सहजन के पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन को बेहतर और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है।
करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं
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सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.
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सर्दियों का मौसम हमारी इम्यूनिटी के लिए एक तरह से टेस्टिंग पीरियड होता है. इस दौरान हमें बीमार करने वाली कई एयरबॉर्न डिसीज पैदा होती हैं. पानी की कमी से होने वाला डीहाइड्रेशन हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है, जो इन बीमारियों से हमारी रक्षा करता है. इसलिए इम्यूनिटी को दुरुस्त रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं.
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सर्दियों के मौसम में हाई कैलोरी फूड की वजह से हमारा वजन काफी तेजी से बढ़ने लगता है. कम फिजिकल एक्टिविटी के कारण शरीर सुस्त पड़ जाता है, जिसकी वजह से शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न नहीं हो पाती है. शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा इससे बढ़ने वाली बॉडी फैट को काट सकती है और आपको मोटापे से दूर रख सकती है.
मोटापा कम करने के लिए हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर चटनी बना लें। इसका नियमित सेवन करें, मोटापे पर काबू पाने में सफलता मिलेगी।
बॉडी को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ पानी हमारी शरीर की सफाई भी करता है. यूरीनेशन और पसीने के जरिए पानी शरीर से जहरीले पदार्थों का बाहर निकालने का काम करता है और खून में जरूरी पोषक तत्वों और ऑक्सीजन की मात्रा को संतुलित करता है. इससे आपकी किडनी, लिवर, फेफड़े और हृदय की कंडीशन अच्छी रहती है.
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ब्यूटी एक्सपर्ट कहते हैं कि पानी में मौजूद औषधीय गुण हमारी स्किन हेल्थ को बूस्ट करने का काम करते हैं. सर्दियों में दमकती त्वचा के लिए बॉडी का हाइड्रेट होना बहुत जरूरी है. सर्दियों में पानी की कमी से आपको ड्राय स्किन और होंठ फटने जैसी दिक्कतों से जूझना पड़ सकता है. चेहरे पर कील, मुहांसों की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है.
प्रदूषण के प्रभाव से शरीर को बचाने के लिए आयुर्वेदिक चीजों का सहारा भी लिया जा सकता है. खांसी और अस्थमा से राहत के लिए घी में हल्दी मिलाकर सेवन करें. गुड़ के साथ हल्दी भी बेहद फायदेमंद होती है. सूखी खांसी में प्याज के साथ गुड़ भी बड़ी राहत देता है. अस्थमा के रोगियों को गाय के दूध और गेहूं का सेवन जरूर करना चाहिए.
पीरियड्स का दर्द अक्सर महिलाओं के सारे काम पर ब्रेक लगा देता है. सर्दी के मौसम में ये बढ़ सकती है. ऐसे में गर्म पानी इस दर्द में राहत का काम करता है. इस दौरान गर्म पानी से पेट की सिकाई करने से भी काफी लाभ मिलता है.
अनियमित या लंबे समय तक दर्द के साथ पीरियड्स का रहना PCOS का सबसे आम संकेत है. जैसे, साल में 9 पीरियड्स से कम होना, दो पीरियड्स के बीच में 35 दिनों से ज्यादा का अंतराल और असामान्य रूप से बहुत ज्यादा पीरियड होना.
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सर्दियों में अगर आपको छाती में जकड़न और जुकाम की शिकायत रहती है तो गर्म पानी पीना आपके लिए रामबाण से कम नहीं है. गर्म पानी से गले में खराश की समस्या भी दूर होती है और. सुबह के वक्त गर्म पानी पीने के फायदे तो और भी ज्यादा होते हैं. गर्म पानी ना मिले तो आप रूम टेंपरेचर वाला भी पी सकते हैं.
किशमिश खाने से हाजमा ठीक रहता है. ये पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मददगार है। कब्ज की समस्या से जूझ रहे लोगों को हर रोज काली किशमिश खाने की सलाह दी जाती है. भिगोकर खाना ज्यादा फायदेमंद है।
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हल्दी का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में ही करना चाहिए। विशेष स्थिति में आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से इसका सेवन करना चाहिए।
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नींद – कीवी की नींद को बढ़ावा देने वाले प्रभावों को सेरोटोनिन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सेरोटोनिन एक मस्तिष्क रसायन है जो आपके स्लीप साइकल को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, कीवी में एंटी इंफ्लामेटरी जैसे कि विटामिन सी और कैरोटीनॉयड होते हैं। ये नींद को बढ़ावा देने वाले प्रभावों को प्रेरित करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
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बिस्तर से उठते ही मूत्र त्याग के पश्चात उषा पान अर्थात बासी मुँह 2-3 गिलास शीतल जल के सेवन की आदत सिरदर्द, अम्लपित्त, कब्ज, मोटापा, रक्तचाप, नैत्र रोग, अपच सहित कई रोगों से हमारा बचाव करती है।
भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
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यदि #नींद न आने की शिकायत है, तो रात्रि में सोते समय तलवों पर सरसों का तेल लगाएँ।*
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