सुई से ब्रेस्ट में मौजूद कैंसर की गांठ को खींचकर निकाला जा सकेगा, वैज्ञानिकों का दावा; मात्र 60 मिनट में निकल जाएगा ट्यूमर
वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट कैंसर के इलाज का नया तरीका खोजा है। वैज्ञानिकों ने खास तरह की वैक्यूम डिवाइस तैयार की है। यह डिवाइस एक सुई के जरिए शरीर से ब्रेस्ट में मौजूद छोटी और मध्यम आकार के कैंसर की गांठ को खींच निकालती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि कैंसर की गांठ निकालने में मात्र 60 मिनट का समय लगता है।
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सर्जरी का यह तरीका मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट ने विकसित किया है। इसका ट्रायल किया जा रहा है।
1 इंच तक की गांठ निकाली जा सकेगी
वैज्ञानिकों का कहना है, वैक्यूम टेक्नोलॉजी से ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने के लिए रिसर्च की जा रही है। इस तकनीक से ब्रेस्ट में मौजूद 1 इंच तक की गांठ को निकाला जा सकता है। यह तरीका पुरानी सर्जरी के मुकाबले से कम परेशान करने वाला है। कैंसर की गांठ निकालने के लिए मरीज के पूरे शरीर को एनेस्थीसिया देने की जरूरत नहीं पड़ती।
ऐसे निकालते हैं कैंसर की गांठ
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वैक्यूम डिवाइस में करीब 4mm डायमीटर वाली सुई लगी होती है। कैंसर वाले हिस्से को सुन्न करके सुई को सीधे गांठ वाले हिस्से में लगाया जाता है। यह सुई गांठ वाले हिस्से को खींचकर निकालती है। गांठ निकलने के बाद उसी हिस्से में मेटल की एक क्लिप रख दी जाती है। भविष्य में अल्ट्रासाउंड स्कैन या मेमोग्राम के जरिए क्लिप के आसपास के हिस्से की जांच होती है। यह देखा जाता है कि इस हिस्से में दोबारा कैंसर की गांठ तो नहीं बन रही।
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ट्रायल सफल रहा तो इलाज में शामिल होगा
नई वैक्यूम डिवाइस का ट्रायल 20 महिलाओं पर सफल होता है तो इसे कैंसर के इलाज में शामिल किया जाएगा। इस पर यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में ऑन्कोलॉजी और सर्जरी विभाग के प्रोफेसर जयंत वैद्य का कहना है, गांठ को टुकड़ों में तोड़कर निकालने पर इसके शरीर में फैलने का खतरा रहता है। लेकिन कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने के नए तरीका का हमेशा स्वागत किया जाना चाहिए। यह तरीका ऐसे मरीजों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जो स्टैंडर्ड सर्जरी कराने में असमर्थ हैं।
अभी सैम्पल के लिए ऐसी ही तकनीक का इस्तेमाल जारी
ब्रिटेन में हर साल ब्रेस्ट कैंसर के 55 हजार मामले सामने आते हैं। वर्तमान में यहां ब्रेस्ट कैंसर के सैम्पल लेने के लिए वैक्यूम असिस्टेड बायोप्सीज तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। सैम्पल लेने के बाद लैब में इसकी विस्तृत जांच की जाती है।
महिलाओं से सैम्पल लेने के लिए ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी NHS इस तकनीक का इस्तेमाल पिछले 10 साल से कर रही है। इस तकनीक से यह समझा जाता है कि कीमोथैरेपी के बाद मरीज में कैंसर की गांठ का आकार कितना कम हुआ है।
डॉक्टर्स का कहना है, जांच का यह तरीका ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रहीं 30 फीसदी महिलाओं के लिए फायदेमंद है। इससे गांठ का आकार पता लगाना आसान है।
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7 गलतियां जो बढ़ाती हैं ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
1. बढ़ता मोटापा
महिलाओं का बढ़ता मोटापा ब्रेस्ट कैंसर का कारण बनता है। खासतौर पर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बॉडी में ज्यादा हार्मोन्स फैट टिशु से निकलते हैं। बहुत अधिक फैट जब बॉडी पर जमा होने लगता है तो एस्ट्रोजेन का लेवल कम होता है और कैंसर का खतरा बढ़ता है।
2. ब्रेस्ट फीडिंग न कराने पर
अधिकांश महिलाओं का मानना है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से उनका फिगर खराब हो जाता है। इसलिए वे इसे अवॉयड करती हैं। ऐसी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक रहता है। दरअसल ब्रेस्टफीडिंग कराने से हार्मोंस बैलेंस में रहते हैं, जबकि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराती उनमें हार्मोंस का संतुलन बिगड़ता है और ब्रेस्ट कैंसर की आशंका बढ़ती है।
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3.खानपान का ध्यान न रखने पर
जो महिलाएं अपने खानपान का ध्यान नहीं रखती हैं, उनमें ब्रेस्ट ट्यूमर का खतरा अधिक होता है। ज्यादा मीठा, केचअप, स्पोर्टस ड्रिंक, चॉकलेट मिल्क सहित शुगर युक्त फूड ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसी तरह प्रोसेस्ड फूड में मिलने वाला फैट ब्रेस्ट कैंसर की वजह बन सकता है। इसलिए इस तरह की डाइट अवॉयड करें। फास्ट फूड जैसे बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, चाट, रेड मीट ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं।
4. लम्बे समय से गर्भनिरोधक दवाएं लेने पर
अगर आप लंबे समय तक गर्भनिरोधक दवाएं खाती हैं तो इससे भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इन दवाओं में एस्ट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जो शरीर में जरूरत से ज्यादा हो जाए तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है। इतना ही नहीं बल्कि बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन व अन्य तरीके भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ातेहैं। इसलिए इनके लंबे समय तक उपयोग से बचें।
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5. प्लास्टिक की चीजों का अधिक इस्तेमाल
घर में, सफर के दौरान या मीटिंग में प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना या इससे बने बर्तनों में खाना खाने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है। दरअसल प्लास्टिक कंटेनर्स में इंडोक्राइन डिसरप्टिंग कैमिकल जैसा रसायन होता है जो शरीर के हार्मोनल सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है।
6. एक्सरसाइज से दूरी बनाना
जो महिलाएं एक्सरसाइज करने से बचती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। मेनोपॉज के बाद तो महिलाओं के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी होता है। अगर आपको हेवी एक्सरसाइज पसंद न हो तो रोज आधे घंटे की सैर कर सकती हैं। आप चाहें तो बागवानी या तैराकी जैसे विकल्प चुनकर भी अपनी फिटनेस को मेंटेन कर सकती हैं। इससे पेट और कमर की चर्बी कम करने में भी मदद मिलती है।
7. शराब और स्मोकिंग की लत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार शराब पीने, स्मोकिंग से स्तन के कैंसर का खतरा 8% तक बढ़ता है। शराब महिलाओं के सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ाती है। जर्नल ऑफ दी अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक, शराब से ब्रेस्ट ट्यूमर की ग्रोथ बढ़ती है।