शहद को भारत में ही नहीं दूसरी सभ्यताओं में भी बहुते पुराने समय से इस्तेमाल किया जा रहा है। आज तो मेडिकल साइंस भी इसके गूणों पर शोध कर रही है और इसके गुणों को स्वीकर करने लगी है। तो क्या-क्या गुण हैं इसमें?
शहद या मधु हमेशा से रसोई में इस्तेमाल होने वाला एक स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ रहा है, साथ ही सदियों से एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में भी उसका इस्तेमाल होता है। दुनिया भर में हमारे पूर्वज शहद के कई लाभों से अच्छी तरह परिचित थे। एक औषधि के रूप में उसका इस्तेमाल सबसे पहले सुमेरी मिट्टी के टेबलेटों में पाया गया है जो करीब 4000 साल पुराने हैं। लगभग 30 फीसदी सुमेरी चिकित्सा में शहद का इस्तेमाल होता था। भारत में शहद सिद्ध और आयुर्वेद चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो चिकित्सा की पारंपरिक पद्धतियां हैं। प्राचीन मिस्र में इसे त्वचा और आंखों की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता था और जख्मों तथा जलने के दागों पर प्राकृतिक बैंडेज के रूप में लगाया जाता था।
आजकल चिकित्सा समुदाय में शहद पर काफी वैज्ञानिक शोध चल रहा है जो हमारे पूर्वजों द्वारा सोचे गए शहद के तमाम प्रयोगों की जांच कर के उन्हें पुष्ट कर रहा है। इनमें से कुछ पर नजर डालते हैं:
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शहद के स्वास्थ्य लाभ
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शहद आपके खून के लिए अच्छा है
शहद शरीर पर अलग-अलग तरह से असर डालता है, जो इस पर निर्भर करता है कि आप उसका सेवन कैसे करते हैं। अगर शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पिया जाए तो उसका खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या पर लाभदायक असर पड़ता है। लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की स्थिति में लाभ होता है। आयरन की कमी यानी एनीमिया की स्थिति तब आती है जब आहार में लौह तत्व को कम मात्रा में ग्रहण किया जाता है या शरीर उसे पर्याप्त रूप से सोख नहीं पाता। इससे रक्त की ऑक्सीजन ढोने की क्षमता प्रभावित होती है। ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने से थकान, सांस फूलना और कई बार उदासी और दूसरी समस्याएं होती हैं। शहद रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को बढ़ाते हुए इन समस्याओं को कम कर सकता है।
खून में ऑक्सीजन का होना बेहद जरूरी होता है। आपका शरीर कितना स्वस्थ है या बीमारी के बाद कितनी जल्दी खुद को ठीक कर पाता है, यह आपके खून में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा पर निर्भर करता है। खासकर महिलाओं को इस मामले में खास ख्याल रखने की जरूरत होती हैं, क्योंकि उन्हें हर महीने मासिकचक्र से गुजरना पड़ता है। चूंकि हर महीने उनके शरीर से एक खास मात्रा में खून बाहर निकल जाता है, इसलिए एनेमिया की संभावना उनमें पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा पाई जाती है। अगर मस्तिष्क को उचित मात्रा में खून नहीं मिलेगा तो शरीर और दिमाग को जैसा काम करना चाहिए, वे वैसे नहीं कर पाएंगे।
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शहद : रक्तचाप में फायदेमंद
शहद का नियमित सेवन सर्कुलेटरी सिस्टम और रक्त की केमिस्ट्री में संतुलन को पाने में न सिर्फ आपकी मदद करता है, बल्कि आपको ऊर्जावान और फुर्तीला भी बनाए रखता है। अगर आपको निम्न रक्तचाप की शिकायत है और अगर आप नीचे बैठे-बैठे अचानक उठने की कोशिश करते हैं तो आपको चक्कर आ जाते हैं। निम्न रक्तचाप का मतलब दिमाग में ऑक्सीजन का कम मात्रा में पहुंचना है। इसी तरह से अगर आप अपना सिर नीचे करते हैं और आपको चक्कर आते हैं तो इसका मतलब है कि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है। या तो उच्च रक्तचाप की वजह से या फिर ऑक्सीजन की कमी की वजह से आपको चक्कर आते हैं।
शहद का सेवन हमारे शरीर के इन असंतुलनों को दूर करता है। शरीर में रक्त का दबाव शरीर की जरूरतों पर निर्भर करता है। लोगों को लगता है कि उच्च रक्तचाप एक बीमारी है, लेकिन सच्चाई यह नहीं है। दरअसल, शरीर अपनी जरूरतों के हिसाब से खून का दबाव तय करता है। अगर किसी कारण वश शरीर को सामान्य रूप से ज्यादा ऑक्सीजन या पोषक तत्वों की जरूरत होती है या फिर खून की गुणवत्ता वैसी नहीं होती, जैसी होनी चाहिए तो शरीर का खून पंप करने वाला पंपिंग सिस्टम ज्यादा खून पंप करना शुरू कर देता है। इसके लिए अंगों में शीघ्र और तेज प्रवाह के लिए दिल तेजी से खून को पंप करता है, जिससे खून का दबाव बढ़ता है।
निम्न रक्तचाप के पीछे भी वजह होती है, जैसे शरीर को ही निम्न दबाव की जरूरत हो सकती है या फिर जन्मजात वजहों से ही दिल इतना मजबूत नहीं होता कि वह शरीर की जरूरत के मुताबिक ज्यादा खून पंप कर पाए। ये भी हो सकता है कि शरीर के परिसंचरण तंत्र यानी सर्कुलेटरी सिस्टम में कोई दिक्कत हो अथवा खून की रासायनिक संरचना के चलते ऐसा हो रहा हो। अकसर एक साथ कई वजहों के चलते ऐसा होता है। ठीक इसी तरह उच्च रक्तचाप के कई परिणाम सामने आते हैं, लेकिन शुरु में तो उच्च रक्तचाप खुद ही एक परिणाम है- यह एक परिणाम है, कारण नहीं है।
योग का नियमित अभ्यास करने वाले व शरीर को खास तरह की प्रक्रिया में ढालने वाले लोगों के लिए अपने सर्कुलेटरी सिस्टम और रक्त की केमिस्ट्री में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। शहद का नियमित सेवन इस संतुलन को पाने में न सिर्फ आपकी मदद करता है, बल्कि आपको अपेक्षा कृत ऊर्जावान और फुर्तीला भी बनाए रखता है
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कीमोथैरेपी में असरदायक
इसके भी कुछ प्रारंभिक प्रमाण हैं कि शहद कीमोथैरेपी के मरीजों में श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की संख्या को कम होने से रोक सकता है। एक छोटे प्रयोग में कीमोथैरेपी के दौरान कम डब्ल्यूबीसी संख्या के जोखिम वाले 40 फीसदी मरीजों में उपचार के तौर पर दो चम्मच शहद पीने के बाद वह समस्या फिर से नहीं उभरी।
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शहद चीनी से कम नुकसानदायक है
शरीर पर सफेद चीनी के हानिकारक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। शहद उसका एक बढ़िया विकल्प है जो उतना ही मीठा है मगर उसका सेवन अहानिकर है। हालांकि शहद के रासायनिक तत्वों में भी सिंपल शुगर होती है मगर वह सफेद चीनी से काफी भिन्न होती है। उसमें करीब 30 फीसदी ग्लूकोज और 40 फीसदी फ्रक्टोज होता है यानि दो मोनोसेकाराइड या सिंपल शुगर और 20 फीसदी दूसरे कांप्लेक्स शुगर होते हैं। शहद में एक स्टार्ची फाइबर डेक्सट्रिन भी होता है। यह मिश्रण शरीर में रक्त शर्करा का स्तर संतुलित रखता है।
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शहद योगाभ्यासियों के लिए अच्छा है
योग अभ्यासों को करने वाले लोगों के लिए शहद का सेवन रक्त के रसायन में संतुलन लाता है, इसलिए उन्हें खास तौर पर इसका सेवन करना चाहिए। शहद का नियमित सेवन शरीर को अधिक जीवंत बनाता है। सुबह अभ्यास शुरू करने से पहले गुनगुने पानी में थोड़ा सा शहद मिलाकर लेने पर शरीर सक्रिय हो
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शहद एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक है
शहद का सेवन लाभदायक एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की संख्या को बढ़ाता है, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाता है और हानिकारक सूक्ष्मजीवों से लड़ता है। कई अध्ययनों में जख्मों की चिकित्सा में भी शहद के इस्तेमाल पर विचार किया गया है। एक अध्ययन में एक उपचारात्मक शहद का इस्तेमाल किया गया जो एक खास शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरा था। इस अध्ययन में भाग लेने वाले सभी लोगों के जख्मों से सारा बैक्टीरिया नष्ट हो गया। एक और अध्ययन में असंसाधित (अनप्रोसेस्ड) शहद के इस्तेमाल से 59 मरीजों के जख्म और पैर के अल्सर ठीक हो गए। इन मरीजों में से 80 फीसदी पर पारंपरिक उपचार का कोई असर नहीं हुआ था। एक मरीज को छोड़कर बाकी सभी के जख्मों में सुधार हुआ। साथ ही शहद लगाने के एक सप्ताह के भीतर संक्रमित जख्म जीवाणुरहित हो गए। पारंपरिक चिकित्सा में, शहद के एक लाभ में श्वास संबंधी संक्रमणों का उपचार शामिल है।
क्लीनिकल रिसर्च से यह भी पता चला है कि मेडिकल ग्रेड शहद भोजन से पैदा होने वाले जीवाणुओं जैसे इशटीशिया कोली और सेलमोनेला को नष्ट कर सकता है। शहद उन बैक्टीरिया से लड़ने में भी प्रभावकारी साबित हुआ है, जिन पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता। शहद कई स्तरों पर संक्रमण से लड़ता है जिससे वह जीवाणुओं के लिए प्रतिरोधी क्षमता विकसित करना मुश्किल बना देता है। इसके विपरीत एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया पर उस समय हमला करते हैं, जब वे विकसित हो रहे होते हैं इससे वे उसे प्रतिरोधी क्षमता विकसित करने का मौका देते हैं।
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शहद दिल की देखभाल में फायदेमंद
एक अनार का ताजा रस लेकर उसमें एक बड़ा चम्मच शहद मिलाएं। रोजाना सुबह खाली पेट लें।
खजूर में सुई चुभाते हुए उसमें छेद करें। उसे शहद में डुबा दें और दिन में दो बार 2-4 खजूर खाएं।
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सर्दी जुकाम के लिए शहद के उपचार
अगर आप सर्दी-जुकाम से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं या आपको हर सुबह बंद नाक से जूझना पड़ता है, तो नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है। यहां कुछ सरल उपचार दिए गए हैं:
विकल्प 1:
काली मिर्च के 10 से 12 दानों को दरदरा कूट लें और उन्हें दो छोटे चम्मच शहद में रात भर भिगो कर रखें। सुबह खूब अच्छी तरह चबाते हुए काली मिर्च के दाने खा लें। आप शहद में थोड़ा हल्दी भी मिला सकते हैं।
विकल्प 2:
नीम के पत्तों का पेस्ट बना लें और उस पेस्ट से एक कंचे के आकार की गोली बनाएं। उस गोली को शहद में डुबाकर हर सुबह खाली पेट निगल लें। अगले 60 मिनट तक कुछ न खाएं ताकि नीम आपके शरीर में फैल जाए। इससे दूसरी तरह की एलर्जी जैसे त्वचा या किसी खाद्य पदार्थ से होने वाली एलर्जी में भी लाभ मिलता है। नीम में बहुत से औषधीय गुण हैं और यह आदत बहुत ही लाभदायक है। अगर आपको नीम के सामान्य पत्ते ज्यादा कड़वे लगते हैं, तो नीम के कोमल पत्तों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।