शराब की लत के लक्षण : घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन। गुस्सा आना, मूड में अचानक बदलाव। तनाव, मानसिक थकावट। फैसला लेने में कठिनाई। याददाश्त कमजोर पड़ना। नींद न आना। सिर में तेज दर्द होना। ज्यादा पसीना निकलना, खासकर हथेलियों और पैर के तलवे से। जी मिचलाना और भूख कम लगना। शरीर में ऐंठन और मरोड़ होना। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस अवस्था का अनेक जगह वर्णन मद रोग और मदात्यय नाम से किया गया है। आयुर्वेद के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ चरक संहिता में मद्य से संबंधित ‘मदात्यय चिकित्सा’ नाम का भी अध्याय है जिसमे मद्य से जुड़े विकारों की अवस्थाएं और उनके आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से बताया गया है। मदात्यय में प्रधान रूप से कफ की दृष्टि बताई गई है और साथ में वात और पित्त का भी अनुबंध रहता है।

आयुर्वेद में इसके उपचार के लिए निम्न औषधियां बताई गई हैं : खट्टे अनार का रस पीने से लाभ मिलता है। धनिया और शोंठ का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। अंगूर का रस ठंडा करके पीना चाहिए।