अक्सर लोग सोचते हैं कि कमर दर्द का कारण बढ़ती उम्र है लेकिन ऐसा जरूरी नहीं। कई बार गलत तरीके से उठने-बैठने, चोट,खान-पान में गड़बड़ी,गर्भावस्था या फिर और भी बहुत कारणों से कमर में दर्द हो सकता है। कमर दर्द में पीठ की मांसपेशियों में खिचाव, स्नायुओं में अकडऩ और तेज दर्द महसूस होता है। कभी-कभी यह दर्द नितंबों से पैरों तक भी पहुंच जाती है।

एक जगह पर ही बैठे रहने से दिक्कत पहले से भी ज्यादा बढ़ सकती है। कोशिश करें कि हल्का-फुल्का काम करते रहें लेकिन शारीरिक गतिविधियों के बिल्कुल बंद भी न करें। कई बार सर्दी के कारण भी यह समस्या होने लगती है ऐसे में खुद को ठंड से बचाकर रखें।

क्यों होती है कमर दर्द – कमर मांसपेशियों,डिस्क,नसों और हड्डियों की जटिल संरचना है। इन घटकों में से किसी के साथ होने वाली समस्या से पीठ में दर्द होने लगता है। कई बार कमर में होने वाले दर्द के कारण पता लगाना मुश्किल हो जाता है। सामान्य से लेकर इसके गंभीर कारण भी हो सकते हैं।

किन लोगों को होती हैं इसकी अधिक समस्या – ज्यादा तर 45- 50 साल की उम्र के लोगों, शरीरिक कमजोरी,शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से जूझ रहे लोगों में यह परेशानी होती है। अगर छोटी उम्र या फिर शरीर की किसी अंदरूनी समस्या के कारण अक्सर दर्द बना रहता है तो डॉक्टर के साथ संपर्क करके इसके कारण को जरूर जांचे। इसके अलावा भी इसके बहुत से कारण हो सकते हैं।

1. रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर
2. गुर्दें में सक्रमण
3. भारी सामान उठाना
4. जरूरत से ज्यादा काम करना
5. बढ़ता वजन
6. ऊंची एड़ी के सैंडल पहनना
7. अचानक से झटके के साथ झुकना, आदि।

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डायबिटीज में लाभकारी – हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

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गेहूं के जवारे- गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण समाए होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी मिटा सकता है। इसके रस को ग्रीन ब्लड के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं के जवारे का आधा कप ताजा रस रोगी को रोज सुबह-शाम पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।

प्रैंग्नेंसी के बाद क्यों रहता है कमर में दर्द – बच्चे को जन्म देने के बाद अक्सर महिलाएं कमर में दर्द होने की शिकायत करती हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बड़ा हो जाता है। इस कारण मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है, जिससे डिलीवरी के बाद यह खिंचाव ढीलेपन में बदल जाता है। जो कमर में दर्द का कारण बनता है। इसके अलावा हार्मोंन में आया बदलाव और कमजोरी भी इसकी वजह हो सकती है।

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मेथी – मधुमेह के उपचार के लिए मेथीदाने के प्रयोग भी लाभदायक होता है। यदि कारण है कि दवा कंपनियां भी मेथी के पावडर को बाजार में लाई हैं। उपयोग के लिए मेथीदानों का चूर्ण बना लें और रोज सुबह खाली पेट दो टी-स्पून चूर्ण पानी के साथ फंकी कर लें। कुछ दिनों में आपको लाभ महसूस होने लगेगा।

करेला – करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड पाया जाता है, साथ ही ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में कारगर है। इसीलिये प्राचीन काल से करेले को मधुमेह की औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। एक सप्ताह में कम से कम एक बार करेले की सब्जी खाएं। बेहतर परिणामों के लिए खाली पेट करेले का जूस पियें।पित्त की पथरी में परहेज पित्त की पथरी से पीड़ित लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि तला हुआ भोजन, फ्राइड चिप्स, उच्च वसा वाला मांस जैसे बीफ और पोर्क, डेयरी उत्पाद जैसे क्रीम, आइसक्रीम, पनीर, फुल-क्रीम दूध से बचना चाहिए। इसके अलावा चॉकलेट, तेल जैसे नारियल तेल से बचा जाना चाहिए। मसालेदार भोजन, गोभी, फूलगोली, शलजम, सोडा और शराब जैसी चीजों से एसिडिटी और गैस का खतरा होता है, इसलिए ये चीजें भी ना खाएं

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सर्दी में पानी की कमी से बॉडी डीहाइड्रेट हो जाती है, जिससे हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है. शरीर का तापमान असंतुलित होने की वजह से ऐसा होता है. अपने बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन रखने के लिए सर्दियों में खूब पानी पिएं और हाइपोथर्मिया जैसी बीमारी से दूर रहें.

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