जीरे के फायदे: जानिए इसके स्वास्थ्य से जुड़े फायदे

रातभर जीरे को पानी में भिगोएं। शैंपू करने के बाद बालों को इस पानी से धोने से पोषण मिलता है।

 

भोजन को खुशबू व स्वाद देने के साथ जीरा सेहत को भी संवारता है। कई शोध के अनुसार पिसा जीरा लेने से शरीर में वसा का अवशोषण कम होता है जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है। जानते हैं इसके अन्य फायदे…

दुरुस्त हृदय
हृदय की धडक़नें सामान्य रखने व हार्ट अटैक से बचाव करने के अलावा स्मरण शक्ति बढ़ाने, खून की कमी दूर करने, पाचनतंत्र ठीक कर गैस व ऐंठन से निजात दिलाता है।

चर्बी घटाए
दो बड़े चम्मच जीरा एक गिलास पानी में भिगोकर रातभर के लिए रख दें। सुबह इसे उबाल लें और गर्मा-गर्र्म चाय की तरह पीएं। बचा हुआ जीरा चबा लें। रोज ऐसा करने से चर्बी कम होती है।

मजबूत बाल
रातभर जीरे को पानी में भिगोएं। शैंपू करने के बाद बालों को इस पानी से धोने से पोषण मिलता है।

सरसों तेल की मालिश से थकान दूर
सर्दियों में सरसों के तेल की मालिश बहुत गुणकारी होती है। इससे शरीर में रक्तसंचार बढ़ता है व थकान दूर होती है। भारत में हुई कई रिसर्च के अनुसार नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। इस तेल को पैरों के तलवे में लगाने से थकान तुरंत मिटती है व नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात मिलती है। तेल से मालिश गठिया में भी राहत देती है।

जम्हाई लेने से दिमाग रहता है कूल
न्यूस्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार जम्हाई के दौरान गहरी सांस लेने से भीतर आने वाली हवा बे्रन को कूल करती है। साथ ही जबड़ों की स्ट्रेचिंग होने से दिमाग की तरफ रक्तसंचार बढ़ता है। रात में बे्रन-बॉडी का टेम्प्रेचर दिन की तुलना में अधिक होने से ज्यादा जम्हाई आती है।

वेज सूप-सलाद से तन और मन खुश
डायटीशियन निखिल चौधरी के अनुसार डिप्रेशन से राहत में कुछ चीजें मददगार हैं। प्रीबायोटिक व फाइबर युक्त दही, कांजी के पानी व अचार से पेट को हैल्दी बैक्टीरिया मिलते हैं। अंकुरित बींस, अनाज, सूखे मेवे, कच्ची सब्जियां, सलाद, सूप, फल आदि भी तन-मन को सुकून देते हैं।

शरीर की खोई ताकत को जागृत करता है गिलोय, जानिए इसके अन्य फायदे

लोकमान्यता है कि गिलोय जिस पेड़ के पास मिलती है और यदि उसे आधार बना ले तो उसके गुण इसमें आ जाते हैं।

भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्वति में गिलोय को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गिलोय में मौजूद गुणों के चलते इसे छोटे से लेकर बड़े रोग में औषधि के रूप में काम में लिया जाता है। हालांकि इसके प्रयोग को लेकर आपको सावधानी बरतनी चाहिए। गिलोय कहां और किस आधार पर उगा है यह भी इसके इस्तेमाल को विशेष बनाता है। आइए यहां जानते हैं कि गिलोय को किन रोगों में औषधि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है और किस तरह के गिलोय का किस रोग में प्रयोग किया जाता है:

प्रयोग विधि …
पोषक तत्त्व : लोकमान्यता है कि गिलोय जिस पेड़ के पास मिलती है और यदि उसे आधार बना ले तो उसके गुण इसमें आ जाते हैं। लेकिन हर कोई गिलोय उत्तम नहीं। बिना सहारे उगी गिलोय व नीम चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि है। इसकी छाल, जड़, तना और पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन और अन्य न्यूट्रिएंट्स होते हैं।
फायदे : प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध है। संक्रामक रोगों के अलावा बुखार, दर्द, मधुमेह, एसिडिटी, सर्दी-जुकाम, खून की कमी पूरी करने, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के अलावा रक्त शुद्ध करने व शारीरिक व मानसिक कमजोरी दूर करती है।

गिलोय बेल के रूप में व इसका पत्ता पान के पत्ते की तरह दिखता है। आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, चक्रांगी आदि नाम से भी जाना जाता है।

गिलोय के पत्ते को साबुत चबाने के अलावा इसके डंठल के छोटे टुकड़े का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। इसे अन्य जड़ीबूटी के साथ मिलाकर भी प्रयोग करते हैं। गिलोय का सत्व 2-3 ग्राम, चूर्ण 3-4 ग्राम और काढ़े के रूप में 50 से 100 मिलीलीटर लिया जा सकता है।

छोटे बच्चों को विशेषज्ञ के निर्देशानुसार ही यह दें। यदि किसी रोग (मधुमेह, त्वचा संबंधी ब्लड प्रेशर, बुखार, प्रेग्नेंसी व अन्य ) के लिए नियमित दवा ले रहे हैं तो प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से पूछ लें वर्ना अन्य दवा के साथ मिलकर शायद यह काम न करे।

 

जड़ी बूटियों की रानी तुलसी, जानिए इसके नुस्खों का प्रयोग

तुलसी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीपायरेटिक, एंटीसेप्टिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकैंसर गुणों से भरपूर है।

 

आयुर्वेद में जड़ीबूटियों की रानी कही जाने वाली तुलसी कई गुणों से युक्त है। यह शरीर के लिए अंदरुनी व बाहरी दोनों रूपों में फायदेमंद है। मौसमी व त्वचा संबंधी रोगों के अलावा इसके पत्ते रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में उपयोगी हैं। इसकी खास बात है कि यह व्यक्ति की तासीर के अनुसार काम कर सकती है। तुलसी एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीपायरेटिक, एंटीसेप्टिक एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकैंसर गुणों से भरपूर है। जानते हैं वनौषधि विशेषज्ञ वैद्य शंभू शर्मा से इसके प्रयोग के बारे में-

बहूगुणी होने के कारण तुलसी के पत्ते ही नहीं बल्कि इसकी टहनी, फूल, बीज आदि को आयुर्वेद और नैचुरोपैथी पद्धति में भी इलाज के लिए प्रयोग में लेते हैं।

फायदे : संक्रमण, चेहरे की चमक व इम्युनिटी बढ़ाने, त्वचा रोगों, सर्दी, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, चक्कर आना व कई बड़े रोगों के इलाज में भी उपयोगी है।

उपयोग : तुलसी के पत्तों को पानी से निगलने के अलावा काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं। चाय आदि में भी पत्तियां उबाल लें। इसकी पत्तियों को चबाना नहीं चाहिए।

 

तुलसी के गुणों और इसे काम लेने के तरीकों के बाद आपको बताते हैं कि कैसे आप गैस्ट्रिक की समस्या से निजात पा सकते हैं:

दिन में 6 बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें

डायटीशियन संगीता मिश्र के अनुसार कब्ज , गैस्ट्रिक व ब्लोटिंग की मूल वजह नाश्ता व डिनर को मेन मील की तरह लेना व दिनभर भूखे रहना या तलीभुनी चीजें खाना है। ऐसे में 6 मील रूल यानी दिन में 6 बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें। इनमें फल व सब्जियां भरपूर खाएं। सुबह नाश्ते के बाद स्नैक्स और फिर 12 से 1 बजे के बीच लंच लें। 3-4 बजे चाय के साथ हल्का-फुल्का स्नैक्स लें और फिर 6 बजे सूखे मेवे ले सकते हैं। डिनर सोने से २ घंटे पहले यानी 8 से 9 के बीच कर लेना चाहिए। मेन मील के बाद ग्रीन टी पी सकते हैं।

पेट के कीड़े मारे हरसिंगार
हरसिंगार के कुछ पत्तों का दो चम्मच रस निकालकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर बच्चों को दें। छोटे बच्चे हैं तो एक चम्मच पिलाएं। इससे पेट के कीड़े मरते हैं।

 

 

 

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